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उत्तराखंड में चीन सीमा पर बढ़ी सैन्य वाहनों की आवाजाही, लगातार पेट्रोलिंग कर रहे जवान

राज्य से सटी चीन सीमा पर सेना ने निगरानी सख्त कर दी है। सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के जवान बॉर्डर पर लगातार पेट्रोलिंग कर रहे हैं।

By Edited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 10:25 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 11:09 AM (IST)
उत्तराखंड में चीन सीमा पर बढ़ी सैन्य वाहनों की आवाजाही, लगातार पेट्रोलिंग कर रहे जवान
उत्तराखंड में चीन सीमा पर बढ़ी सैन्य वाहनों की आवाजाही, लगातार पेट्रोलिंग कर रहे जवान

उत्तरकाशी, जेएनएन। उत्तराखंड से सटी चीन सीमा पर सेना ने निगरानी सख्त कर दी है। सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) के जवान बॉर्डर पर लगातार पेट्रोलिंग कर रहे हैं। रात को नाइट विजन उपकरणों से निगहबानी की जा रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार बॉर्डर पर सैन्य वाहनों की आवाजाही आम दिनों की अपेक्षा बढ़ गई है।

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उत्तराखंड की चीन से 345 किलोमीटर लंबी सीमा में से 122 किलोमीटर उत्तरकाशी और 88 किलोमीटर सीमा चमोली जिले से सटी है। चमोली की नीती घाटी से सटी सीमा सर्वाधिक संवेदनशील है। यहां स्थित बाड़ाहोती क्षेत्र में चीन वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के बीच दस बार घुसपैठ कर चुका है। यही वजह है कि सेना के लिए यह इलाका बेहद खास बन चुका है। स्थानीय लोगों के अनुसार इन दिनों सीमा पर आला अफसरों की आवाजाही भी बढ़ गई है। उत्तरकाशी की नेलांग घाटी में भी यही स्थिति है। 

इस सीमा पर आइटीबीपी की 12वीं और 35वीं वाहिनी के हिमवीरों के साथ सेना के जांबाज सीमा पर पूरी तरह से मुस्तैद हैं। यहां अग्रिम चौकियां 3800 मीटर से लेकर 4600 मीटर की ऊचाई पर हैं। मेजर (सेवानिवृत) आरएस जमनाल कहते हैं इन दिनों सीमा पर फेस ऑफ डिल की स्थिति है। वह बताते हैं कि सामान्य दिनों में सीमा पर जवान लंबी दूरी की गश्त के बाद अपने कैंप में लौट आते हैं, लेकिन विषम परिस्थति में वह बॉर्डर पर तैनात होती हैं। जब दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे से निश्चित दूरी पर तैनात होती हैं, तो इसे फेस ऑफ डिल कहा जाता है।

टीवी पर लगी हैं सीमांत गांवों की निगाहें

सीमा पर चल रहे तनाव के बीच सीमांत क्षेत्र पर स्थित गांवो के लोगों की निगाहें टेलीविजन पर लगी हुई हैं। चमोली जिले के अंतिम गांव नीती के रहने वाले प्रेम सिंह फोनिया कहते हैं कि फिलहाल बिजली सुचारू है, तो टीवी में कोई व्यवधान नहीं है। वह बताते हैं कि गांव में इन दिनों सिर्फ इसी पर चर्चा हो रही है।

चाड़ा तोक में लगा जाम, सेना के वाहन भी फंसे

कोरोना के चलते भले ही यात्रा शुरू न होने से हाईवे पर वाहनों की आवाजाही सीमित हो, लेकिन, सीमांत क्षेत्र जोशीमठ में इन दिनों सेना के वाहनों की आवाजाही बढ़ी है। ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चमोली चाड़े में सड़क चौड़ीकरण के कार्य के दौरान एक घंटे तक जाम की स्थिति बनी रही। इस दौरान यहां पर सेना के वाहन भी फंसे रहे। बदरीनाथ हाईवे पर गौचर से लेकर जोशीमठ तक एनएच की ओर से हाईवे चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है। इससे बार-बार जाम की स्थिति पैदा हो रही है। एनएच ने सड़क निर्माण के दौरान वाहनों की आवाजाही के लिए नंदप्रयाग कोठियालसैंण मोटर मार्ग पर रूट डायवर्ट किया है, लेकिन चमोली के निकट चाड़ा में सेना के वाहनों की लंबी कतार होने के कारण चमोली तिराहे पर जोशीमठ और गोपेश्वर की ओर भी वाहनों का जाम लग गया। लगभग एक घंटे बाद जाम खुल पाया।

चीन को युद्ध के जरिये कड़ा जवाब दे भारत

चीन की ओर से लगातार भारत सीमा पर की जा रही घुसपैठ और सैनिकों के शहीद होने पर पूर्व सैनिक संगठन ने चीन के खिलाफ रोष जताया। कहा कि चीन को सबक सिखाने का यह सही मौका है और भारत को युद्ध से इसका जवाब देना चाहिए। पूर्व सैनिक संगठन के जिलाध्यक्ष देव सिंह पुंडीर ने कहा कि चीन लगातार सीमा पर घुसपैठ कर हमले किए जा रहा है, जिसमें हमारे सैनिक शहीद हो रहे हैं, इसलिए भारत युद्ध से चीन को मुंहतोड़ जवाब देकर अपनी ताकत का अहसास कराए। 

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उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो पूर्व सैनिक भी पीछे नहीं रहेंगे और देश की सुरक्षा में अभी भी अपना योगदान दे सकते हैं। कहा कि भारत को युद्ध करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीमा पर दुश्मनों को मारने के लिए सैनिकों को सरकार ने छूट देकर अच्छा निर्णय लिया है। वहीं विक्टोरिया क्रॉस विजेता शहीद गबर सिंह नेगी के भतीजे पूर्व सैनिक इंद्र सिंह नेगी ने कहा कि शांति के नाम पर भारत कब तक चुप रहेगा और चीन अपनी मनमानी करता रहेगा। उन्होंने कहा कि चीन को सबक सिखाने का एक मात्र विकल्प युद्ध ही है। उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिक किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं और वे किसी को भी हरा सकते हैं। इसलिए जो सैनिक शहीद हुए हैं उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यह होगी कि चीन को सबक सिखाया जाए। 

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