धराली में खीर गंगा का रौद्र रूप, अस्थायी पुल बहा-गंगोत्री हाईवे पर बचा पैदल रास्ता भी ध्वस्त; राहत सामग्री से भरे ट्रक फंसे
उत्तरकाशी के धराली में खीर गंगा नदी में आई बाढ़ से राहत कार्य बाधित हो गया है। नदी का जलस्तर बढ़ने से कई सड़कें और पुल बह गए जिससे लापता लोगों की खोज में दिक्कतें आ रही हैं। संचार सेवा ठप होने से हालात और भी मुश्किल हो गए हैं। सेना और बचाव दल लगातार राहत कार्यों में जुटे हुए हैं।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। आपदाग्रस्त धराली में तबाही मचाने वाली खीर गंगा नदी ने सोमवार शाम हुई वर्षा से फिर रौद्र रूप ले लिया। इससे जहां लोग घंटों खौफ में रहे, वहीं राहत कार्यों में भी बड़ी बाधा पहुंची है।
राहत कार्यों को गति देने के लिए पिछले पांच दिन में जो तैयारियां की गई थीं, वो एक झटके में खीर गंगा के उफान में बह गईं। इससे राहत एवं बचाव कार्य में लगी टीमों के समक्ष दुश्वारियां खड़ी हो गई हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र में संचार सेवा भी ध्वस्त हो गई है। इससे क्षेत्र में सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं हो पा रहा है।
खीर गंगा नदी में बढ़े जलस्तर से बचाव को ऊंचाई पर बैठे ग्रामीण। वीडियो ग्रैब
इधर, भागीरथी के जलस्तर में वृद्धि होने से हर्षिल क्षेत्र में बनी झील में भी पानी बढ़ गया है। सोनगाड और डबराणी के बीच ध्वस्त गंगोत्री हाईवे पर बचा पैदल मार्ग वर्षा और भूस्खलन से भागीरथी नदी में समा गया है। इससे 500 मीटर हाईवे पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है।
प्रतिकूल मौसम के कारण यहां हाईवे का पुनर्निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि, हाईवे को दुरुस्त करने के लिए सामग्री व मशीनरी मौके पर पहुंचा दी गई है।
सोनगाड-डबरानी के बीच में इस तरह पहाड़ी चढ़कर आवाजाही कर रहे लोग। स्रोत सुधि पाठक
बुधवार को हाईवे का पुनर्निर्माण शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। हाईवे बंद होने से राहत सामग्री से भरे कई ट्रक डबराणी से पहले फंसे हुए हैं और उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से हर्षिल का संपर्क कट गया है।
बीती पांच अगस्त को खीर गंगा नदी में आए सैलाब में कई होटल, होमस्टे व आवासीय भवन जमींदोज हो चुके हैं और बड़ी संख्या में स्थानीय व अन्य राज्यों के लोग लापता हैं।
इनकी खोजबीन के लिए घटनास्थल को चार सेक्टर में बांटकर सेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के दल उपकरणों और डाग स्क्वाड के साथ युद्धस्तर पर जुटे हैं।
इस कार्य के लिए मलबे में आवाजाही को लोहे के पाइप व लकड़ी से अस्थायी पुलिया तैयार की गई थी, जिसे सोमवार को खीर गंगा में आया उफान अपने साथ बहा ले गया।
साथ ही सर्च आपरेशन के लिए खोदे गए गड्ढों में पानी भर गया। इससे सर्च आपरेशन में लगी टीमों के सामने दुश्वारियां खड़ी हो गईं।
हालांकि, विपरीत परिस्थतियों में भी मंगलवार को सेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम राहत एवं बचाव कार्य में मजबूती से डटी रही।
खीर गंगा में फिर उफान देखकर स्थानीय लोगों की आंखों के सामने पांच अगस्त को आए सैलाब के दृश्य घूमने लगे। भयग्रस्त लोगों ने तत्काल ऊंचाई वाले इलाकों में शरण ली और सुबह पानी घटने पर राहत की सांस ली।
लापता लोगों में एक नाम और बढ़ा
धराली में आपदा के दौरान लापता हुए लोगों में एक नाम और बढ़ गया है। सोमवार को प्रशासन ने 24 नेपाली श्रमिकों के लापता होने की जानकारी दी थी, जबकि मंगलवार को बताया गया कि 25 नेपाली श्रमिक लापता हैं।
मौसम खुला तो हेलीकाप्टर से भेजी गई राहत सामग्री
दोपहर बाद मौसम खुलने पर मातली हेलीपैड से आपदा प्रभावित धराली के लिए पानी की बोतलें, खाद्यान्न सामग्री आदि भेजी गई। साथ ही धराली क्षेत्र में फंसे कुछ लोगों को मातली हेलीपैड लाया गया।
मंगलवार को मौसम खुलने पर मातली हेलीपैड से आपदा प्रभावित क्षेत्र में भेजा गया पानी। स्रोत सूचना विभाग
इनमें धराली गांव की दो गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्हें प्रसव के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अब तक आपदा प्रभावित क्षेत्र से हेलीकाप्टरों से 1,308 स्थानीय लोग व यात्री निकाले जा चुके हैं।
फिर चरमराई संचार सेवा
हर्षिल और धराली क्षेत्र में मंगलवार शाम संचार सेवा फिर चरमरा गई। इससे लोग एक-दूसरे की खैर खबर नहीं ले पाए। राहत एवं बचाव कार्य में लगी एंजेंसियों को भी एक-दूसरे से संपर्क करने में परेशानी आई। महत्वपूर्ण सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सेटेलाइट फोन का सहारा लिया गया।
भागीरथी में बनी झील का पानी बढ़ा
पहाड़ों पर हुई वर्षा के बाद भागीरथी के जलस्तर में वृद्धि हुई है। इससे हर्षिल क्षेत्र में तिलगाड से आए मलबे के चलते भागीरथी की धारा अवरुद्ध होने से बनी झील का पानी भी बढ़ गया है। झील को खोलने के लिए उत्तराखंड जल विद्युत निगम और सिंचाई विभाग के 30 इंजीनियर व कार्मिकों की टीम काम कर रही हैं।
एमआइ-17 से भेजी गई नाव और डीजल
हर्षिल क्षेत्र में भागीरथी नदी में बनी झील से पानी की निकासी को एमआइ-17 से एनडीआरएफ की ओबीएम यानी आउटबोर्ड मोटर युक्त नाव भेजी गई है। इससे झील के पानी की निकासी में मदद मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग के लिए वायर, डीजल व उपकरणों के साथ अन्य सामग्री भेजी गई है।
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