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दुनिया का सबसे ऊंचा ये ट्रैक बन रहा रोमांच के शौकीनों की पसंद, जानिए

कालिंदीखाल-बदरीनाथ ट्रैक रोमांच के शौकीनों को बेहद पसंद आ रहा है। ये ट्रैक दुनिया के सबसे ऊंचे ट्रैकों में शुमार है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 08:33 PM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2018 09:18 AM (IST)
दुनिया का सबसे ऊंचा ये ट्रैक बन रहा रोमांच के शौकीनों की पसंद, जानिए
दुनिया का सबसे ऊंचा ये ट्रैक बन रहा रोमांच के शौकीनों की पसंद, जानिए

उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: दुनिया के सबसे ऊंचे ट्रैक रूट में शामिल कालिंदीखाल-बदरीनाथ ट्रैक इन दिनों ट्रैकरों के लिए खुशगवार बना हुआ है। गंगोत्री से बदरीनाथ तक हिमालय की कंदराओं और ग्लेशियर के ऊपर से होकर गुजरने वाले इस 109 किमी लंबे ट्रैक पर भारत की हिमाच्छादित एक दर्जन नामचीन चोटियों का दीदार होता है।  भारत-चीन सीमा से लगा यह ट्रैक भारतीयों ही नहीं, विदेशियों की भी विशेष पसंद है। हालांकि, इनर लाइन क्षेत्र में होने के कारण चुनिंदा विदेशी पर्यटकों को ही अनुमति मिल पाती। 

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समुद्रतल से 5980 मीटर की ऊंचाई पर गंगोत्री धाम से बदरीनाथ को जोड़ने वाले इस ट्रैक को फतह करने के लिए इस सीजन में अब तक छह ग्रुप जा चुके हैं। इनमें से एक ग्रुप के 12 सदस्यों ने ट्रैकिंग पूरी कर दी है। जबकि 20 सदस्यीय ग्रुप 26 अगस्त को पूरी करेगा। इसके बाद भी कई ग्रुप कालिंदीखाल ट्रैक पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। खास बात यह कि इन दिनों इस ट्रैक पर मौसम भी खुशगवार बना हुआ है। जबकि, निचले क्षेत्रों में बारिश हो रही है। इस ट्रैक पर भारत की नामचीन चोटियों में शामिल शिवलिंग, खर्चकुंड, भागीरथी-प्रथम, द्वितीय व तृतीय, केदारडोम, वासुकी पर्वत, सतोपंथ, चौखंभा, माणा पीक सहित कई प्रसिद्ध चोटियों का दीदार होता है। 80 फीसद बर्फ से ढके इस ट्रैक का सफर पूरा करने में 12 दिन लगते हैं। 

दो सदस्य होने पर मिलती है विदेशियों को अनुमति

कालिंदीखाल के निकट भारत-चीन सीमा से लगा यह ट्रैक सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसी कारण ट्रैक पर जाने की उन्हीं विदेशी पर्यटकों को अनुमति दी जाती है, जिनके साथ कम-से-कम दो सदस्य हों। साथ ही ट्रैक पर जाने के लिए पोर्टर व अच्छे गाइड का भी साथ होना जरूरी है। 

रोमांच भरे ट्रैक में जोखिम भी 

रोमांच से भरे इस ट्रैक में जोखिम भी हैं। कालिंदीखाल-बदरीनाथ ट्रैक पर सात दिनों तक बर्फीले क्षेत्र से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसे में मौसम खराब होने पर ट्रैकर रास्ता भटक जाते हैं। यही वजह है कि पिछले दस सालों में इस ट्रैक पर 30 से अधिक ट्रैकर जान गंवा चुके हैं। गढ़वाल हिमालय ट्रैङ्क्षकग एवं माउंटेनियरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष जयेंद्र राणा बताते है कि 5980 मीटर की ऊंचाई से पार होने वाले कालिंदी ट्रैक को पूरा करने के बाद मन को वैसी ही शांति एवं सुकून मिलता है, जैसा किसी पर्वतारोही को पर्वतों के आरोहण के बाद। 

इन स्थानों से होकर गुजरता है ट्रैक 

गंगोत्री धाम से ट्रैक की शुरुआत होती और भोजवासा में पहली कैंपिंग की जाती है। इसके बाद नंदनवन, वासुकीताल, खड़ा पत्थर, सीता ग्लेशियर, कालिंदी बेस कैंप, राज पड़ाव, अरवा नाला, घसतौली, माणा अथवा बदरीनाथ में अंतिम कैंपिंग की जाती है।

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