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    चीन सीमा पर इस घाटी का पर्यटक कर सकेंगे दीदार, हटेगा 56 साल पुराना प्रतिबंध

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    Updated: Sun, 12 Aug 2018 10:27 PM (IST)

    उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी अब इनर लाइन से बाहर होगी। राज्य सरकार की मंशा नेलांग को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने की है ।

    चीन सीमा पर इस घाटी का पर्यटक कर सकेंगे दीदार, हटेगा 56 साल पुराना प्रतिबंध

    देहरादून, [केदार दत्त]: चीन सीमा से सटी नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी अब 'इनर लाइन' से बाहर होगी। राज्य सरकार की मंशा नेलांग को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने की है और इस दिशा में कवायद भी प्रारंभ कर दी है, ताकि देशी-विदेशी सैलानी वहां के प्राकृतिक नजारों का दीदार कर सकें। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार इस सिलसिले में उनकी थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत से दिल्ली में बातचीत हुई और उन्होंने इस पर हामी भरी है। महाराज ने बताया कि इस सिलसिले में जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेजा जाएगा।

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    1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद बने हालात के मद्देनजर भारत सरकार ने उत्तरकाशी के इनर लाइन क्षेत्र में सैलानियों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी थी। इनमें उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 115 किमी के फासले पर स्थित नेलांग घाटी भी शामिल है। यह समूची घाटी प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज है। कहा जाता है कि यह घाटी स्विटजरलैंड की तरह खूबसूरत है। 

    साथ ही लाहौल स्फीति और लद्दाख की झलक भी यहां देखी जा सकती है। इस सबको देखते हुए नेलांग को इनर लाइन से बाहर करने की मांग लगातार उठती रही है। हालांकि, सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नेलांग घाटी में वर्ष 2015 में गृह मंत्रालय ने भारतीयों को अनुमति लेकर जाने की इजाजत दे दी, पर विदेशी सैलानियों पर प्रतिबंध बरकरार रहा। 

    अलबत्ता जून 2017 में देशी-विदेशी सैलानियों को अनुमति लेकर नेलांग जाने की इजाजत दे दी गई, लेकिन वे वहां रात्रि में ठहर नहीं सकते। पर्यटन को आर्थिकी का अहम जरिया बनाने में जुटी प्रदेश सरकार का ध्यान भी अब नेलांग घाटी पर गया है। इसी कड़ी में नेलांग को इनर लाइन की सभी प्रकार की बंदिशों से मुक्त करने की दिशा में कसरत की जा रही है। 

    पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत से मुलाकात कर उन्होंने गंगा घाटी में स्थित हर्षिल, मुखबा व बगौरी की भांति नेलांग घाटी को भी इनरलाइन से बाहर करने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि जनरल रावत ने इस पर सहमति जताई है। पर्यटन मंत्री ने कहा कि नेलांग घाटी के इनर लाइन से बाहर होने के बाद यह क्षेत्र पर्यटन के लिहाज से एक बहुत बड़े केंद्र के रूप में उभरेगा।

    क्या होती है इनर लाइन 

    दूसरे देशों की सीमाओं के नजदीक स्थित वह क्षेत्र, जो सामरिक दृष्टि से महत्व रखता हो, उसे इनर लाइन घोषित किया जाता है। इस क्षेत्र में सिर्फ स्थानीय लोग ही प्रवेश कर सकते हैं। विदेशी सैलानियों को वहा जाने के लिए इनर लाइन परमिट लेना होता है। इसके बाद भी वह एक तय सीमा तक ही इनर लाइन क्षेत्र में घूम सकते हैं, रात्रि विश्राम नहीं कर सकते। उत्तराखंड में उत्तरकाशी के अलावा चमोली व पिथौरागढ़ जिलों में भी चीन सीमा से लगे इनर लाइन क्षेत्र हैं।

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