India China LAC Border News: हिमवीरों ने बाड़ाहोती से खदेड़े थे 200 चीनी सैनिक
उत्तराखंड के चमोली जिले की मलारी घाटी में बाड़ाहोती चीनी घुसपैठ की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील है। यहां वर्ष 2017 में घुसे 200 चीनी सैनिकोंं को हिमवीरों नेे खदेड़ दिया था।
उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। उत्तराखंड के चमोली जिले की मलारी घाटी में स्थित बाड़ाहोती चीनी घुसपैठ की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील है। वर्ष 2017 में तीन से आठ जुलाई के बीच 200 चीनी सैनिक बाड़ाहोती में घुस आए थे। हालाकि, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) के जवानों ने उन्हें खदेड़ दिया। तब इसी माह चीनी सेना ने बाड़ाहोती में पांच बार घुसपैठ की। यहां अक्सर भारतीय चरावाहों से उनका आमना-सामना हो जाता है। कई बार चीनी सैनिक चरवाहों की खाद्य सामाग्री भी नष्ट कर चुके हैं।
उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ उत्तराखंड के यही तीन जिले चीन के साथ बार्डर साझा करते हैं। उत्तरकाशी जिले में 122, चमोली में 88 और पिथौरागढ़ जिले की 135 किमी लंबी सीमा चीन से लगती है। लेकिन, इन तीनों जिलों में सर्वाधिक संवेदनशील है चमोली का बाड़ाहोती। यह अकेला ऐसा स्थान है, जहा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए)के सैनिक गाहे-बगाहे घुसपैठ करते रहे हैं।
आकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक चीनी सेना बाड़ाहोती में दस बार घुसपैठ कर चुकी है। दरअसल, बाड़ाहोती दस किमी लंबा और तीन किमी चौड़ा चारागाह है। जोशीमठ से 102 किमी दूर अंतिम भारतीय पोस्ट रिमखिम से बाड़ाहोती तीन किमी दूर है। इस चारागाह से चार किमी दूर तिब्बत का तुनजन लॉ इलाका है। चीनी सेना यहा कैंप करती है।
पिथौरागढ़ में भारत रणनीतिक दृष्टि से मजबूत
उत्तरकाशी जिले की सीमा से सटी नेलाग घाटी में वर्ष 1962 के बाद से कभी चीन ने हद नहीं लाघी, लेकिन इस वर्ष मई में यहा चीनी सैनिकों के साथ जवानों के झड़प की चर्चा सुर्खियों में रही। यह अलग बात है कि स्थानीय प्रशासन, शासन और सरकार ने इससे साफ इन्कार किया। वहीं पिथौरागढ़ में भारत रणनीतिक दृष्टि से मजबूत स्थिति में है।
जाबाजों का हौसला तो बुलंद है ही, सीमा पर स्थित तीन दर्रे भारत की सुरक्षा को और मजबूत बनाते हैं। धारचूला तहसील में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रा और मुनस्यारी तहसील में पड़ने वाले कुंगरी-विंगरी और ऊंटाधूरा दर्रे समुद्रतल से करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं।
चीन के लिए इन दर्रोको लाघना आसान नहीं है। भारतीय क्षेत्र के ऊंचाई पर होने के कारण चीन की हरकतों पर नजर रखना भी आसान है। यही वजह है कि वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान चीन ने इस सीमा पर कोई हिमाकत नहीं की।
उत्तरकाशी में हवाई पट्टी का कार्य भी अंतिम चरण में
भारत चीन की मंशा अच्छी तरह से समझता है। यही वजह है कि उत्तरकाशी के पास चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी का निर्माण अंतिम चरण में है। सेना और वायु सेना इस हवाई पट्टी को लगातार परख रहे हैं। इसी माह दस जून को वायु सेना ने यहा अपने मालवाहक विमान के टेकऑफ और लैंडिंग का अभ्यास किया। चिन्यालीसौड़ से चीन सीमा की हवाई दूरी सिर्फ 126 किमी है।
पिथौरागढ़ जिले में लिपुलेख तक 80 किमी सड़क बनाने के बाद इसी जिले में सीमा पर स्थित मिलम तक भी सड़क बनाने का कार्य तेज कर दिया गया है। ऑलवेदर रोड के तहत चारों धाम तक सड़क के मरम्मत का कार्य जारी है तो उत्तरकाशी जिले की नेलाग घाटी में सड़कों का जाल बिछाया जा चुका है। इन दिनों जगह-जगह मरम्मत का कार्य किया जा रहा है।