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जलवायु परिवर्तन का असर, लाली नहीं बिखेर पाया इस बार बुरांश

जंगलों में बुरांश के फूल बेहद ही कम खिलने के कारण गांवों के स्वयं सहायता समूह को जूस के लिए बुरांश के फूल न के बराबर मिले हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 09 Apr 2018 04:18 PM (IST)Updated: Tue, 10 Apr 2018 05:27 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन का असर, लाली नहीं बिखेर पाया इस बार बुरांश
जलवायु परिवर्तन का असर, लाली नहीं बिखेर पाया इस बार बुरांश

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: उत्तराखंड के मध्य हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का असर वनस्पतियों के साथ लोगों की आजीविका पर भी पड़ रहा है। इस बार जंगलों में बुरांश के फूल बेहद ही कम खिलने के कारण गांवों के स्वयं सहायता समूह को जूस के लिए बुरांश के फूल न के बराबर मिले हैं। जिससे यात्रियों और जूस के शौकीनों को आसानी से बुरांश का जूस उपलब्ध नहीं हो सकेगा।

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उत्तरकाशी की प्रमुख उन्नति स्वयत्त सहकारी समिति से जुड़े भूपेंद्र रावत कहते हैं कि इस बार जंगलों की खाक छानने के बाद इस बार केवल 100 लीटर बुरांश का रस (पल्प) के लिए फूल मिल पाए हैं, जबकि बीते वर्ष उन्होंने पर्याप्त बुरांश के फूल मिल गए थे। जिससे उन्होंने आठ सौ लीटर पल्प तैयार किया था। गढ़वाल केंद्रीय विवि श्रीनगर में बीज विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग के प्रो. जेएस भंडारी कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन विश्वव्यापी हैं, इसके असर से हिमालयी क्षेत्र में अछूता नहीं है। 

यहां फसल के साथ बुरांश पर भी इसका असर दिख रहा है। पीजी कालेज उत्तरकाशी में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर महेंद्र पाल परमार कहते हैं कि उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र को बुरांश का गढ़ माना जाता है। जौनसार-जौनपुर की पहाड़ि‍यों से लेकर चमोली के ग्वलदाम-गैरसैंण के 1650 मीटर से 3400 मीटर की ऊंचाई तक के क्षेत्र में बुरांश के जंगल हैं। 

उत्तराखंड में बुरांश ये प्रजातियां रोडोडेड्रोन बारबेटम, रोडोडेंड्रोन केन्पानुलेटम, रोडोडेंड्रोन एरबोरियम और रोडोडेंडोन लेपिडोटम पायी जाती हैं। उत्तराखंड सरकार ने बुरांश की खूबसूरती को लेकर इससे राज्य वृक्ष का भी दर्जा दिया है। अमूमन बुरांस 15 मार्च से लेकर 15 अप्रैल के मध्य तक खिलता है। लेकिन, इस बार बुरांश के फूल समय से पहले ही खिल गए थे तथा वे फूल भी सही ढंग से नहीं खिले। 

जूस व्यवसाय से जुड़े वीर सिंह कहते हैं कि बुरांश के सही ढंग से न खिलने से ग्रामीण काश्तकारों के चेहरे भी मुरझाएं हुए हैं। इस बार जूस तैयार करने के लिए जंगलों में बुरांश नहीं मिल सके। बुरांश के लिए पहले उन्होंने मुखेम रेंज के जंगलों में छान मारी, जिसके बाद टकनौर क्षेत्र के रैथल गांव के निकट कुछ बुरांश के फूल मिल सके। 

बुरांश के फायदे 

बुरांश जूस को हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा यह पुष्प तेज बुखार, गठिया, फेफड़े संबंधी रोग में भी इंफलामेसन, उच्च रक्तचाप, हीमोग्लोबिन बढ़ाने, भूख बढ़ाने, आयरन की कमी दूर करने, हृदय और पाचन संबंधी रोगों में लाभदायक है।

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