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अब बुरांश के जल्दी खिलने के रहस्य से उठेगा पर्दा

अब बुरांश के जल्दी खिलने के रहस्य से पर्दा उठेगा। नैनीताल जनपद के किलबरी, पटवाडांगर और भवाली के पास वन आरक्षित एरिया में इस पर शोध किया जा रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 16 Mar 2018 08:54 PM (IST)Updated: Sun, 18 Mar 2018 10:11 AM (IST)
अब बुरांश के जल्दी खिलने के रहस्य से उठेगा पर्दा
अब बुरांश के जल्दी खिलने के रहस्य से उठेगा पर्दा

हल्द्वानी, [गोविंद बिष्ट]: बुरांश का समय से पहले खिलना पर्यावरणविद् और वन विभाग के लिए पहेली बन चुका है। इस पहेली को सुलझाने के लिए वन महकमा अब शोध में जुटा है। 

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वन वर्धनिक उत्तराखंड द्वारा नैनीताल जनपद के किलबरी, पटवाडांगर और भवाली के पास वन आरक्षित एरिया में इस पर शोध किया जा रहा है। तीनों लोकेशन में 20-20 पेड़ों को मार्क करने के बाद उनकी मॉनीटरिंग की जा रही है। समय से पूर्व फूल खिलने और दोबारा बीज विकसित न होने जैसे बिंदुओं को रिसर्च में शामिल किया गया है। इसके अलावा लोकेशन का तापमान भी नोट किया जा रहा है। कैंपा मद के जरिए इस काम को किया जा रहा है। लंबे प्रोजेक्ट के दौरान बुरांश की फीनोलॉजी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का गहन अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। 

1800-2400 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद 

राज्य पुष्प बुरांश 1800-2400 मीटर की ऊंचाई पर मिलता है। बांज के साथ ही बुरांश खिलता है। चीड़ के जंगल के बाद बांज और बुरांश पनपता है। जल संरक्षण को लेकर काफी अहम माने जाने वाले बांज के बाद मोरो, खिर्सू आदि उच्च हिमालयी वनस्पतियों का जंगल शुरू होता है। 

औषधीय गुणों से युक्त बुरांश 

बुरांश का फूल औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। इसके जूस की काफी डिमांड है। हीमोग्लोबीन बढ़ाने, भूख बढ़ाने, आयरन की कमी दूर करने व हृदय रोग में भी इसे कारगर माना जाता है। बुरांश से बनने वाले खाद्य पदार्थों जूस, चटनी और औषधीय प्रोडेक्ट की बाजार में काफी डिमांड है। 

सहायक वन वर्धनिक आरसी कांडपाल ने बताया कि जनवरी में बुरांश का खिलना चिंताजनक है। सर्दियों में ठंड का न पडऩा इसकी वजह हो  हो सकता है। तीन साल तक इस पर शोध किया जाएगा। तीनों साइट पर 20-20 पेड़ों को चिह्नित कर शोध शुरू हो गया है। 

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