हिमालय की गोद में योग का गुरुकुल, देश-दुनिया में साधक जगा रहे योग की अलख
गगन चूमते हिमशिखरों के बीच बसे उत्तरकाशी की पहचान हिमालय योग नगरी के रूप में भी है। यहां से प्रशिक्षण लेकर देशी और विदेशी साधक देश व दुनियां में योग की अलग जगा रहे हैं।
उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: गगन चूमते हिमशिखरों के बीच बसे उत्तरकाशी की पहचान हिमालय योग नगरी के रूप में भी है। यहां जिला मुख्यालय से आठ किमी की दूरी पर स्थित नेताला में शिवानंद कुटीर (शिवानंदा योगा वेदांता सेंटर) योग को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के साथ ही योग शिक्षक तैयार करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। योगा टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत शिवानंद कुटीर से अब तक 2500 देशी-विदेशी योग साधक प्रशिक्षण प्राप्त कर देश-दुनिया में योग की अलख जगा रहे हैं।
वर्ष 1957 में स्थापित इस आश्रम में वर्ष 2000 से योगा टीचर्स ट्रेङ्क्षनग प्रोग्राम और योग साधना इंटेन्सिव का कोर्स कराया जा रहा है। योगा टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम का कोर्स एक माह का होता है, जबकि साधना इंटेन्सिव 14 दिन का कोर्स है। जिसमें वर्ष 2019 के लिए पंजीकरण हो चुके हैं।
योग प्रशिक्षण देने वाले स्वामी जनार्दनानंद बताते हैं कि योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले स्वामी शिवानंद एवं उनके शिष्य स्वामी विष्णुदेवानंद का उत्तरकाशी से गहरा नाता रहा है। वर्ष 1990 में स्वामी विष्णुदेवानंद ने यहां गंगोत्री हाईवे के निकट नेताला में शिवानंद कुटीर की स्थापना की। यहां वर्ष 2000 से योगा टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स और योग साधना इंटेन्सिव कोर्स संचालित किए जा रहे हैं।
योग प्रशिक्षक स्वामी हरिओमानंद बताते हैं कि इस केंद्र में वर्षभर में पांच कोर्स चलते हैं। एक कोर्स में केवल 25 से 30 योग साधकों को दाखिला दिया जाता है। अब तक इस केंद्र से 2500 से अधिक योग प्रशिक्षक तैयार हो चुके हैं। इनमें अधिकांश विदेशी हैं।
शिवानंद कुटीर नेताला की निदेशक माता परमेश्वरी आनंद बताती हैं कि योग कक्षाओं में सुबह-शाम दो-दो घंटे का योगाभ्यास कराया जाता है। दोनों वक्त एक-एक घंटे का ध्यान होता है, जबकि दोपहर के वक्त योग शास्त्र के बारे में पढ़ाया जाता है। इन दिनों 24 युवक व युवतियां योग शिक्षक का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें 12 भारतीय और 12 विदेशी साधक शामिल हैं।
विदेशों में कर रहे योग का प्रसार
शिवानंदा योगा वेदांता सेंटर नेताला से योग शिरोमणि की उपाधि हासिल कर चुके कोटबंगला के पीयूष बनूनी अभी जर्मनी में योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इससे पहले पीयूष रूस, चीन, बहमास सहित कई देशों में योग का प्रशिक्षण दे चुके हैं।
बौंगा गांव के कृष्णानंद बिजल्वाण भी विश्व के कई देशों के साथ भारत में भी कई स्थानों पर योग का प्रशिक्षण दे चुके हैं। बीते वर्ष योग दिवस पर कृष्णानंद बिजल्वाण ने उत्तरकाशी में योग का प्रशिक्षण दिया था। सिरोर गांव के विजय मेहरा शिवानंदा योगा वेदांता के दिल्ली सेंटर के शाखा निदेशक हैं और वहां लोगों को योग प्रशिक्षण दे रहे हैं।
इसी तरह नेताला गांव के यशपाल केरल स्थित शिवानंदा योगा वेदांता शाखा के निदेशक हैं और वहां योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसके अलावा नेताला के नवीन राणा व मीरा, धनारी के हरीश नौटियाल आदि युवा भी स्वदेश के साथ विदेशों में जाकर लोगों को योग के गुर सिखा रहे हैं।
मलेशिया से आकर ऋषिकेश बनाया केंद्र
आजादी से पूर्व मलेशिया में चिकित्सक की नौकरी छोड़कर ऋषिकेश आए स्वामी शिवानंद ने यहां दिव्य जीवन संघ के माध्यम से लोगों की सेवा शुरू की। यहां से उन्होंने योग, ध्यान एवं साधना का प्रसार किया।
वर्ष 1957 में उन्होंने अपने शिष्य स्वामी विष्णुदेवानंद को योग के प्रसार के लिए विदेश भेजा। वर्ष 1963 में स्वामी शिवानंद के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके शिष्य ने विभिन्न देशों में शिवानंद योग वेदांत केंद्रों की स्थापना कर योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
वर्तमान में देश के साथ ही विभिन्न मुल्कों में 40 शिवानंदा योगा वेदांता सेंटर और आठ आश्रम चल रहे हैं। वर्ष 1993 में ब्रह्मलीन होने पर स्वामी विष्णुदेवानंद को नेताला में ही समाधि दी गई।
यहां बनाया विश्व रिकार्ड
भारतीय सेना की नौ महिला अधिकारियों ने इसी माह प्रथम सप्ताह में गंगोत्री हिमालय की 19022 फीट ऊंची भागीरथी चोटी पर योग का प्रदर्शन किया। इससे पूर्व सियाचिन क्षेत्र में सेना ने 18800 फीट की ऊंचाई पर योग अभ्यास किया था।
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