आकाश चूमने के शौकीनों का गंगोत्री हिमालय में बसता है संसार
गंगोत्री हिमालय की 40 से अधिक चोटियां विश्वभर में विख्यात हैं, जिन्हें पर्वतारोही एवरेस्ट फतह की सीढ़ियां मानते हैं। प्रसिद्ध पर्वतारोहियों ने प्रशिक्षण इन्हीं चोटियों पर लिया।
उत्तरकाशी [शैलेंद्र गोदियाल]। आकाश चूमती चोटियों पर चढ़ने के शौकीनों की दुनिया गंगोत्री हिमालय में बसती है। यहां की 40 से अधिक चोटियां विश्वभर में विख्यात हैं, जिन्हें पर्वतारोही एवरेस्ट फतह करने वाली सीढ़ियां मानते हैं। दुनिया के ज्यादातर प्रसिद्ध पर्वतारोहियों ने एवरेस्ट की चढ़ाई का प्रशिक्षण इन्हीं चोटियों पर लिया।
आइएमएफ (इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन) ने देश में सर्वाधिक चढ़ी जाने वाली चोटियां इसी क्षेत्र में चिह्नित की हैं। इन दिनों भी गंगोत्री हिमालय की वादियां देश-दुनिया के पर्वतारोहियों की चहलकदमी से गुलजार हैं।
पर्वतारोहण के लिए छोटी-बड़ी कई चोटियां होने के कारण उत्तरकाशी जिले में दुनिया का नामचीन नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) भी स्थापित है। यहां से बछेंद्रीपाल, डॉ. हर्षवंती बिष्ट, सुश्री चंद्रप्रभा ऐतवाल, संतोष यादव, अर्जुन वाजपेयी, कृष्णा पाटिल, लवराज धर्मशक्तु, सुमन कुटियाल जैसे तमाम प्रसिद्ध पर्वतारोहियों के अलावा हजारों लोग प्रशिक्षण पा चुके हैं।
गंगोत्री हिमालय की रेंज में पड़ने वाली बंदरपूंछ चोटी का आरोहण सबसे पहले प्रसिद्ध पर्वतारोही शेरपा तेनजिंग नॉर्गे ने वर्ष 1950 में किया था। इसके बाद 29 मई 1953 को शेरपा तेनजिंग नॉर्गे व एडमंड हिलेरी ने एवरेस्ट आरोहण का रिकार्ड बनाया।
गंगोत्री क्षेत्र की प्रमुख 18 चोटियों का आरोहण करने वाले एवरेस्ट विजेता विष्णु सेमवाल बताते हैं कि गंगोत्री हिमालय में कुछ चोटियों के आरोहण के ट्रैक सामान्य हैं तो कुछ के बेहद मुश्किल। इन पर पर्वतारोहियों को खुद ही रस्सी बांधकर आगे बढ़ना पड़ता है।
टेक्निकल चोटियों में थलै सागर व शिवलिंग चोटी शामिल हैं। इसी कारण इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (आइएमएफ) ने देश में सबसे अधिक आरोहण की जाने वाली उत्तरकाशी जिले की चोटियों को चिह्नित किया है।
अन्य प्रमुख चोटियां
द्रोपदी का डांडा (डीकेडी), स्वर्गारोहणी, जोनली, काला नाग, स्वाचांद, गंगोत्री-प्रथम, गंगोत्री-द्वितीय, गंगोत्री-तृतीय, कारछा कुंड, भारतेखुंटा, मांडा, शिव¨लग, सुदर्शन पर्वत, जोगिन-प्रथम, जोगिन-द्वितीय, जोगिन-तृतीय, भागीरथी-प्रथम, भागीरथी-द्वितीय, भागीरथी-तृतीय, मेरू-पश्चिम, मृगथान (मेरू उत्तर), मेरू-दक्षिण, कीर्तिस्तंभ, सैफी, श्रीकंठा, थेलू, रुद्रगैरा आदि। देशी-विदेशी टैकर्स पर नजर
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