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    गंगोत्री धाम से से दूर हुई गंगा की जलधारा, घाटों पर आचमन व स्नान को नहीं मिल पाएगा जल

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sat, 19 Apr 2025 05:00 AM (IST)

    Gangotri Dham गंगोत्री धाम में आगामी चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को स्नान और आचमन के लिए गंगा जल मिलने में कठिनाई होगी। घाटों के आगे मलबा जमा होने से गंगा नदी दूर चली गई है जिससे यात्रियों को परेशानी हो सकती है। जिला प्रशासन घाटों की मरम्मत कर रहा है पर समस्या बनी हुई है। पूरी खबर जानिए विस्‍तार से।

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    गंगोत्री धाम में स्नान घाटों पर आचमन व स्नान को नहीं मिल पाएगा जल। जागरण

    जागरण संवाददाता, गंगोत्री (उत्तरकाशी) । Gangotri Dham: आगामी चारधाम यात्रा के दौरान गंगोत्री धाम में श्रद्धालुओं को स्नान घाटों पर आचमन व स्नान के लिए जल नहीं मिल पाएगा। दरअसल, धाम में स्नान घाटों के आगे मलबे का ढेर जमा है। इस कारण भागीरथी (गंगा) नदी घाटों से दूर बह रही है, जिसके चलते श्रद्धालुओं को आचमन व स्नान के लिए परेशानी उठानी पड़ सकती है।

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    बता दें कि चारधामों में प्रमुख गंगोत्री धाम में चारधाम यात्रा के दौरान देश-विदेश के श्रद्धालु गंगोत्री मंदिर के साथ ही गंगा की जलधारा में स्नान व आचमन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मानसून सीजन के दौरान यहां गंगा अपने पूरे रौद्र रूप में बहती है। इसके चलते बड़ी मात्रा में मलबा व पत्थर हर साल स्नान घाटों की तरफ जमा हो जाते हैं।

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    बाढ़ से स्नान घाटों को पहुंची थी भारी क्षति

    बीते वर्ष मानसून सीजन में तो यहां गंगा नदी में बाढ़ जैसी स्थिति के चलते स्नान घाटों को भारी क्षति पहुंची थी। हालांकि, जिला प्रशासन की ओर से यहां घाटों की मरम्मत का काम किया जा रहा है, लेकिन मलबे के चलते गंगा की जलधारा घाटों से कुछ दूरी पर बह रही है।

    इस कारण यात्रा सीजन के दौरान श्रद्धालुओं को आमचन व स्नान के लिए परेशानी उठानी पड़ सकती है। वर्तमान समय में जो भी श्रद्धालु धाम पहुंच रहे हैं, उन्हें आचमन, स्नान व जल भरने के लिए घाटों के आगे मलबे को पार कर नदी की जलधारा तक पहुंचना पड़ रहा है।

    नदी को किया जा रहा चैनलाइज

    धाम स्नान घाटों के काम में गति लाने के लिए भागीरथी नदी के बहाव को दूसरे किनारे पर करने का काम किया जा रहा है। गत वर्ष यहां नदी का पूरा बहाव गंगा मंदिर वाले किनारे की तरफ होने से भारी क्षति हुई थी।

    गंगोत्री में ही सबसे पहले धरा पर उतरी थीं गंगा

    तीर्थपुरोहित राजेश सेमवाल ने बताया कि पवित पावनी मां गंगा धरा पर सबसे पहले गंगोत्री में उतरी थीं। इस कारण इसे गंगोत्री अर्थात गंगा उतरी कहा जाता है। बताया कि यहां गंगा मंदिर के दर्शन से पूर्व गंगा नदी में स्नान, आचमन का बढ़ा महत्व है। इसी कारण यात्रा सीजन में यहां लाखों श्रद्धालु गंगा नदी में आचमन व स्नान करने जुटते हैं। साथ ही अपने साथ लाखों लीटर जल लेकर जाते हैं।

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    स्नान घाट पर जल न होने से दुर्घटना का खतरा

    धाम में स्नान घाट के आसपास पूरे सुरक्षा इंतजाम जैसे रेलिंग, चेन आदि का प्रबंध रहता है, लेकिन जब नदी घाट से दूरी पर बहती है तो वहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं रहती है। इस कारण दुर्घटना का खतरा रहता है। पूर्व में भी यात्रा सीजन के दौरान कई यात्रियों के नदी की जलधारा में बहने की घटना हो चुकी है। इसे लेकर प्रशासन की आरे से कदम उठाए जाने की जरूरत है।

    गंगोत्री धाम में चैनलाइजेशन का काम चल रहा है। मंदिर समिति के कहने पर घाट की तरफ सफाई के लिए पानी को रुकवाया था। पानी को ऊपर से बंद किया हुआ है। घाट की तरफ पानी लाया जाएगा। - सचिन सिंघल, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग उत्तरकाशी।

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