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उच्च हिमालय में खिलते हैं चार तरह के कमल, जानिए इनकी खासियत

हिमालय की घाटी तलहटी और बुग्यालों (पहाड़ में मखमली घास के मैदान) में फूलों का अद्भुत संसार बसा हुआ है। इनमें सबसे खास हिमालय के चार कमल हैं।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 13 Jun 2019 01:39 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jun 2019 09:04 PM (IST)
उच्च हिमालय में खिलते हैं चार तरह के कमल, जानिए इनकी खासियत
उच्च हिमालय में खिलते हैं चार तरह के कमल, जानिए इनकी खासियत

उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। हिमालय की घाटी, तलहटी और बुग्यालों (पहाड़ में मखमली घास के मैदान) में फूलों का अद्भुत संसार बसा हुआ है। इनमें सबसे खास हिमालय के चार कमल हैं। इनके दीदार को हर पर्यटक लालायित रहता है।

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हिमालय के बुग्याली क्षेत्र और घाटी-तलहटी में चार कमलों का खिलना जून से शुरू हो जाता है। स्थानीय समुदाय के बीच ये चार कमल (नील कमल, ब्रह्मकमल, फेन कमल व कस्तूरा कमल) पूजनीय माने जाते हैं।

ब्रह्मकमल का वेदों में भी है उल्लेख 

हिमालय में उगने वाले कमल पुष्पों में ब्रह्मकमल (सौसुरिया ओबव्ल्लाटा) सबसे प्रमुख है। इसे उत्तराखंड के राज्य पुष्प का दर्जा हासिल है। वेदों में भी इस पुष्प का उल्लेख मिलता है। इसलिए इसे देव पुष्प कहा गया है। 

समुद्रतल से 3600 मीटर से लेकर 4500 मीटर की ऊंचाई पर जून से लेकर सितंबर के मध्य तक यह पुष्प आसानी से मिल जाता है। गंगोत्री नेशनल पार्क के केदारताल, नेलांग घाटी, तपोवन, नंदनवन, क्यारकोटी बुग्याल, गिडारा बुग्याल आदि क्षेत्रों में भी ब्रह्मकमल का दीदार किया जा सकता है। इसके पौधे की ऊंचाई 70 से 80 सेमी तक होती है।

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर महेंद्रपाल परमार बताते हैं कि ब्रह्मकमल जहां भी खिलता है, वहां का वातावरण सुगंध से भर जाता है। पुष्प के चारों ओर पारदर्शी ब्लैडर के समान पत्तियां की रचना होती है। इसे स्पर्श करने मात्र से ही हाथों में कई घंटों तक सुगंध रहती है। 

ऊन की भांति नजर आता है फेन कमल 

फेन कमल (सौसुरिया सिम्पसोनीटा) हिमालयी क्षेत्र में 4000 से 5600 मीटर तक की ऊंचाई पर जुलाई से सितंबर के मध्य खिलता है। इसका पौधा छह से 15 सेमी तक ऊंचा होता है और फूल प्राकृतिक ऊन की भांति तंतुओं से ढका रहता है। फेन कमल बैंगनी रंग का होता है। 

बर्फ की तरह सफेद होता है कस्तूरा कमल 

ऐसा ही एक कमल बर्फ की तरह सफेद होता है, जिसे कस्तुरा कमल कहते हैं। कस्तूरा कमल (सौसुरिया गॉसिपिफोरा) भी फेन कमल की प्रजाति में ही आता है। 

दुर्लभ है नील कमल 

हिमालय का चौथा कमल नील कमल (जेनशियाना फाइटोकेलिक्स) है। जो समुद्रतल से  3500 मीटर से लेकर 4500 मीटर तक की ऊंचाई पर मिलता है। जानकारी के अभाव में कम ही पर्यटक नील कमल को पहचान पाते हैं।

प्रसिद्ध हिमालयी फोटोग्राफर 63-वर्षीय गुलाब सिंह नेगी कहते हैं, जब पर्यटक हिमालय के चार कमल के बारे में सुनते हैं तो उन्हें देखने और छूने के लिए बेहद उत्सुक होते हैं। उन्होंने स्वयं कई पर्यटकों को नील कमल, ब्रह्मकमल, फेन कमल व कस्तुरा कमल से परिचत कराया है। बताते हैं कि फेन कमल, कस्तूरा कमल और ब्रह्मकमल तो आसानी से दिख जाते हैं, लेकिन नील कमल काफी दुर्लभ है। 

हिमालय के ये फूल भी खास 

हिमालय में वैसे तो 500 से ज्यादा प्रजातियों के फूल देखने को मिल जाते हैं, लेकिन इनमें हिमालयी नीली पॉपी, ऑरेंज पॉनीटेला, अस्ट्रालागस, रोजा जैसे फूल खास हैं। 

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