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    यमुनोत्री में 14 साल में चार आपदाएं

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 18 Jul 2018 03:01 AM (IST)

    ओंकार बहुगुणा, बड़कोट (उत्तरकाशी) यमुनोत्री धाम आपदा की दृष्टि से पहले से ही अति सं

    यमुनोत्री में 14 साल में चार आपदाएं

    ओंकार बहुगुणा, बड़कोट (उत्तरकाशी): यमुनोत्री धाम आपदा की दृष्टि से पहले से ही अति संवेदनशील रहा है। 14 साल में यमुनोत्री धाम में 4 बड़ी आपदा की घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन, इन घटनाओं से न सरकार ने सबक लिया और न ही तीर्थपुरोहितों ने। धाम में सुरक्षा एवं सुविधा विस्तार पर किसी का ध्यान नहीं गया है।

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    समुद्र तल से 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित उत्तराखंड के चार धामों में पहला धाम यमुनोत्री पड़ता है। अधिकांश यात्री यमुनोत्री से ही चारधाम की यात्रा शुरू करते हैं। यह पहला धाम आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। वर्ष 2004 में यमुना नदी के उद्गमस्थल सप्तऋषि कुंड क्षेत्र में बादल फटने से यमुना में उफान आया। उफान आने के कारण यमुनोत्री धाम में मलबा घुस गया, जिसमें छह लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए। इसी आपदा के दौरान यमुनोत्री मंदिर से लगी हुई पहाड़ी (का¨लदी पर्वत) से भी भूस्खलन हुआ तथा मंदिर के ऊपर गिरा था। इससे मंदिर को भी आंशिक नुकसान हुआ था। बादल फटने की दूसरी बड़ी घटना यमुनोत्री में 2007 में हुई। जब यमुनोत्री से आधा किलोमीटर सप्तऋषिकुंड की ओर त्रिवेणी नामक स्थान पर झील बन गई थी। इस झील के कारण यमुनोत्री धाम में यमुना की अपस्ट्रीम में भारी मलबा जमा हुआ, जो यमुनोत्री धाम के लिए खतरा बना। वर्ष 2013 में भी बादल फटने स यमुनोत्री में घाटों को भारी नुकसान हुआ। लेकिन, इन घटनाओं से किसी ने भी सबक नहीं लिया। यमुनोत्री धाम में नदी किनारे बिना मास्टर प्लान निर्माण होते रहे।