Move to Jagran APP

रक्तवन घाटी से लौटी अन्वेषण टीम, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि की टीम ने किया अनाम चोटियों का नामकरण

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान और भारतीय पर्वतारोहण संस्थान के सदस्यों के साथ आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि की टीम ने हिमालय के गंगोत्री रेंज की तीन अनाम चोटियों का सफलतापूर्वक आरोहण कर उनका नामकरण भी किया। यह अभियान दल 14 सिंतबर को गंगोत्री धाम से रवाना हुआ था।

By JagranEdited By: Nirmala BohraPublished: Tue, 27 Sep 2022 12:17 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 12:17 PM (IST)
रक्तवन घाटी से लौटी अन्वेषण टीम, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि की टीम ने किया अनाम चोटियों का नामकरण
पतंजलि योगपीठ पहुंचने पर आचार्य बालकृष्ण का अभिनंदन करते योगगुरू बाबा रामदेव। साभार पतंजलि

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : नेहरू पर्वतारोहण संस्थान और भारतीय पर्वतारोहण संस्थान के सदस्यों के साथ आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि की टीम ने हिमालय के गंगोत्री रेंज की तीन अनाम चोटियों का सफलतापूर्वक आरोहण कर उनका नामकरण भी किया। इनमें सबसे ऊंची चोटी का नाम राष्ट्रऋषि, दूसरी चोटी का नाम योगऋषि और तीसरी चोटी का नाम आयुर्वेद ऋषि रखा गया है। इन तीनों चोटियों के मध्य के क्षेत्र का नाम ऋषि ग्लेशियर (ऋषि बामक) रखा गया है। इसके साथ ही पतंजलि के दल ने 550 दुर्लभ जड़ी-बूटियों की पहचान की है, जिन पर अनुसंधान किया जाएगा।

loksabha election banner

आचार्य बालकृष्ण के साथ निम के प्राचार्य कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में गोमुख से ऊपर अतिदुर्गम क्षेत्र की यात्रा से हरिद्वार लौटने पर पतंजलि विश्वविद्यालय के आडिटोरियम में पूरी टीम का अभिनंदन किया गया। योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि अनाम चोटियों का सफलतापूर्ण आरोहण कर आचार्य बालकृष्ण और कर्नल अमित बिष्ट ने इतिहास रचा है। यह क्षण गौरवान्वित करने वाला है। इन हिम शिखरों का अपनी परंपरा के आधार पर नामकरण कर आचार्य ने सनातन परंपरा और ऋषि संस्कृति के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है।

कहा कि आज से 42 साल पहले 1981 में इन चोटियों के आरोहण का अंतिम प्रयास हुआ था। वहीं आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि तीनों चोटियों की स्थिति और प्राकृतिक स्वरूप के आधार पर उनका नामकरण किया गया है। 6000 मीटर से ऊपर सबसे ऊंची चोटी को राष्ट्रवाद की परंपरा के आधार पर राष्ट्रऋषि, दूसरी चोटी का नाम योग परंपरा के आधार पर योगऋषि तथा तीसरी चोटी का नाम आयुर्वेद परंपरा के आधार पर आयुर्वेद ऋषि रखा गया। आचार्य ने कहा कि इस विजय यात्रा के दौरान लगभग 550 दुर्लभ जड़ी-बूटियों की पहचान कर उनकी चेकलिस्ट बना ली है और उनका हर्बेरियम तैयार किया जा रहा है। इन जड़ी-बूटियों पर गहन अनुसंधान किया जाएगा।

पतंजलि, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी और भारतीय पर्वतारोहण संस्थान नई दिल्ली ने संयुक्त रूप से गंगोत्री हिमालय के रक्तवर्ण ग्लेशियर क्षेत्र में पर्वतारोहण तथा अन्वेषण अभियान की शुरुआत 10 सितंबर से की थी, जो 25 सितंबर 2022 को समाप्त हुई।

रविवार की दोपहर को यह टीम गंगोत्री धाम में पहुंची। अन्वेषण अभियान के दौरान इस टीम ने रक्तवन घाटी में अनाम चोटी का भी आरोहण किया है। अपने अन्वेषण अभियान के दौरान इस दल ने मौसम की दुश्वारियां भी झेली। गंगोत्री हिमालय के रक्तवन क्षेत्र में यह अभियान दल 14 सिंतबर को गंगोत्री धाम से रवाना हुआ था।

अभियान का नेतृत्व निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट और पतंजलि आचार्य बालकृष्ण ने किया। इस संयुक्त अभियान का लक्ष्य अनाम चोटी का आरोहण के साथ नई जड़ी-बूटी और पादपों की खोज करना था। अपने अभियान के दौरान यह दल रक्तवन घाटी के उस क्षेत्र में गया। जिसमें 1981 के बाद से कोई मानवीय गतिविधि नहीं हुई थी।

1981 में रक्तवन क्षेत्र में भारत-फ्रांस का साझा पर्वतारोहण अभियान हुआ था। रक्तवन घाटी में वह पर्वतारोही दल श्याम वन ग्लेशियर से आगे वह दल नहीं जा पाया था। रविवार को यह अन्वेषण दल गंगोत्री पहुंचा। जहां इस दल का तीर्थ पुरोहितों ने स्वागत किया। इस दल में पतंजलि के जड़ी बूटी विशेषज्ञ डा. राजेश मिश्रा, वनस्पति विज्ञानी डॉ. भाष्कर जोशी निम के प्रशिक्षक दीप शाही, विनोद गुसांई तथा आइएफएफ के बिहारी सिंह राणा शामिल रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.