गोमुख में झील का अध्ययन करेगा विशेषज्ञों का दल
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि भागीरथी के उद्गम स्थल गोमुख के पास बनी झील का वैज्ञानिक अध्ययन कराया जाएगा।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: भागीरथी के उद्गम स्थल गोमुख के पास बनी झील का वैज्ञानिक अध्ययन कराया जाएगा। यह झील पिछले साल जुलाई में अस्तित्व में आई थी। इसके लिए आठ सदस्यीय दल मंगलवार को रवाना होगा और गुरुवार को लौटेगा। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि यह अध्ययन आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग की ओर से कराया जा रहा है।
वर्ष 2017 में मेरुपर्वत के पास नील ताल के टूटने से गोमुख के पास भारी भूस्खलन हुआ। ताल टूटने से मलबा करीब डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में फैल गया और एक झील बन गई। इसी झील और मलबे को लेकर विशेषज्ञ काफी चिंतित है। अब इसको लेकर अध्ययन कराया जा रहा है। टीम में भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की, भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण देहरादून, सिंचाई विभाग के विशेषज्ञों के अलावा भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस, राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) व जिला प्रशासन उत्तरकाशी के सदस्य शामिल हैं।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी के अनुसार अध्ययन में देखा जाएगा कि झील की वर्तमान स्थिति क्या है तथा गोमुख क्षेत्र में फैले मलबे से कोई खतरा तो नहीं है। भले ही वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पीएस नेगी के मुताबिक गंगोत्री ग्लेशियर के मुहाने पर पिछले साल जो झील अस्तित्व में आई थी, वह अब मलबे में तब्दील हो चुकी है।
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