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    Chardham Yatra: यमुनोत्री हाईवे पर भूस्खलन व दुर्घटना संभावित क्षेत्र बनेंगे परेशानी, आधा किमी का पैच भी खतरनाक

    By Jagran NewsEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Wed, 23 Apr 2025 10:07 AM (IST)

    उत्तरकाशी में यमुनोत्री धाम की यात्रा में भूस्खलन और दुर्घटना संभावित क्षेत्र तीर्थ यात्रियों के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। डाबरकोट भूस्खलन क्षेत्र पिछले आठ वर्ष से सक्रिय है और इसका स्थायी उपचार नहीं हो पाया है। इस क्षेत्र में हल्की-सी वर्षा होने पर ही भूस्खलन होता है और हाईवे पर मलबा व पत्थर आते हैं जिससे यमुना घाटी के 20 से अधिक गांव कट जाते हैं।

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    यमुनोत्री मार्ग पर डाबरकोट भूस्खलन जोन फिर बनेगा परेशानी का सबब

    अजय कुमार, उत्तरकाशी। यमुनोत्री धाम की यात्रा में भूस्खलन व दुर्घटना संभावित क्षेत्र इस बार भी तीर्थ यात्रियों के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। कारण यह कि इनका स्थायी उपचार नहीं हो पाया है। कहीं सुरक्षा के नाम पर सिर्फ पुलिसकर्मी तैनात हैं तो कहीं लोक निर्माण विभाग की जेसीबी व श्रमिक। 

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    इस मार्ग पर सबसे बड़ी चुनौती पिछले आठ वर्ष से सक्रिय डाबरकोट भूस्खलन क्षेत्र है। करीब ढाई करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी 700 मीटर लंबे इस भूस्खलन क्षेत्र का उपचार नहीं हो पाया। 

    हल्की-सी वर्षा होने पर ही यह भूस्खलन क्षेत्र सक्रिय हो जाता है और हाईवे पर मलबा व पत्थर आने से यमुना घाटी के 20 से अधिक गांव कट जाते हैं। यहां आलवेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत 400 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण प्रस्तावित है।

    उत्तरकाशी जनपद में धरासू से जानकीचट्टी तक लगभग 137 किमी लंबे यमुनोत्री हाईवे पर वैसे तो 10 सक्रिय भूस्खलन क्षेत्र हैं, लेकिन सबसे ज्यादा खतरनाक डाबरकोट है। यमुनोत्री धाम से करीब 35 किमी पहले स्थित यह भूस्खलन क्षेत्र वर्ष 2017 में सक्रिय होने के बाद से नासूर बना हुआ है। 

    वर्ष 2017 में यहां 11 सितंबर से तीन अक्टूबर तक लगातार भूस्खलन होने से हाईवे पर आवाजाही बंद रही थी। इसके बाद वर्ष 2018 में भी जून से अक्टूबर तक हाईवे यहां 1,200 घंटे से अधिक बंद रहा। फिलहाल, सुरक्षा के नाम पर यहां दो पुलिसकर्मी तैनात हैं, जो भूस्खलन होने पर राहगीरों को सतर्क करते हैं। अन्य भूस्खलन क्षेत्रों की भी यही स्थिति है।

    पुलिसकर्मी की जा चुकी जान

    इस मार्ग पर पहाड़ी से वाहनों पर पत्थर गिरने की आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। पुलिसकर्मी भी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करते हैं। डाबरकोट में कुछ समय पहले जाम खुलवाते समय एक पुलिसकर्मी की पत्थर की चपेट में आने से मौत हो गई थी। 

    साथ ही कई लोग मलबे व पत्थरों की चपेट में आकर घायल भी हो चुके हैं। 17 जुलाई 2018 को तत्कालीन डीएम डा. आशीष चौहान व तत्कालीन एसपी ददन पाल भी यहां फंस गए थे, जिन्हें पुलिसकर्मियों ने बचाया था।

    बड़कोट तहसील के पास आधा किमी का पैच खतरनाक

    यमुनोत्री हाईवे पर छटांगा व राजतर के बीच भी एक भूस्खलन क्षेत्र परेशानी का सबब बना हुआ है। तहसील मुख्यालय से पांच किमी दूर स्थित करीब आधा किमी का ये पैच इतना खतरनाक है कि पहाड़ी से आए मलबे से वायरक्रेट को भी नुकसान पहुंचा है।

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