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26 अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12.41 बजे खुलेंगे यमुनोत्री के कपाट

यमुनोत्री धाम के कपाट खोलने का मुहूर्त भी निकाला गया। धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर्व पर 26 अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12.41 बजे खोले जाएंगे।

By Edited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 03:46 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2020 10:59 AM (IST)
26 अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12.41 बजे खुलेंगे यमुनोत्री के कपाट
26 अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12.41 बजे खुलेंगे यमुनोत्री के कपाट

उत्तरकाशी, जेएनएन। यमुनाजी के शीतकालीन प्रवास खरसाली में देवी यमुना का प्रकटोत्सव लॉकडाउन के कारण सामान्य रूप से शारीरिक दूरी के साथ मनाया गया। इस दौरान यमुनाजी के निसाणों (प्रतीक चिह्नों) का अभिषेक कर दीपदान हुआ और यमुनोत्री धाम के कपाट खोलने का मुहूर्त भी निकाला गया। धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर्व पर 26 अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12.41 बजे खोले जाएंगे।

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मान्यता है कि चैत्र शुक्ल षष्ठी को यमुनाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इसलिए यह दिन उनके मायके खरसाली में उत्सव के रूप में मनाया जाता है। सोमवार सुबह यहां पुजारियों और यमुनोत्री मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने देवी यमुना की पूजा-अर्चना की। फिर यमुनाजी की भोग मूर्ति को पंचगव्य से स्नान कराकर, उन्हें गाय के घी से बने पारंपरिक व्यंजनों का भोग लगाया। यमुना मंदिर समिति खरसाली के सचिव कृतेश्वर उनियाल ने बताया कि यमुना जयंती पर यह अनुष्ठान पीढ़ि‍यों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। लेकिन, इस बार कोरोना महामारी स बचाव के लिए हुए लॉकडाउन के कारण सभी ने शारीरिक दूरी रखते हुए देवी यमुना की पूजा-अर्चना की। विदित हो कि इस बार 26 अप्रैल को यमुनोत्री व गंगोत्री धाम, 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम और 30 अप्रैल को बदरीनाथ के कपाट खोले जाने हैं।

लॉक डाउन में रम्माण मेले के आयोजन को लेकर असमंजस

कोरोना का असर सलूड़ डूंगरा गांव में आयोजित होने वाले विश्व सांस्कृतिक धरोहर रम्माण मेले पर पड़ सकता है। इस आयोजन को लेकर ग्रामीण असमंजस में हैं। क्योंकि 14 अप्रैल तक पूरे भारतवर्ष में लॉक डाउन है। 14 अप्रैल को ही भूमि क्षेत्रपाल मंदिर में भूमियाल देवता मंदिर में आते हैं तथा यहीं पर धार्मिक परंपरा के अनुसार रम्माण मेले के आयोजन को लेकर तिथि घोषित कर मेले का आयोजन शुरू होता है।

रम्माण मेला सलुड गांव में 500 साल से पुरानी परंपरा व संस्कृति है। मेले के दौरान दिन में क्षेत्रपाल भूमियाल देवता नृत्य व रात को मुखोटा नृत्य होता है। आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा इन मुखोटों से समाज में सनातन धर्म की रक्षा व लोगों को आशावान बनाने के लिए किया गया था। शंकरचार्य के शिष्यों द्वारा नुक्कड़ नाटकों के मध्यम से लोगों में धार्मिक जागरुकता लाई गई। 

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जिसमें रामायण के विभिन्न प्रसंगों का 18 ढोल दमाऊं व 18 भोंकरे की थाप पर जागरों में माध्यम से 18 पत्तर 18 तालों पर मूक नृत्य होता है। इसमें भारत तिब्बत व्यापार, गोरखा-गोरख्याणी, मल्ल युद्ध, कुरहवेगी, चोर, मोर मोरिन सहित कई शानदार हास्य से भरे किरदार होती हैं। भूमियाल देवता नृत्य करता है। इस धार्मिक आयोजन के संयोजक डॉ. कुशल सिंह भंडारी का कहना है कि पूरे भारतवर्ष में 14 अप्रैल तक लॉक डाउन है। रम्माण मेले के आयोजन को लेकर ग्रामीण असमंजस में हैं।

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