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    उधमसिंह नगर में भूमि धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश, सरगना सहित तीन गैंग्स्टर गिरफ्तार

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 09:42 PM (IST)

    काशीपुर में पुलिस ने जमीन की खरीद-फरोख्त में धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने बताया कि गिरोह के सदस्य फर्जी जमीन सौदों के माध्यम से लोगों से पैसे वसूलते थे। आरोपियों पर पहले से ही कई मामले दर्ज हैं और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है।

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    गैंग लीडर सहित तीन पर गैंगस्टर एक्ट के आरोपित गिरफ्तार।

    जागरण संवाददाता, काशीपुर। आइटीआइ पुलिस ने जमीन की खरीद-फरोख्त में आम लोगों के साथ धोखाधड़ी करने वाले एक संगठित गिरोह के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कर तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपितों में से एक महाविद्यालय का पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुका है।

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    सोमवार को एसएसपी कार्यालय में प्रेस वार्ता कर एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने बताया कि इस संगठित गिरोह में सुमैर कौशिक पुत्र संजय शर्मा, निवासी बरखेड़ापांडे के अलावा गुरजीत सिंह पुत्र महेन्द्र सिंह और गुरकीरत पुत्र परमजीत सिंह, दोनों निवासी बरखेड़ा राजपूत शामिल हैं।

    यह गिरोह काशीपुर और आसपास के क्षेत्रों में संगठित होकर भोले-भाले लोगों के साथ धोखाधड़ी करता है। इनका मुख्य अपराध फर्जी जमीन सौदों के माध्यम से धन वसूलना और फिर लोगों के पैसे हड़पना है। एसएसपी ने बताया कि इनकी आपराधिक गतिविधियों के कारण लोक व्यवस्था प्रभावित हो रही है, और इनके डर से लोग गवाही देने या केस दर्ज कराने से डरते हैं।

    बताया कि इन तीनों का पुराना आपराधिक इतिहास रहा है। गैंग लीडर सुमैर कौशिक पर थाना आइटीआइ, काशीपुर, डिलारी और ठाकुरद्वारा में धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकी देने सहित सात मामले दर्ज हैं, जिनमें आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं।

    आरोपित गुरजीत सिंह पर भी दो थानों में धोखाधड़ी और धमकी से संबंधित पांच मामले और आरोपित गुरकीरत पर भी दो थानों में धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकी से संबंधित पांच मामले दर्ज हैं, जिनमें आरोप पत्र दाखिल हो चुके हैं।

    बताया कि गैंगस्टर एक्ट के तहत यह प्राथमिकी पंजीकृत करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट, उधम सिंह नगर से अनुमोदन प्राप्त कर तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर प्राथमिकी पंजीकृत कर ली गई है। कहा है कि इनके आपराधिक कृत्यों को देखते हुए समाज में इनका स्वच्छंद रहना जनहित में उचित नहीं है।