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    मासूम की किलकारी के साथ थम गई मां की सांसें, एक नवजात व एक बेटे की जिम्मेदारी अब पिता के जिम्मे

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 11:15 PM (IST)

    काशीपुर में एक महिला की नवजात शिशु को जन्म देने के बाद मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है। आरोप है कि अस्पताल पहले सील किया गया था लेकिन नाम बदलकर फिर से खुल गया। स्थानीय लोगों ने कमीशनखोरी का भी आरोप लगाया है जिसमें मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजा जाता है। प्रशासन ने अस्पताल को सील कर दिया है।

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    मासूम की किलकारी के साथ थम गई मां की सांसें

    जागरण संवाददाता, काशीपुर। अस्पताल के बिस्तर पर एक तरफ नवजात की मासूम किलकारी गूंज उठी तो दूसरी तरफ मां की सांसें हमेशा के लिए थम गईं। गांव अलीगंज बुरहानपुर निवासी रेनू का सपना था कि उसका बेटा जन्म ले और उसकी गोद भरे, लेकिन तकदीर ने ऐसा खेल खेला कि बच्चा जन्म लेते ही मां को खो बैठा। अब घर के आंगन में बच्चे की रोने की आवाज़ गूंज रही है, मगर मां की ममता का आंचल हमेशा के लिए छिन गया।

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    रेनू का पति सरजीत जैसे-तैसे परिवार पाल रहा है। एक बेटा पहले से है और अब दूसरे बेटे के जन्म पर घर में खुशियां होनी चाहिए थीं, लेकिन मातम छा गया। घर वाले रोते हुए कह रहे थे कि बच्चा मां के बिना कैसे पलेगा हमारे पास तो साधन भी नहीं हैं सब खत्म कर दिया।

    वरदान हॉस्पिटल में हुए आपरेशन के बाद सुबह पांच बजे रेनू ने बेटे को जन्म दिया। परिजनों को लगा अब सब कुछ ठीक हो गया है, लेकिन चंद घंटों बाद लगातार ब्लीडिंग से उसकी सांसें थम गईं। परिवार खुशियों से मातम में बदल गया। नवजात की पहली किलकारी ही मां की विदाई का कारण बन गई।

    परिजन जहां आंसुओं से डूबे हैं, वहीं गुस्सा भी कम नहीं है। उनका कहना है कि अगर सही इलाज और देखभाल मिली होती तो रेनू आज जिंदा होती। उन्होंने आरोप लगाया कि कमीशनखोरी और लालच में एक मां की जान ली गई।

    स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही घटना की कर रही तस्दीक

    अलीगंज रोड स्थित वरदान हॉस्पिटल में प्रसूता की मौत के बाद अब स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर गम्भीर सवाल खड़े हो गए हैं। जांच में यह तथ्य सामने आया है कि यह अस्पताल पहले आशीर्वाद हॉस्पिटल के नाम से सीज किया गया था, लेकिन कुछ ही महीने बाद नाम बदलकर फिर से शुरू कर दिया गया।

    बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर नए नाम से किसने अनुमति दी और किस आधार पर। दूसरा गंभीर सवाल खड़ा होता है कि अस्तपाल को सिर्फ ओपीडी का परमिशन था ऐसे में अस्पताल में नर्सिंग होम और आपरेशन कैसे होने लगे।इससे यह साफ हो गया है कि नियमों की अनदेखी और स्वास्थ्य विभाग की शिथिलता के चलते लोगों की जान के साथ खिलवाड़ का धंधा बेखौफ तरीके से चल रहा है।

    इस घटना ने यह सवाल और गहरा कर दिया है कि आखिर जब एक अस्पताल सील हो चुका था तो महज़ कागजी खेल करके उसे दोबारा नए नाम से कैसे खोल दिया गया? स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि इतनी बड़ी चूक कैसे हुई और विभाग को इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी।\B

    कमीशनखोरी का जाल

    स्थानीय लोगों का कहना है कि गरीब मरीजों को सरकारी अस्पताल से निजी नर्सिंग होम भेजने का पूरा नेक्सस सक्रिय है। यह नेक्सस सरकारी अस्पताल से शुरू होकर पूरे शहर में सक्रिय है। इसमें डॉक्टर, आशा कार्यकत्री और बिचौलिए शामिल रहते हैं। कमीशनखोरी के इस खेल में मरीजों को सामान्य प्रसव की बजाय ऑपरेशन के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे मोटा बिल वसूला जा सके। रेनू की मौत ने इस पूरे धंधे को उजागर कर दिया है।

    दूसरे अस्पताल में वेटिलेंटर पर रखने का प्लान

    मृतका के परिजनों का कहना है कि महिला की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने मामले को दबाने की कोशिश की। यहां तक कि उसे दूसरे अस्पतालों में वेंटिलेटर पर रखने की योजना बनाई गई थी ताकि परिजनों को लगे कि इलाज जारी है। लेकिन समय रहते परिजनों की सक्रियता से यह पूरा खेल खत्म हो गया और अस्तपाल प्रशासन बेनकाम

    प्रशासन की कार्रवाई, लेकिन भरोसा कम

    नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमरजीत सिंह साहनी ने बताया कि वरदान हॉस्पिटल का पंजीकरण निरस्त कर सील कर दिया गया है। हालांकि लोगों का कहना है कि पहले भी ऐसे कई अस्पताल सीज हुए लेकिन कुछ ही महीनों बाद नए नाम से दोबारा खुल गए। इससे लोगों का भरोसा प्रशासन की कार्रवाई पर डगमगाता नजर आ रहा है।