Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दूसरी बार हुआ प्यार तो पत्‍नी ने पति को लगाया ठिकाने, प्रेमी को बचाने को रची ऐसी साजिश; पुलिस भी हैरान

    Wife Killed Husband प्यार की खातिर एक महिला ने अपने पति को मौत के घाट उतार दिया। पारुल नाम की इस महिला का अपने मकान मालिक रईस अहमद से प्रेम प्रसंग चल रहा था। वह अपने पति हरिश से छुटकारा पाना चाहती थी। 15 मार्च की रात उसने रईस को बुलाकर हरिश की हत्या कर दी। पुलिस ने इस मामले का खुलासा कर दिया है।

    By sandeep juneja Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 21 Mar 2025 02:14 PM (IST)
    Hero Image
    Wife Killed Husband: पत्‍नी ने दूसरे प्यार को पाने के लिए हरीश को ठिकाने लगा दिया। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, किच्छा। Wife Killed Husband: लालपुर में बाबू के घर पर किराये पर रहने के दौरान पारुल के नैन बाबू से लड़ गए, तो पहला प्यार बोझ लगने लगा। बाबू को दिल दे बैठी, तो उसे पाने के लिए उसने पहले प्यार से किनारा करना जरूरी समझा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पारुल ने दूसरे प्यार को पाने के लिए हरीश को ठिकाने लगा दिया। उसके इस जुर्म ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। पारुल ने हरीश के साथ लगभग दस वर्ष पूर्व प्रेम विवाह किया था। लगभग तीन वर्ष पूर्व जब हरीश का मल्ली देवरिया में अपना मकान बन रहा था।

    यह भी पढ़ें- Chardham Yatra पर आने वाले पर्यटक वाहनों के लिए ये कार्ड जरूरी, वरना नहीं मिलेगी एंट्री

    https://www.jagran.com/uttarakhand/dehradun-city-chardham-yatra-2025-green-card-mandatory-for-tourist-vehicles-23899570.html

    दोनों ने खा लीं जीने मरने की कसमें

    लालपुर में ठेकेदार रईस अहमद उर्फ बाबू का भी अपना एक मकान था। जिस पर हरीश के मकान निर्माण का कार्य भी रईस अहमद उर्फ बाबू ने लिया था। रहने की दिक्कत को देखते हुए बाबू ने अपना मकान हरीश और पारुल को दे दिया था। जिस पर रईस का उनके घर पर आना जाना शुरू हो गया। इस दौरान कई बार हरीश के घर पर न होने के बावजूद भी रईस पारुल के पास पहुंच जाता था।

    मकान मालिक होने के कारण किसी को कोई शक भी नहीं हुआ। डेढ़ वर्ष पूर्व मिलते-जुलते पारुल और रईस अहमद के बीच संबंध बन गए और दोनों ने जीने मरने की कसमें खा लीं। ऐसे में हरीश उनके बीच सबसे बड़ी बाधा बन रहा था। पारुल भी हरीश से हो रहे विवाद के चलते छुटकारा पाना चाहती थी। जिसके चलते उसने 15 मार्च की रात रईस अहमद को बुला कर हरीश की हत्या को अंजाम दिया।

    देवर शंकर को भी किया फंसाने का प्रयास

    किच्छा : हरीश की हत्या के बाद उसकी गुमशुदगी थाने में दर्ज करवाने के बाद पारुल ने एक तीर से कई शिकार करने की योजना बना ली। उसने पुलिस के सामने अपने देवर शंकर पर ही हरीश को गायब करने का शक व्यक्त कर मामले को उलझाने का प्रयास किया।

    पुलिस की पूछताछ में जब ठेकेदार रईस अहमद उर्फ बाबू की एंट्री हुई तो पुलिस ने उसका मोबाइल नंबर लेकर उसकी लोकेशन व काल डिटेल खंगाली तो रईस अहमद की लोकेशन 15 मार्च की रात मल्ली देवरिया में ही मिली तो पुलिस का शक गहरा गया।

    यह भी पढ़ें- Dehradun Metro के इंतजार में बीते 8 साल, 80 करोड़ खर्च होने के बाद खाली हाथ; अब फीडर लाइन पर कसरत

    घर बनाने में भी बाबू ने दिया था धन से सहयोग

    किच्छा : रईस अहमद उर्फ बाबू ने पारुल को अपने प्रेमजाल में फंसाने के लिए भावनात्मकता के साथ ही आर्थिक रूप से भी सहयोग किया। बाबू ने घर बनाने में कम पड़ रहे पैसों के चलते पारुल को अपने नाम से ऋण भी दिलवाया था।

    इसके साथ भी वह कई बार पैसे की तंगी होने पर उनकी मदद करता रहता था। बाबू ने पारुल की एक लाख रुपये के करीब मदद की थी। जिसके चलते पारुल का झुकाव बाबू की तरफ बढ़ता चला गया।

    हत्या का दोष अपने उपर लेने का किया प्रयास

    किच्छा : पुलिस के सामने हरीश की हत्या का राज जब राज नहीं रहा तो पारुल का प्यार उमड़ आया और उसने बाबू को भी बचाने का प्रयास किया।

    सूत्रों की माने तो इस दौरान पारुल ने बाबू का बचाव करते हुए स्वयं ही हरीश की हत्या की बात कह पूरा आरोप अपने सिर लेने का प्रयास किया। परंतु इतना तो तय था कि हत्या के बाद शव को खेत में फेंकने में सहयोग तो लिया गया। दोनों से आमने सामने की पूछताछ के बाद पुलिस ने मामले का पर्दाफाश कर दिया।

    गुमराह करने के लिए गई ड्यूटी करने पारुल

    किच्छा : 15 मार्च की रात हरीश की हत्या कर शव ठिकाने लगाने के बाद शातिर पारुल ने किसी को कुछ महसूस नहीं होने दिया। उसने हरीश की मां व भाईयों को शक न हो इसके लिए 16 मार्च की सुबह सिडकुल औद्योगिक आस्थान स्थित फैक्ट्री में ड्यूटी भी करने गई थी।

    ड्यूटी कर शाम को घर आकर भी उसने कुछ नहीं बोला और 17 मार्च की सुबह उसने पुलिस को सूचित किया। 17 मार्च को जब हरीश का शव मिला तब तक हरीश के भाइयों को उसके लापता होने की पुलिस को दी सूचना का पता नहीं था। संदीप जुनेजा