Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    World tourism day: टिहरी के ताल व बुग्यालों की खूबसूरती खींच लाती है पर्यटकों को

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 27 Sep 2019 08:29 PM (IST)

    टिहरी जिले में प्राकृतिक तालों व बुग्याल काफी संख्या में हैं। यहां के ताल जहां पर्यटकों को रोमांचित करते हैं वहीं बुग्याल आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

    World tourism day: टिहरी के ताल व बुग्यालों की खूबसूरती खींच लाती है पर्यटकों को

    नई टिहरी, जेएनएन। टिहरी जनपद के ताल व बुग्याल पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। जिले में प्राकृतिक तालों व बुग्याल काफी संख्या में हैं। यहां के ताल जहां पर्यटकों को रोमांचित करते हैं, वहीं बुग्याल आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। कुछ पर्यटक स्थल सड़क से दूर होने के बावजूद अपनी खूबसूरती के जरिए पर्यटकों को खींच लाती है। यहां के कई प्राकृतिक ताल आज भी रहस्य बने हुए हैं। इन सभी को जानने के लिए हर साल काफी संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। प्रकृति को यदि नजदीकी से देखना है तो यहां आकर बुग्याल और ताल का आनंद लिया जा सकता है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सहस्रताल देख पर्यटक हो जाते हैं अभिभूत

    जिले का सहस्रताल, महासरताल, मसूर ताल काफी प्रसिद्ध हैं। इनमें से सहस्रताल सबसे दूर करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर है। यहां पर तालाबों का समूह है। एक सबसे बड़ा ताल है, जबकि आस-पास छोटे-छोटे ताल आज भी रहस्य बने हैं। बूढ़ाकेदार या घुत्तू से होकर यहां तक पहुंचा जाता है। बूढ़ाकेदार से पैदलमार्ग होते हुए सहस्रताल करीब 45 किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने में करीब तीन दिन का समय लगता है। पैदल व खच्चरों के माध्यम से यहां तक पहुंचा जाता है। यह पर्यटक स्थल भले ही सड़क से दूर हो, लेकिन यहां पहुंचने के बाद इस स्थान की सुंदरता को देख पर्यटक अभिभूत हो जाते हैं। यहां पर शाम के समय सूरज छिपने का दृश्य देखने लायक होता है। यहां पर खाने के अलावा रहने के लिए टैंट आदि सामान पर्यटकों को खुद ले जाना पड़ता है।

    महासरताल में दिखता है गहरा हरा और मटमैला रंग

    घने जंगल के बीच स्थित प्रमुख तालों में से एक महासरताल करीब साढ़े नौ हजार फीट की ऊंचाई पर है। जो जिला मुख्यालय से 90 किलामीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए पहले पिंसवाड़ गावं से नौ किलेमीटर पैदल चलना पड़ता था, लेकिन हाल ही में जिले के दूरस्थ पिंसवाड़ गांव तक छोटे वाहनों के लिए सड़क मार्ग होने के बाद पांच किलोमीटर की दूरी तय कर यहां पहुंचा जा सकता है। यहां पर दो ताल हैं जो आस-पास ही हैं। खास बात यह है कि एक ताल का रंग गहरा हरा, जबकि दूसरे का मटमैला होने से पर्यटक इस ओर खासा आकर्षित होते हैं।

    जड़ी बूटी व ट्रैक के लिए प्रसिद्ध है पंवाली कांठा बुग्याल  

    कई पर्यटक स्थल ऐसे हैं जो शानदार ट्रैक व जड़ी-बूटी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। यहां का प्रसिद्ध पंवाली कांठा बुग्याल पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र है। टिहरी जिले में खतलिंग ग्लेशियर पर लगभग 11500 फीट की ऊंचाई पर स्थित पंवालीकांठा बुग्याल अपनी दुर्लभ जड़ी-बूटियों और शानदार ट्रैक के लिए प्रसिद्ध है। यहां पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय टिहरी से घुत्तू तक सौ किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग और फिर 18 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। पिछले साल केंद्र सरकार की ओर से यहां सर्वे करवाया गया था, जिसमें यहां लगातार भूस्खलन की बात सामने आई थी। इसी को देखते हुए विभागीय अधिकारी अब बुग्याल के दौरे की तैयारी कर रहें हैं। प्रभागीय वनाधिकारी टिहरी कोको रोसे का कहना है कि यहां पर चेकडैम या फिर सुरक्षा दीवार बनाकर संरक्षण के लिए प्रयास किए जाएंगे। यहां जो मानवीय गतिविधियां हो रही हैं, उन्हें ईको फ्रेंडली तरीके से संचालित किया जाएगा।

    जिले के प्रमुख ताल व बुग्याल

    • सहस्रताल, महासर ताल, भीम ताल, जराल ताल, मसूर ताल, द्रोपदी ताल, पंवाली कांठा बुग्याल, कुश कल्याणी बुग्याल।

    यह भी पढ़ें: प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध जौनसार बावर और पछवादून, सिस्टम की बदइंतजामी पर्यटन पर भारी

    पर्यटक स्थल मे पाई जाने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटी

    • ब्रह्मकमल, चिरायता, महामैदा, बज्रदंती, वत्सनाथ, मीठा, अतीस, कुटकी, आर्चा, डोलू, सालम मिश्री, कड़वे, सतवा, हतपंजा।  

    एसएस यादव (जिला पर्यटन अधिकारी) का कहना है कि बुग्यालों और तालों तक पैदल मार्ग के सुधारीकरण आदि को लेकर आने वाले प्रस्ताव पर पर्यटक विभाग आगे कार्रवाई करता है। क्षेत्र का कुछ स्थान वन विभाग के अंतर्गत भी आता है, जिसमें विभिन्न कार्य करने का अधिकार वन विभाग के पास है।

    यह भी पढ़ें: यहां बिखरे हैं कुषाण कालीन पुरावशेष, इसे 11 राष्ट्रीय स्मारकों की सूची में किया शामिल