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    Budha Kedar Temple: भव्य और आकर्षक नजर आएगा बूढ़ा केदार मंदिर, दो करोड़ में होगा सुंदरीकरण; ये है मंदिर की महत्ता

    By Anurag uniyalEdited By: Swati Singh
    Updated: Tue, 19 Dec 2023 04:16 PM (IST)

    Budha Kedar जिला मुख्यालय से करीब 80 किमी दूर भिलंगना ब्लाक में बूढ़ाकेदार मंदिर स्थित है। पूर्व में शंकराचार्य ने इसकी आधारशिला रखी थी। मंदिर के दर्शन के लिए देश के विभिन्न क्षेत्र के अलावा नेपाल आदि जगहों से भी श्रद्धालु आते हैं। पूर्व में भी प्राचीन मंदिर का सौंदर्यीकरण कर इसको नया स्वरूप दिया गया था। अब एक बार फिर से इस मंदिर का सुंदरीकरण किया जा रहा है।

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    भव्य और आकर्षक नजर आएगा बूढ़ा केदार मंदिर

    संवाद सहयोगी, नई टिहरी। उत्तराखंड के प्रसिद्ध बूढ़ाकेदार मंदिर का कायाकल्प होने जा रहा है। इस मंदिर के सुंदरीकरण के लिए दो करोड़ रुपये पास हो चुके हैं। दो करोड़ रुपये में ये मंदिर संवरेगा और मंदिर नए स्वरूप में नजर आएगा। मंदिर को संवारने व इसको भव्यता देने के लिए राजस्थान से कारीगर पहुंचे हैं। मंदिर पर कीमती पत्थरों से विशेष नक्काशी की जा ही है। मंदिर को भव्यता देने के लिए क्षेत्रवासियों ने भी बढ़-चढ़कर आर्थिक सहयोग दिया है।

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    जिला मुख्यालय से करीब 80 किमी दूर भिलंगना ब्लाक में बूढ़ाकेदार मंदिर स्थित है। पूर्व में शंकराचार्य ने इसकी आधारशिला रखी थी। मंदिर के दर्शन के लिए देश के विभिन्न क्षेत्र के अलावा नेपाल आदि जगहों से भी श्रद्धालु आते हैं। पूर्व में भी प्राचीन मंदिर का सौंदर्यीकरण कर इसको नया स्वरूप दिया गया था। उस वक्त भी मंदिर पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हुआ था।

    अब मंदिर का हो रहा है कायाकल्प

    अब फिर से मंदिर को संवारने का कार्य किया जा रहा है। इसका कार्य काफी तेजी से हो रहा है और जल्द ही यह मंदिर दिव्य और भव्य दिखेगा। मंदिर के ऊपरी हिस्से को और बढ़ाया जाएगा ताकि दूर से ही मंदिर की भव्यता लोगों को दिख सकेगी। इसके लिए करीब एक दर्जन कारीगर काम में लगे हैं।

    बूढ़ाकेदार की है खास महत्ता

    बूढ़ाकेदार मंदिर समिति ने मंदिर और नए स्वरूप प्रदान करने के लिए क्षेत्रवासियों के साथ पहले बैठक की जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि मंदिर को और भी सुंदर आकार दिया जाएगा। इसके बाद इसका काम शुरू किया गया। बूढ़ाकेदार काफी प्राचीन धाम है। पूर्व में जब वाहन सुविधा नहीं थी तो बूढ़ाकेदार ही केदारनाथ का मुख्य मार्ग एवं पड़ाव था। बताया जाता है कि उस समय बूढ़ाकेदार के दर्शन के बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती थी।

    निकलती है खास कांवड़ यात्रा

    यात्रियों को ठहरने के लिए उस समय यहां पर काली कमली धर्मशाला बनाए गए थे। आज भी बूढ़ाकेदार से पैदल कांवड़ यात्रा निकलती है जो पहले बूढ़ाकेदार और फिर केदारनाथ में जलाभिषेक करते हैं।

    शिव ने बूढ़े व्यक्ति के रूप में पांडवों को दिए थे दर्शन

    गौ हत्या से मुक्ति पाने के लिए जब पांडव स्वर्गारोहण के लिए तो पांडव यहीं से होकर निकले थे। यहां पर पांडवों ने विश्राम किया था। जिसके बाद शिव ने उन्हें बूढ़े व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे और उनकी शंका का समाधान किया। तब पांडवों ने शिव को पहचान लिया था, जिसके बाद पांडव यहां से स्वर्गारोहण के लिए निकले। शिव के बूढ़े व्यक्ति के रूप में दर्शन देने से यहां का नाम बूढ़ाकेदार पड़ा।

    अध्यक्ष ने कही ये बात

    मंदिर को विशेष रूप से संवारा जा रहा है। इसके लिए राजस्थान से कारीगरों को बुलाया गया है और करीब दो करोड़ की लागत से मंदिर को संवारा जा रहा है जिसके बाद श्रद्धालुओं को मंदिर नए स्वरूप में दिखेगा। - भूपेंद्र सिंह नेगी, अध्यक्ष, मंदिर समिति

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