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यहां भगवान शिव ने पांडवों को वृद्ध व्यक्ति के रूप में दिए थे दर्शन

बूढ़ाकेदार टिहरी जनपद का प्रसिद्ध धाम है। भगवान शिव ने पांडवों को इस स्‍थान पर वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे जिसके बाद इस स्थान का नाम बूढ़ाकेदार पड़ा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 04:38 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 04:38 PM (IST)
यहां भगवान शिव ने पांडवों को वृद्ध व्यक्ति के रूप में दिए थे दर्शन
यहां भगवान शिव ने पांडवों को वृद्ध व्यक्ति के रूप में दिए थे दर्शन

टिहरी, जेएनएन। बूढ़ाकेदार टिहरी जनपद का प्रसिद्ध धाम है। दो नदियों बालगंगा व धर्म गंगा के मध्य यह धाम स्थित है। यहां पर दोनों नदियों का संगम भी है। पूर्व में केदारनाथ पैदल यात्रा का यह मुख्य पड़ाव था उस समय बूढ़ाकेदार धाम के दर्शन किए बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती थी। बूढ़ाकेदारनाथ के नाम से ही इस गांव का नाम भी बूढ़ाकेदार पड़ा जो धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

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इतिहास

बूढ़ाकेदारनाथ धाम की नींव आदि गुरू शंकराचार्य ने रखी थी। मंदिर के अंदर पत्थर की शिला है, जिसमें पांडवों की आकृतियां उभरी हैं। बताया जाता है कि गोत्र हत्या से मुक्ति पाने के लिए पांडव इस स्थान से स्वर्गारोहण के लिए निकलते थे तो यहां पर भगवान शिव ने पांडवों को वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे, जिसके बाद इस स्थान का नाम बूढ़ाकेदार पड़ा। इस मंदिर के पुजारी नाथ जाति के लोग होते हैं। इसी स्थान से प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल सहस्रताल पहुंचा जाता है।

श्रावण मास में पैदल कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त बूढ़ाकेदार के दर्शन करते हैं। बूढ़ाकेदार के दर्शन के लिए दूर-दराज क्षेत्रों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यह काफी प्राचीन केदार में एक माना जाता है। वर्तमान में केदारनाथ की पैदल कांवड़ यात्रा यहीं से होकर निकलती है। यहां पर बूढ़ाकेदार का प्राचीन मंदिर था, जिसे अब भव्य रूप दिया है। क्षेत्र ही नहीं दूर-दराज क्षेत्र के लोगों की इस धाम के प्रति अटूट आस्था है। 

कैसे पहुंचे

जिला मुख्यालय से यह धाम करीब 85 किमी दूर है। जिला मुख्यालय से यहां के लिए सीधी बस सेवा है। घनसाली से छोटे वाहनों से भी यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। बस व छोटे वाहन की सुविधा बूढ़ाकेदार तक है। यहां से कुछ ही दूरी पर बूढ़ाकेदार धाम है। उत्तरकाशी, धौंतरी होते हुए भी श्रद्धालु बूढाकेदार पहुंच सकते हैं।

अमरनाथ (पुजारी, बूढ़ाकेदारनाथ) का कहना है कि यह मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है, यह काफी प्राचीन केदार में एक है। यात्रा सीजन के दौरान देश के कई जगहों से श्रद्धालु बूढ़ाकेदार के दर्शन को आते हैं। बूढ़ाकेदार में वर्ष भर श्रद्धालुओं के लिए कपाट खुले रहते हैं। श्रावण मास में मंदिर में काफी भीड़ लगी रहती है।

भूपेंद्र नेगी (अध्यक्ष बूढ़ाकेदार मंदिर समिति) का कहना है कि बूढ़ाकेदार धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पहले यह मंदिर काफी प्राचीन था, जिसे अब भव्य रूप दिया गया है जिसमें स्थानीय लोगों का भी सहयोग रहा है। पूर्व में यह केदारनाथ का मुख्य पैदल मार्ग भी था। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। इस स्थान की धार्मिक महत्व को देखते हुए क्षेत्र के लोग इसे पांचवा धाम घोषित करने की मांग करते आ रहे हैं। 

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