Kedarnath Yatra केदारनाथ धाम के रावल ऊखीमठ पहुंचे, रहेंगे एकांतवास में
केदारनाथ धाम के रावल श्री 1008 भीमा शंकर लिंग रविवार सुबह ऊखीमठ पहुंचे। प्रशासन की मौजूदगी में वह एकान्तवास में रहेंगे।
रुद्रप्रयाग, जेएनएन। चारों धाम में कपाट खोलने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। पैदल रास्तों को दुरुस्त करने के साथ ही मंदिर परिसरों से भी बर्फ हटा ली गई है। इस कड़ी में केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग नांदेड़ (महाराष्ट्र) से अपने तीन सेवाकारों के साथ रविवार को पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंच गए। जबकि, बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी सोमवार शाम तक जोशीमठ पहुंच जाएंगे। यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर्व पर 26 अप्रैल, केदारनाथ धाम के 29 अप्रैल और बदरीनाथ धाम के 30 अप्रैल को खोले जाने हैं।
केदारनाथ के रावल गत 16 अप्रैल को अपने नांदेड़ स्थित आश्रम से ऊखीमठ के लिए रवाना हुए थे। रविवार सुबह साढ़े छह बजे वह अपने तीन सेवाकार और दो ड्राइवरों के साथ वे सड़क मार्ग से ऊखीमठ पहुंचे। रावल के ऊखीमठ से आठ किमी पूर्व कुंड पहुंचने से पहले ही प्रशासन, पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां पहुंच गई थी। इस टीम में ऊखीमठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सचिन चौबे, एसडीएम वरुण अग्रवाल, तहसीलदार जयवीर राम बधाणी व थानाध्यक्ष ऊखीमठ जहांगीर अली शामिल थे। कुंड में सभी का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचने पर प्रशासन ने रावल समेत सेवाकार व ड्राइवरों को अलग-अलग कमरों में होम क्वारंटाइन कर दिया।
उधर, रावल ने बताया कि 26 अप्रैल को ऊखीमठ से बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान होकर केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी। इस दौरान कई धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया जाना है। इससे पहले 25 अप्रैल की रात भगवान भैरवनाथ की विशेष पूजा भी होनी है। इन सभी अनुष्ठानों वह परंपराओं का निर्वहन करने के लिए हिस्सा लेंगे। पौराणिक परंपराओं के अनुसार केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी रावल के प्रतिनिधि के रूप में मुख्य पुजारी निभाते हैं। लेकिन, केदारनाथ की डोली के उच्च हिमालय रवाना होते समय और कपाटोद्घाटन के दौरान रावल की मौजदगी अनिवार्य है। यही वजह है कि रावल के ऊखीमठ पहुंचने पर शासन-प्रशासन ने भी राहत की सांस ली।
दक्षिण से इसलिए आते हैं रावल
बदरी-केदार धाम में दक्षिण भारतीय ब्राह्मणों से पूजा कराने की परंपरा आद्य शंकराचार्य ने स्थापित की थी। केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग बताते हैं कि शंकराचार्य ने देश को एक सूत्र में पिरोने के ध्येय से यह परंपरा शुरू की। इसके तहत उन्होंने केरल के नंबूदरी ब्राह्मणों को बदरीनाथ और कर्नाटक के वीर शैव लिंगायत ब्राह्मणों को केदारनाथ का मुख्य पुजारी नियुक्त किया। केरल के नंबूदरी ब्राह्मण भगवान विष्णु व कर्नाटक के लिंगायत ब्राह्मण भगवान शिव के उपासक होते हैं। इसलिए शंकराचार्य ने दक्षिण भारत के अलग-अलग स्थानों से दोनों धाम में पुजारी नियुक्त किए।
केदारनाथ के लिए रवाना होगा मंदिर समिति का दल
कपाट खोलने से पूर्व तैयारियों के लिए श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का 12-सदस्यीय दल सोमवार को सीईओ बीडी सिंह के नेतृत्व में सोनप्रयाग से केदारनाथ के लिए रवाना होगा। रविवार को दल देर शाम सोनप्रयाग पहुंचा। दल में सहायक अभियंता गिरीश देवली, कनिष्ठ अभियंता विपिन कुमार व आशुतोष शुक्ला, उमेश कुमार, पुष्कर रावत समेत श्रमिक शामिल हैं। मंदिर समिति के प्रशासनिक अधिकारी केएस पुष्पवाण ने बताया कि इस बार दल देर से रवाना हो रहा है, लेकिन यात्रा शुरू होने से पूर्व सभी तैयारियां पूरी कर ली जांएगी। धाम में राशन व जरूरी सामान पर्याप्त मात्र में उपलब्ध है।
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बदरीनाथ मंदिर में विद्युत व पेयजल आपूर्ति बहाल
बदरीनाथ धाम में मंदिर इंजीनियर विपिन तिवारी के नेतृत्व में 18 लोगों की टीम ने वीआइपी गेस्ट हाउस के रास्ते से बर्फ हटा दी है। मंदिर परिक्रमा स्थल से भी बर्फ हटाने का काम चल रहा है। इंजीनियर तिवारी ने बताया कि दो दिनों से दोपहर बाद मौसम खराब होने से कार्य प्रभावित हो रहा है। बावजूद इसके समय पर सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी। बताया कि तप्त कुंड के क्षतिग्रस्त टिन शेड की भी मरम्मत की जा रही है। ऊर्जा निगम के कर्मचारियों ने मंदिर व वीवीआइपी गेस्ट हाउस तक विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी है। जबकि, मंदिर समिति ने चरणपादुका से मंदिर तक पेयजल लाइन सुचारु कर पानी पहुंचा दिया है।
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