Badrinath Yatra Coronavirus Effect: धाम के प्रसाद में भी इस बार दिखेगा कोरोना का असर
भगवान बदरी विशाल के प्रसाद पर भी कोरोना वायरस का असर पड़ रहा है। भगवान को प्रतिदिन लगने वाले भोग के लिए तो धाम में अन्न का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है।
चमोली, जेएनएन। coronavirus संक्रमण का साया भगवान बदरी विशाल के प्रसाद पर भी पड़ रहा है। भगवान को प्रतिदिन लगने वाले भोग के लिए तो धाम में अन्न का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है, लेकिन श्रद्धालुओं की ओर से चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में इस बार यात्रा शुरू होने पर पंचमेवा की जगह में चौलाई के लड्डू को वरीयता दी जाएगी। दरअसल, पंचमेवा प्रसाद बाहरी राज्यों से बदरीनाथ पहुंचता है, जिसे कोरोना महामारी के चलते फिलहाल सुरक्षित नहीं माना जा रहा है।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 30 अप्रैल को खोले जाने हैं। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते फिलहाल पूजा-अर्चना में धाम के पुजारी, देवस्थानम बोर्ड के सदस्य और हक-हकूकधारी ही शामिल हो सकेंगे। यही नहीं, मंदिर में श्रद्धालुओं की ओर से चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में इस बार पंचमेवा की जगह स्थानीय स्तर पर बने चौलाई के लड्डू शामिल किए जा रहे हैं।
मंदिर के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल बताते हैं कि कपाट बंद होने के दौरान दो माह से अधिक समय के लिए धाम में खाद्यान्न स्टोर कर लिया जाता है, जिससे कि आपात स्थिति में भगवान को भोग लगाना बाधित न हो। लेकिन, कोरोना महामारी से सुरक्षा के लिए श्रद्धालु इस बार चना, मिश्री और पंचमेवा का प्रसाद भगवान को अर्पित नहीं कर पाएंगे। इसके विकल्प के तौर पर उन्हें स्थानीय स्तर पर बनने वाले चौलाई के लड्डू लेने होंगे। पांडुकेश्वर जोशीमठ क्षेत्र की महिलाओं ने लड्डू बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि पंचमेवा प्रसाद बाहरी राज्यों से आने के कारण सुरक्षित नहीं है।
कपाट खुलने पर बदरीनाथ में मौजूद रहेंगे सिर्फ 40 लोग
इस बार कपाट खुलने के मौके पर सिर्फ 40 लोग ही बदरीनाथ मंदिर में मौजूद रहेंगे। इनमें मंदिर के पुजारी, हक-हकूकधारी और देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारी शामिल हैं। यह कदम कोरोना संक्रमण के चलते उठाया गया है। धाम के कपाट 30 अप्रैल को ब्रह्ममुहूर्त में 4.30 बजे खोले जाने हैं। धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से अभी तक यात्र तैयारियां शुरू नहीं हो पाई हैं। इसके लिए मुख्य अभियंता विपिन चंद्र तिवारी के नेतृत्व में मंदिर कर्मचारियों का पहला दस सदस्यीय दल 16 अप्रैल को बदरीनाथ पहुंचेगा। यह दल धाम में कपाट खोलने की सभी तैयारियां पूरी करेगा। बताया कि धाम में विद्युत लाइन दुरुस्त की जा चुकी है और हाइवे भी खुला हुआ है।
भगवान नारायण को चार बार लगता है भोग
- पंचमेवा भोग: सुबह अभिषेक पूजा के समय लगने वाले इस भोग में काजू, बादाम, छुआरा, मिश्री, चने की दाल आदि शामिल हैं।
- बाल भोग: सुबह आठ बजे लगने वाले इस भोग में खीर शामिल है। जबकि पिंड भोग में ब्रह्मकपाल में पके चावल के पिंड दान किए जाते हैं।
- राजभोग: दोपहर में लगने वाले इस भोग में केसरिया चावल, दाल-चावल, पकौड़े और बेसन के लड्डू शामिल हैं।
- शयन भोग: इसके तहत भगवान को दूध-चावल का भोग लगाया जाता है।
केदारनाथ रावल को ऊखीमठ लाने के लिए तैयारियां तेज
केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि नजदीक आते ही रावल भीमा शंकर लिंग को पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ लाने के प्रयास तेज हो गए हैं। सरकार इसी सप्ताह रावल को यहां लाने का प्रयास कर रही है। ताकि, इस अवधि में वे एकांत में रह सकें। हालांकि, रावल का कहना है कि वह पिछले कई दिनों से अपने नांदेड़ (महाराष्ट्र) स्थित आश्रम में एकांतवास में हैं।
केदारनाथ धाम के कपाट आगामी 29 अप्रैल को खोले जाने हैं। लेकिन, कर्नाटक के वीर शैव लिंगायत संप्रदाय से ताल्लुक रखने वाले धाम के रावल भीमा शंकर लिंग अभी नांदेड़ में हैं। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि ऐसे स्थिति में रावल को नांदेड़ से ऊखीमठ लाने के लिए प्रदेश सरकार महाराष्ट्र सरकार के संपर्क में है। कोशिश है कि इसी सप्ताह रावल ऊखीमठ पहुंच जाएं। ताकि, इस अवधि को वह एकांतवास में बिता सकें।
दूसरी ओर, 'दैनिक जागरण' से फोन पर हुई बातचीत में रावल भीमा शंकर लिंग ने बताया कि वह जल्द से जल्द ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंच जाएंगे। इसके लिए वह महाराष्ट्र सरकार के साथ ही उत्तराखंड सरकार के भी संपर्क में हैं। बताया कि सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार वह पिछले कई दिनों से एकांतवास में हैं।
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26 अप्रैल को शुरू हो जाएगी कपाट खुलने की प्रक्रिया
कोरोना महामारी के मद्देनजर केदारनाथ धाम कपाट खोलने के लिए गाइड लाइन तैयार की जा रही है। इसे शीघ्र जिला प्रशासन को भेज दिया जाएगा। कपाट खुलने की प्रक्रिया आगामी 26 अप्रैल से शुरू हो जाएगी। इस दिन बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए रवाना होगी।
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