रोपवे और कारिडोर से जुड़ेगा उत्तर भारत का एकमात्र भगवान कार्तिकेय मंदिर, अद्भुत है पौराणिक कथा; कैसे पहुंचे यहां
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर को रोपवे और कॉरिडोर से जोड़ने की योजना है। मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री से चर्चा के बाद धार्मिक पर्यटन बढ़ने की उम्मीद है। यह मंदिर भगवान कार्तिकेय को समर्पित है जहां हर साल बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। विकास योजनाओं से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग। देश को एक सूत्र में बांधने वाले प्रसिद्ध कार्तिक स्वामी मंदिर को रोपवे और कारिडोर से जोड़ने की उम्मीदों को जल्द पंख लग सकते हैं। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के क्रौंच पर्वत पर स्थित यह उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय यानी कार्तिक स्वामी का यह अकेला मंदिर है, इसलिए विभिन्न राज्यों, विशेषकर तमिलनाडु से भक्त यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह की सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई चर्चा के बाद माना जा रहा है कि आने वाले समय में यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन हब के रूप में उभरकर सामने आएगा।
रोपवे परियोजना की डीपीआर पूर्व में तैयार की जा चुकी है और मुख्यमंत्री ने स्वयं इस परियोजना की निगरानी करने का आश्वासन मंदिर समिति को दिया है।
कार्तिक स्वामी मंदिर गढ़वाल हिमालय की उच्च चोटियों के बीच समुद्रतल से 3,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से नंदा देवी, त्रिशूल, केदारनाथ जैसी चोटियों का विहंगम नजारा देखने को मिलता है।
यह मंदिर ट्रेकिंग और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक आकर्षक स्थान है। इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए विशेष कारिडोर बनाने की कवायद लंबे समय से चल रही है।
प्रदेश सरकार की भी इसे "धार्मिक पर्यटन हब" के रूप में विकसित करने की योजना है। मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 3.5 किमी की खड़ी चढ़ाई तीर्थ यात्रियों को पैदल तय करनी पड़ती है।
लेकिन, रोपवे निर्माण के बाद यह दूरी चंद मिनटों में तय की जा सकेगी। इससे यहां तीर्थ यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि होने की उम्मीद है।
मंदिर क्षेत्र के विकास को यहां एक भव्य कारिडोर का निर्माण भी प्रस्तावित है, जो न केवल पैदल मार्ग को सुंदर एवं सुविधाजनक बनाएगा, बल्कि पूरे मार्ग को धार्मिक एवं सांस्कृतिक रंग में भी रंग देगा। कारिडोर में विश्राम स्थल, शुद्ध पेयजल, शौचालय, सूचना केंद्र जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
मंदिर परिसर का आकार बढ़ाने के साथ ही यहां पर एक विशेष सुविधाओं वाले अतिथि गृह का निर्माण भी प्रस्तावित है। इससे न केवल स्थानीय स्तर रोजगार के अवसर सृजित होंगे, बल्कि आसपास के गांवों की आर्थिकी को भी नया जीवन मिलेगा।
मान्यता
कार्तिक स्वामी मंदिर भगवान कार्तिकेय के निस्वार्थ बलिदान और त्याग का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने अपने पुत्रों भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय को चुनौती दी कि जो कोई भी पहले ब्रह्मांड के सात चक्कर लगाएगा, उसे प्रथम पूजा का अधिकार मिलेगा।
यह सुनकर भगवान कार्तिकेय अपने वाहन पर ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े, जबकि भगवान गणेश ने माता-पिता भगवान शिव और देवी पार्वती की सात बार परिक्रमा कर इस लक्ष्य को हासिल किया।
गणेश की इस बुद्धिमता से प्रभावित होकर भगवान शिव ने उन्हें प्रथम पूजित होने का आशीर्वाद दिया। इससे क्रोधित होकर कार्तिकेय ने श्रद्धास्वरूप भगवान शिव को अपना मांस और हड्डियां अर्पित कर दीं। इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय की अस्थियों की पूजा होती है।
कार्तिक स्वामी में होते हैं ये विशिष्ट अनुष्ठान
कार्तिक स्वामी मंदिर में प्रत्येक वर्ष चार जून से 16 जून तक विश्व कल्याण के निमित्त महायज्ञ का आयोजन होता है। इसमें स्थानीय लोगों के साथ बाहर से आने वाले भक्त भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
इसके अलावा हर वर्ष 15 से 20 मई के बीच मंदिर समिति व पर्यटन विकास समिति की ओर से यहां 108 बालमपुरी शंख पूजा का आयोजन किया जाता है। इसमें दक्षिण भारत से आचार्य शामिल होते हैं।
नवंबर में वैकुंठ चतुर्दशी के मौके पर यहां नव विवाहित जोड़े हाथ दीया लेकर रातभर जागरण करते हैं। यह अनुष्ठान खड़े रहकर संपन्न होता है।
ऐसे पहुंचे कार्तिक स्वामी मंदिर
यहां पहुंचने के लिए ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग तक सड़क मार्ग से 140 किमी और रुद्रप्रयाग-पोखरी मार्ग पर कनकचौरी गांव तक 45 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। यहां से 3.5 किमी की खड़ी चढ़ाई पैदल तय करने के बाद भगवान कार्तिकेय के दर्शन होते हैं। आप रास्ते में कोटेश्वर महादेव मंदिर, दुर्गा मंदिर, फलासी तुंगेश्वर महादेव मंदिर, अगस्त्य ऋषि मंदिर में भी दर्शन कर सकते हैं।
मंदिर तक सुविधाएं उपलब्ध होने से तीर्थाटन के साथ ही रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। मंदिर को रोपवे से जोड़ने, कारिडोर का निर्माण, मंदिर परिसर का विस्तार, अतिथि गृह का निर्माण समेत कई मांगे हैं। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री से हुई चर्चा के बाद यहां जल्द विकास के कार्य होंगे।
- विक्रम सिंह नेगी, अध्यक्ष, कार्तिक स्वामी मंदिर समिति
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