केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के मामले में समिति को क्लीन चिट, आयुक्त को सौंपी गई जांच रिपोर्ट
रुद्रप्रयाग से केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के मामले में गढ़वाल आयुक्त ने मंदिर समिति को क्लीन चिट दी है। जांच रिपोर्ट के अनुसार समिति ने सोना नहीं खरीदा बल्कि दानी को सहयोग दिया। सितंबर 2022 में यह कार्य शुरू हुआ लेकिन सोने के पीतल होने के विवाद के बाद जांच हुई।

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग। केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के बहुचर्चित प्रकरण में गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को क्लीन चिट दे दी है। अपनी जांच रिपोर्ट में आयुक्त ने कहा है कि मंदिर समिति की ओर से न तो सोना खरीदा गया, न मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित ही किया गया। समिति ने सिर्फ सोना दान करने वाले व्यक्ति को जरूरी सहयोग प्रदान किया।
विदित हो कि सितंबर 2022 में एक दानी के सहयोग से मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराया गया था। लेकिन, बाद में सोने के पीतल होने का विवाद गहराया तो मामले की जांच गढ़वाल आयुक्त को सौंप दी गई।
प्रकरण में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल सेमवाल ने पर्यटन एवं धर्मस्व विभाग से विभिन्न बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। जवाब में पर्यटन विभाग ने उन्हें गढ़वाल आयुक्त की जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराई है। रिपोर्ट के अनुसार शासन ने 23 जून 2023 को गढ़वाल आयुक्त को प्रकरण की जांच सौंपी थी।
गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने की प्रक्रिया का अवलोकन करने पर स्पष्ट हुआ कि यह कार्य शासन की स्वीकृति के बाद ही शुरू हुआ। जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और सीबीआरआइ रुड़की की टीम ने भी उपयुक्त माना।
इसी कड़ी में दानी दलीप लाखी (जेम्स इम्पैक्स प्रा. लि.) की ओर से अधिकृत महालक्ष्मी अंबा ज्वैलर्स, नई दिल्ली के कारीगरों ने गर्भगृह में लगी चांदी की प्लेटें उतारकर उन्हें मंदिर समिति के भंडारगृह में रखवाया।
फिर इसी नापजोख की तांबे की प्लेटों को दिल्ली ले जाकर उन पर सोने का बर्क चढ़ाया गया। गर्भगृह की दीवारों पर यही प्लेट लगी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार दीवारों पर लगे स्वर्ण बर्क का कुल वजन 23.777 किलोग्राम है। दस्तावेजों के अनुसार चार अगस्त 2022 को मंदिर समिति के तत्कालीन अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने संस्कृति एवं धर्मस्व सचिव को पत्र लिखकर दानी की ओर से गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया था।
इसी क्रम में सचिव हरिचंद्र सेमवाल ने जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग और मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी से आख्या मांगी और दानी फर्म को अपेक्षित सहयोग प्रदान करने के निर्देश दिए।
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