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    पिथौरागढ़ में मौसम बदला, चीन सीमा से लगे दारमा घाटी में हिमपात, हाड़कंपाऊ ठंड से ग्रामीणों का पलायन शुरू

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Mon, 03 Oct 2022 06:12 PM (IST)

    Snowfall in Pithoragarh दो अक्टूबर को उच्च हिमालय और इससे लगे उच्च मध्य हिमालय में मौसम खराब रहा। रात्रि को उच्च हिमालय में मौसम का तीसरा हिमपात हुआ है। इस दौरान निचले इलाकों में बारिश भी हुई।

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    Snowfall in Pithoragarh : दारमा के ढाकर और विदांग चौकियों में एक फीट के आसपास हिमपात होने की सूचना है।

    जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : Snowfall in Pithoragarh : मानूसन की विदाई के अवसर पर पहाड़ों पर हिमपात शुरू हो गया है। दो अक्टूबर की रात्रि को उच्च हिमालय में मौसम का तीसरा हिमपात हुआ है। इस दौरान निचले इलाकों में बारिश भी हुई। उच्च हिमालयी दारमा घाटी में चीन सीमा पर 17500 फीट की ऊंचाई पर स्थित दावे आइटीबीपी चौकी पर चार सेमी हिमपात हुआ है, जबकि पहाडियों पर डेढ़ फीट हिमपात हो चुका है। दो अक्टूबर को कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में ओम पर्वत, आदि कैलास क्षेत्र में आदि कैलास, ज्योलिंगकोंग और पंचाचूली में भी बारिश के साथ हिमपात हुआ है।

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    एक फीट तक गिरी बर्फ

    दो अक्टूबर को उच्च हिमालय और इससे लगे उच्च मध्य हिमालय में मौसम खराब रहा। उच्च मध्य हिमालयी क्षेत्रों में जहां बारिश हुई वहीं उच्च हिमालय में हिमपात हुआ। दावे में सीजन का तीसरी बार हिमपात हुआ। यहां पर चार सेमी हिमपात हुआ है। दारमा के ढाकर और विदांग चौकियों में भी हिमपात हुआ है। यहां लगभग एक फीट के आसपास हिमपात होने की सूचना है। सोमवार को मौसम खुला रहा। विषम परिस्थितियों में सुरक्षा बलों ने सीमा पर गश्त लगाई।

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    दारमा, व्यास में कड़ाके की ठंड

    उच्च हिमालयी दारमा, व्यास और जोहार में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। माइग्रेशन करने वाले ग्रामीण खेतों में तैयार पलथी और फांफर की खेती समेटने लगे हैं। नवंबर प्रथम सप्ताह तक ग्रामीण निचले इलाकों की तरफ आने शुरू हो जाएंगे। वर्तमान में दारमा के 14 गांव और व्यास के सात गांवों के ग्रामीण अपने गांवों में हैं। जहां पर कड़ाके की ठंड पड़ रही है। अक्टूबर माह से ही हिमपात होने के चलते मौसम की अनिश्चितता को लेकर ग्रामीण फांफर और पलथी की खेती समेटने लगे हैं। अक्टूबर माह के अंत तक खेती समेटने के बाद नवंबर प्रथम सप्ताह तक ग्रामीण धारचूला से लेकर जौलजीबी तक पहुंच जाएंगे।

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