Uttarakhand: स्कूल जाने के लिए दांव पर जिंदगी, एक-दूसरे को सहारा दे पार कर रहे उफनती नदी
चंपावत जिले के पाटी ब्लॉक में सेरा नदी पर पुल न होने के कारण बिंगराकोट और आसपास के गांवों के स्कूली बच्चों और ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। छात्र उफनती नदी को पार करने के लिए मजबूर हैं जिससे उन्हें स्कूल पहुंचने में कठिनाई होती है। ग्रामीणों ने पुल निर्माण की मांग की है और चेतावनी दी है।
संवाद सहयोगी, जागरण, चंपावत। बिजली, पानी, सड़क और अस्पताल की समस्याएं आए दिन प्रकाश में आती रहती हैं, लेकिन मानसून काल में नदियों में पुल न होने की समस्या सभी दुश्वारियों पर भारी पड़ रही है। जनपद में कई ऐसी नदियां हैं, जिन पर पुल या झूला पुल न होने से ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को जान हथेली पर रखकर नदी की लहरों को पार कर गंतव्य तक पहुंचना पड़ रहा है।
चंपावत के फुरकियाझाला के बाद अब पाटी विकासखंड के बिगराकोट ग्राम पंचायत के लोगों को जान जोखिम में डालकर सेरा नदी पार करनी पड़ रही है। नदी में पुल नहीं होने से जीआइसी गरसाड़ी सहित अन्य स्कूली बच्चे और ग्रामीण उफनाती नदी को पार करने के लिए विवश हैं।
सेरा नदी का पानी इन दिनों हिलोरें मार रहा है। बहाव इतना तेज है कि गलती से पांव फिसलने पर नदी में बहना तय है। लेकिन बिंगराकोट ग्राम पंचायत सहित आस-पास के ग्रामीणों को रोजमर्रा के काम के लिए हर हाल में नदी पार करनी पड़ती है।
ग्रामीण सुबह और शाम एक दूसरे का हाथ पकड़कर स्कूली बच्चों को नदी पार करा रहे हैं। जब नदी रौद्र रूप में हो तो फिर बच्चों को सात किलोमीटर का सफर तय कर सड़क पर बने पुल से विद्यालय जाना पड़ता है। इस रास्ते आने पर करीब डेढ़ घंटे का समय लगता है। इससे बच्चों को समय पर स्कूल पहुंचने में मुश्किल होती है।
ग्रामीण प्रकाश चंद्र, गणेश भट्ट, बलराम, महिमा गोस्वामी, किशोर राम, संतोष राम, हरीश राम, विनोद कुमार आदि अभिभावकों का कहना है कि बिंगराकोट स्थित राजकीय इंटर कालेज गरसाड़ी में रीठासाहिब, झलकपुर, कनारी, भुम्वाड़ी, छौड़ागांव, करौली के बच्चे सेरा नदी को पार कर आवागम करते हैं।
ग्राम प्रधान महिमा गोस्वामी, रमेश भट्ट, भुवन चंद्र, हरीश कुमार, नंदन भट्ट, प्रकाश राम, प्रहलाद राम, जगदीश राम, महेश चंद्र, मुकेश बोहरा, कैलाश गोस्वामी, ललित तिवारी, ललित गोस्वामी आदि ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से नदी का बहाव काफी तेज हो गया है। जिसके बाद स्कूली बच्चों को अभिभावक हाथ पकड़कर नदी पार करा रहे हैं। अभिभावकों की गैर मौजूदगी में बच्चे एक दूसरे को सहारा देकर नदी पार कर रहे हैं। शाम को बच्चों को लेने के लिए भी जाना पड़ रहा है। जिस दिन तेज बारिश हो जाती है उस दिन बच्चों के फंसने के डर से उनकी सांस फूली रहती है।
उन्होंने शीघ्र पुल का निर्माण नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। इधर जिलाधिकारी मनीष कुमार ने ग्रामीणों खासकर बच्चों के उफनाती नदी को पार करने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए संबंधित विभागों को नदियों पर पुलिया या झूला पुल बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि जनता के हितों से खिलवाड़ करने वाली विभागीय कार्यप्रणाली को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत का असर नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि सेरा नदी पर बना पुल दो साल पहले आई आपदा में बह गया था। तब से लगातार प्रशासन से नदी पर पुल बनाने की मांग की जा रही है। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में भी समस्या उठा चुके हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बताया कि दूसरा रास्ता लंबा होने से ग्रामीणों को मजबूरी से नदी पार कर आवागमन करना पड़ रहा है। मानसून में नदी का पानी बढ़ने से उनकी जान को हमेशा खतरा रहता है।
तेज वर्षा के दिन व लगातार हो रही वर्षा के दौरान जहां नदी, नाले उफान पर रहते हैं वहां के बच्चों काे विद्यालय न बुलाने का विकल्प दिया गया है। मौसम विभाग की चेतावनी पर विद्यालयों में अवकाश घोषित किया जाता है। यह सब सुरक्षा की दृष्टि से ही होता है। प्रधानाचार्यों को किसी भी खतरे को देखते हुए सभी जरूरी उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं। - एमएस बिष्ट, सीईओ, चंपावत
जिन नदियों पर पूर्व में बने पुल अथवा झूला पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं, वहां जल्दी नए पुलों का निर्माण किया जाएगा। सिंचाई विभाग को इसके लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है। जल्द बिंगराकोट की सेरा नदी एवं चंपावत में फुरकियाझाला के पास लधिया नदी पर पुल निर्माण किया जाएगा। - केएस बृजवाल, नोडल अधिकारी, सीएम कैंप कार्यालय, चंपावत।
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