Uttarakhand News: पिथौरागढ़ में बीआरओ ने तैयार किए दो मोटर पुल, नेपाल-चीन सीमा तक पहुंचना आसान
बता दें कि तवाघाट में पूर्व में एक बैली ब्रिज मशीन ले जाते समय क्षतिग्रस्त हो गया था। ऐसे में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत बैली ब्रिज बनाने के दौरान ही अस्सी मीटर स्पान वाले पुल के निर्माण की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई थी। अब पुल तैयार है।

पिथौरागढ़, जागरण संवाददाता। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट हीरक के तहत पिथौरागढ़ से तवाघाट और तवाघाट से घटियाबगड़ के मध्य तवाघाट में दो मोटर पुल तैयार कर दिए हैं। चीन सीमा को जोड़ने वाले सामरिक महत्व के इस मार्ग पर दो पुलों के बनने से जहां सामरिक मजबूती मिली है। वहीं अब नेपाल तथा चीन सीमा लिपुलेख तक पहुंचना भी आसान हो जाएगा।
इस पुल से जुड़ती है धारचूला की व्यास घाटी
उच्च हिमालय को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण तवाघाट-घटियाबगड़ मार्ग पर धौलीगंगा नदी पर 80 मीटर स्पान का स्टील स्ट्रक्चर मोटर पुल बन चुका है। यह नेपाल और चीन सीमा तक जाने वाले मार्ग का सबसे महत्वपूर्ण पुल है। इसी पुल से धारचूला की व्यास घाटी जुड़ती है।
बैली ब्रिज मशीन ले जाते समय हुआ था क्षतिग्रस्त
बता दें कि तवाघाट में पूर्व में एक बैली ब्रिज मशीन ले जाते समय क्षतिग्रस्त हो गया था। ऐसे में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत बैली ब्रिज बनाने के दौरान ही अस्सी मीटर स्पान वाले पुल के निर्माण की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई थी। अब पुल तैयार है। यही मार्ग तवाघाट से घटियाबगड़ होते हुए चीन सीमा लिपुलेख तक जाता है।
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पुल के बनने से उच्च हिमालय तक पहुंचना होगा आसान
इसी मार्ग से छियालेख, गुंजी, नावीढांग, ओम पर्वत, लिपुलेख, कुटी, आदि कैलास पहुंचते हैं। इस पुल के बनने से अब उच्च हिमालय तक पहुंचना आसान होगा। दूसरा 35 मीटर स्पान वाला पुल पिथौरागढ़-तवाघाट मार्ग पर जौलजीबी से आगे 68.6 किमी की दूरी पर किमखोला के पास गुमगाड़ में तैयार किया गया है।
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