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    कब है उत्‍तराखंड का विश्‍व प्रसिद्ध जोड़ मेला? गुरु नानक देव ने किया था ऐसा चमत्‍कार, मिलता है मीठे रीठे का प्रसाद

    Updated: Sun, 08 Jun 2025 04:57 PM (IST)

    उत्तराखंड के रीठा साहिब गुरुद्वारे में तीन दिवसीय जोड़ मेला सोमवार से शुरू हो रहा है। इस मेले में देश-विदेश से हजारों सिख श्रद्धालु शामिल होंगे। गुरुद्वारा प्रबंधन और जिला प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। यह गुरुद्वारा मीठे रीठे के चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है जहाँ गुरु नानक देव ने रीठे के पेड़ों को मीठा कर दिया था।

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    सोमवार को गुरुद्वारा रीठासाहिब में जोड़ मेले का शुभारंभ, तैयारियां पूरी. Jagran

    संवाद सूत्र, जागरण रीठासाहिब। उत्‍तराखंड में लधियाघाटी क्षेत्र स्थित पवित्र गुरुद्वारा रीठासाहिब में तीन दिवसीय जोड़ मेला सामवार से शुरू होगा। नौ से 11 जून तक आयोजित होने वाले मेले में देश-विदेश से हजारों की संख्या में सिख श्रद्धालु शिकरत करेंगे।

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    गुरुद्वारा प्रबंधन और जिला प्रशासन ने मेले की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। मेले में शामिल होने के लिए चार दिन पहले से ही यहां तीर्थ यात्रियों का पहुंचना शुरू हो गया था। रविवार को भी पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, नानकमत्ता सहित देश के विभिन्न स्थनों से श्रद्धालु पहुंचे।

    गुरुद्वारा प्रबंधक बाबा श्याम सिंह ने रविवार को प्रबंधन में जुटे लोगों के साथ बैठक कर जरूरी दिशा निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि 10 जून को मुख्य मेला और 11 जून को अखंड पाठ व भोग के साथ मेले का समापन होगा। मेले के सफल आयोजन के लिए सभी तैयारियां की गई हैं। बताया कि परिसर और कमरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। तीर्थयात्रियों के ठहरने की पर्याप्त व्यवस्था है।

    दीवान हाल को आकर्षक रूप दे दिया गया है। इस दौरान रागी और ढाडी जत्थे सिख पंथ की वीरता और शौर्य का बखान करेंगे। श्रद्धालुओं को मीठे रीठे का प्रसाद वितरित किया जाएगा। इधर जिलाधिकारी के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अतिरिक्त बसों की व्यवस्था की गई है। चंपावत पुलिस ने भी मेले के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। मेला परिसर में साफ-सफाई और पार्किंग की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।

    सिख श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र

    सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल गुरुद्वारा रीठा साहिब मीठे रीठे के चमत्कार के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। इस पवित्र स्थल में प्रतिवर्ष लगने वाला जोड़ मेला गुरुद्वारे के प्रति सिखों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यहां देश से ही नहीं विदेश से भी सिख तीर्थयात्री गुरु दरबार में मत्था टेकने पहुंचते हैं।

    वर्ष 1501 में गुरुनानक देव अपने शिष्य बाला और मरदाना के साथ रीठा साहिब आए थे। इस दौरान बाला और मरदाना को भूख लगी थी। उन्होंने नानक देव से उनकी भूख शांत करने का आग्रह किया। तब यहां केवल रीठे के ही पेड़ थे। नानक देव ने यहां निवास कर रहे गुरु गोरखनाथ के शिष्यों से भोजन मांग कर खाने का आदेश दिया। मरदाना ने भोजन देने का आग्रह किया तो साधुओं ने उपहास उड़ाते हुए व्यंग किया।

    कहा, जिस गुरु पर तुम्हें इतना गुमान है वह तुम्हारी भूख क्यों शांत नहीं कर देते। यह बात शिष्य ने गुरुनानक देव को बताई। तब नानक ने अपनी आध्यात्मिक दृष्टि से रीठे के पेड़ों को देखा और अपने शिष्यों से सामने खड़े रीठे के पेड़ से फल खाने को कहा। रीठा स्वभाव से ही कड़वा होता है, पर जैसे ही शिष्यों ने रीठे के फल खाए वह मीठे थे। यह देख शिष्य भी चौंक गए। उन्होंने रीठे के फल खाकर अपनी क्षुधा शांत की।

    तब से आज तक इन पेड़ों में मीठा रीठा पैदा हो रहा है। इसी मीठे रीठे को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को दिया जाता है। खास बात यह है कि इन्हीं पेड़ों में एक पेड़ का हिस्सा ऐसा है जहां नानक देव की दृष्टि नहीं पड़ी, रीठे के उस पेड़ के हिस्से के फल आज भी कड़वे हैं। इस मेले में देश से ही नहीं विदेशों से भी सिख तीर्थ यात्री पहुंचते हैं। जोड़ मेला सोमवार से शुरू हो रहा है, जो तीन दिन तक चलेगा।

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