पिथौरागढ़ में आचमन को फिल्टर के पानी का उपयोग करने को मजबूर हुए लोग
गर्मी शुरू होते ही पिथौरागढ़ नगर में फिर दूषित पेयजल आपूर्ति की समस्या खड़ी हो गई है।

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : गर्मी शुरू होते ही पिथौरागढ़ नगर में फिर दूषित पेयजल आपूर्ति की समस्या खड़ी हो गई है। ठुलीगाड़ पेयजल योजना से आच्छादित क्षेत्रों में मटमैला पानी लोगों को मिल रहा है। पूजा के लिए आचमन को भी लोग फिल्टर का पानी उपयोग कर रहे हैं।
नगर के लिए इस समय 80 करोड़ की लागत से बनी आंवलाघाट पेयजल योजना से नौ एमएलडी पानी प्रतिदिन नगर में पहुंचाए जाने का दावा किया जा रहा है। सरयू नदी में बनी घाट लिफ्टिंग पेयजल योजना भी शहर को डेढ़ से दो एमएलडी पानी दे रही है। नगर की प्रतिदिन की जरूरत सात से आठ एमएलडी पानी की है। दो योजनाओं से ही साढ़े दस एमएलडी पानी नगर में पहुंचने के विभागीय दावों के विपरीत जल संस्थान विवादित ठुलीगाड़ पेयजल योजना से भी प्रतिदिन ढाई से तीन एमएलडी पानी नगर में पहुंचा रहा है। ठुलीगाड़ पेयजल योजना से दूषित पानी शहर में पहुंचाए जाने की पुष्टि कई बार हो चुकी है। सीवर युक्त पानी शहर में पहुंचाने को लेकर कुछ लोगों पर मुकदमे भी दर्ज कराए जा चुके हैं। कुछ दिन योजना को बंद रखने के बाद फिर से इसका संचालन शुरू कर दिया गया है। नगर के कई मोहल्लों में बुधवार को मटमैले पानी की आपूर्ति हुई। उपभोक्ताओं का कहना है कि पानी इतना दूषित है कि उससे आचमन भी नहीं हो सकता। आचमन के लिए फिल्टर का पानी उपयोग करना पड़ रहा है। दूषित पानी की आपूर्ति से नगर में बीमारियां फैलने की आशंका भी बढ़ रही है। सामाजिक कार्यकर्ता ने जगदीश कलौनी ने ठुलीगाड़ पेयजल को बंद कर आंवलघाट और घाट पेयजल योजना का पानी ही नगर में दिए जाने की मांग की है।
इधर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ठुलीगाड़ स्त्रोत में अब पानी कम होने लगा है। बावजूद इसके पानी को पूरी तरह स्वच्छ किया जा रहा है। ग्रीष्मकाल में पेयजल की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
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