Uttarakhand News: भारत-नेपाल सीमा पर चार नवंबर से शुरू होगा नगरुघाट मेला, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
भारत-नेपाल सीमा पर नगरुघाट में 4 नवंबर से मेला शुरू होगा। यह दोनों देशों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजन है। मेले की तैयारी जोरों पर है, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जा रही है। मेले में दुकानें, सांस्कृतिक कार्यक्रम और मनोरंजन के साधन होंगे, जो इसे सभी उम्र के लोगों के लिए आकर्षक बनाते हैं। यह भारत और नेपाल के संबंधों को मजबूत करता है।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़। भारत-नेपाल सीमा से सटे पंचेश्वर क्षेत्र का प्रसिद्ध नगरुघाट मेला इस वर्ष चार नवंबर की रात्रि से आरंभ होगा। मेले की तैयारियों को लेकर नागार्जुन मंदिर एवं नगरुघाट मेला समिति ने कार्य तेज कर दिया है। मंदिर परिसर की सफाई, रंग-रोगन और सजावट का कार्य प्रारंभ हो चुका है।
रविवार को आयोजित बैठक में मेला समिति के अध्यक्ष जगदीश चंद्र कलौनी, सचिव कमल बोहरा और प्रवक्ता डा. सतीश चंद्र पांडेय ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र में रात्रि का मेला होने के कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सड़क मार्गों का सुधार, झाड़ियों की सफाई और प्रकाश व्यवस्था के लिए प्रशासनिक सहयोग आवश्यक है।
समिति ने खराब सड़कों की मरम्मत, पेयजल और विद्युत व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की मांग की है। हर वर्ष बैकुंठ चतुर्दशी की रात्रि में पासम ग्राम पंचायत के सेरे के पास स्थित प्राचीन नागार्जुन मंदिर में यह विशाल मेला आयोजित होता है। अगले दिन महाकार्तिकी पूर्णिमा के पवित्र स्नान के साथ मेले का समापन होता है।
इस बार मेला समिति ने मेले को तीन दिवसीय करने का निर्णय लिया है। आयोजकों ने बताया कि तीन नवंबर को क्रास कंट्री दौड़ और सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, चार नवंबर की रात्रि को मुख्य मेला, और पांच नवंबर को देव डांगरों का महाकाली ताल में स्नान के साथ मेले का समापन होगा।
मुख्य मेले की रात्रि में सल्टा, बगोटी और जमरसो गांवों के देवरथ तथा पासम, लेटी, सुनकुरी, मजपीपल, देवकुंडा, डुमडाई आदि गांवों के जत्थे मंदिर की परिक्रमा करेंगे। रात्रि में भजन प्रतियोगिता, दमाऊ वादन प्रतियोगिता और स्थानीय झोड़ा नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।
बैठक में कोषाध्यक्ष रमेश चंद, प्रबंधक विक्रम सामंत, प्रेम सिंह, मोहन चंद, प्रवीण पाण्डेय, ईश्वर सिंह बोहरा, महेंद्र सिंह बोहरा, प्रकाश चंद, प्रकाश सिंह और पीतांबर पांडेय उपस्थित रहे।
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