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    Uttarakhand News: उत्तराखंड के स्कूलों की ये है हकीकत, बच्चों के भविष्य को लेकर अभिभावक चिंतित

    By Jagran NewsEdited By: Swati Singh
    Updated: Wed, 27 Sep 2023 03:07 PM (IST)

    Uttarakhand News उत्तराखंड में स्कूलों की हालत बद से बदत्तर होती जा रही है। कहीं दीवारों में दरार आ गई है तो कहीं छत से बारिश का पानी टपक रहा है। कोटद्वार में आलम ये है कि बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने के लिए मजबूर हैं। विद्यालय में दस कक्षाओं में से सात जर्जर कक्षाओं में ताले लटके हुए हैं।

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    उत्तराखंड के स्कूलों की ये है हकीकत, बच्चों के भविष्य को लेकर अभिभावक चिंतित

    कोटद्वार, रतनमणि भट्ट। उत्तराखंड में स्कूलों की दयनीय हालत देख कर अब अभिभावक भी चिंतित हैं। पाटीसैंण छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को लेकर शिक्षा महकमा किस तरह लापरवाह है, प्रखंड एकेश्वर के अंतर्गत राजकीय इंटर कॉलेज, कुलासू इसका प्रत्यक्ष प्रमाण पत्र है। दरअसल, विद्यालय में दस कक्षाओं में से सात जर्जर कक्षाओं में ताले लटके हुए हैं। विद्यालय के तीन कक्षाओं में पठन-पाठन के साथ ही कार्यालय का संचालन किया जा रहा है।

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    विद्यालय की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि कब बड़ा हादसा हो जाए, कहा नहीं जा सकता। विद्यालय की भयावह स्थिति को देखते हुए अभिभावक भी अपने अपने बच्चों को यहां भेजने से कतरा रहे हैं। वर्तमान में विद्यालय में 35 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।

    बारिश के साथ पाला भी टपक रहा

    कहने को भले ही विद्यालय प्रशासन के पास दस कक्षा हों, लेकिन जुलाई 2023 में प्रशासन ने खतरे को भांपते हुए सात कक्षाओं को बंद करवा दिया। वर्तमान में तीन कक्षाओं में ही कक्षाओं के साथ ही कार्यालय का संचालन हो रहा है। वर्षा काल के अलावा ठंड के मौसम में छत पर गिरने वाला पाला भी विद्यालय के भीतर टपकता रहता है। आलम यह है कि विद्यालय अभिलेख को सुरक्षित रखना भी विद्यालय प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है।

    खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर

    कक्षाओं की कमी के कारण शिक्षकों को छात्र-छात्राओं को खुले आसमान के नीचे बैठा कर अध्यापन कार्य करवाना पड़ता है। विद्यालय में 10 शिक्षक-शिक्षिकाएं नियमित हैं, जबकि दो अतिथि शिक्षक भी तैनात हैं। अस्सी के दशक में इस विद्यालय को जूनियर स्तर की मान्यता थी। छात्रों की संख्या बढ़ने पर नब्बे के दशक में विद्यालय को हाईस्कूल की मान्यता दी गई।

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    घटती चली गई छात्रों की संख्या

    क्षेत्रीय जनता की मांग पर वर्ष 2017 में विद्यालय को इंटरमीडिएट की मान्यता मिली। पांच वर्ष पूर्व तक विद्यालय में छात्र संख्या 100 से अधिक रहती थी। लेकिन, विद्यालय भवन की स्थिति बिगड़ने के साथ ही छात्र संख्या की घटती चली गई। विद्यालय में क्षेत्र के चार-पांच ग्राम सभाओं के छात्र-छात्राएं अध्ययन करने आते हैं। लेकिन, अब अभिभावक अपने पाल्यों को अन्य विद्यालयों में भेज रहे हैं।

    की जा चुकी है शिकायत पर कार्रवाई नहीं

    विद्यालय के प्रधानाचार्य राजेंद्र सिंह ने बताया कि विद्यालय की स्थिति के बारे में कई बार लिखित रूप में उच्चाधिकारियों व क्षेत्रीय विधायक को पत्र दिए जा चुके हैं। लेकिन, कोई सुध नहीं ले रहा। इधर, खंड शिक्षा अधिकारी बुशरा खान ने बताया कि इंटर कॉलेज कुलासु के मरम्मतीकरण के लिए प्राक्कलन तैयार कर जिला स्तरीय अधिकारियों को भेजा जा चुका है। बदहाल विद्यालयों के संबंध में आपदा कंट्रोल रूम को भी जानकारी दी गई है। धनराशि उपलब्ध होने पर विद्यालय की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।