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जंगली जानवरों से फसल बचाने को मां के आंचल का सहारा, पढ़िए पूरी खबर

पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक स्थित ग्राम सीला के काश्तकार फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों के चारों ओर महिलाओं की धोतियों से बाड़ तैयार कर रहे हैं।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 01:44 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 01:44 PM (IST)
जंगली जानवरों से फसल बचाने को मां के आंचल का सहारा, पढ़िए पूरी खबर
जंगली जानवरों से फसल बचाने को मां के आंचल का सहारा, पढ़िए पूरी खबर

पौड़ी गढ़वाल, गणेश काला। जिस मां के आंचल तले बचपन से जवानी की दहलीज में कदम रखा, उसी मां का आंचल आज जीवन निर्वहन के लिए फसलों को सुरक्षित रखने के काम आ रहा है। दरअसल, पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक स्थित ग्राम सीला के काश्तकार फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों के चारों ओर महिलाओं की धोतियों से बाड़ तैयार कर रहे हैं। ताकि जंगली जानवर खेतों की ओर रुख न करें।   

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राज्य गठन हुए डेढ़ दशक से अधिक का समय बीत चुका है और इस कालखंड की सबसे बड़ी 'उपलब्धि' है वीरान होते गांव। इतना ही नहीं, आज भी पहाड़ शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी उन्हीं मूलभूत सुविधाओं से महरूम है, जिनसे राज्य गठन से पूर्व था। हालांकि, तब सुविधाएं कम होने पर भी पर्याप्त खेती होने के कारण गांव हरे-भरे रहते थे। राज्य बना और पहाड़ों की परेशानियां बढ़ती चली गईं। सुविधाएं तो नहीं ही मिली, जंगली जानवर व्यापक स्तर पर खेती को भी तबाह करने लगे। नतीजा, पहाड़ों से तेजी से बढ़ते पलायन के रूप में सामने आया।

हालांकि, प्रदेश सरकार ने पलायन के कारणों की जांच को पलायन आयोग गठित कर दिया है, लेकिन जंगली जानवरों के कारण गांवों में लगातार तबाह हो रही फसलों को बचाने के लिए अब तक कोई योजना नहीं बन पाई है। सिस्टम की अनदेखी ग्रामीणों को किस कदर भारी पड़ रही है, इसकी बानगी पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक के सीला गांव देखी जा सकती है। यहां काश्तकारों ने महिलाओं की धोतियों की बाड़ तैयार कर जंगली जानवरों को रोकने का प्रयास किया है।

तीन दशक पूर्व नयारघाटी के इस गांव के साथ ही दर्जनों गांवों में हरे-भरे खेत काश्तकारों के पुरुषार्थ को बयां करते थे। कालांतर में पलायन बढऩे पर गांवों में बचे-खुचे लोगों ने जीविकोपार्जन के लिए खेती का सहारा लिया, लेकिन जंगली जानवर उनकी मेहनत पर पानी फेर देते हैं। 

आज तो हालात यह हैं कि सीला में ले-देकर जो दस फीसद खेत आबाद हैं, उन्हें भी जानवर चट कर जाते हैं। मजबूर ग्रामीण बारी-बारी से रतजगा कर खेती बचाने की नाकाम कोशिश करते रहे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसलिए ग्रामीण धोतियों की बाड़ का सहारा ले रहे हैं। 

युवाओं को सरकार से उम्मीद 

सीला में नौजवानों ने न्यू एज फार्मर क्लब बनाकर गांव की बंजर पड़ी 20 हेक्टेअर भूमि को सरसब्ज कर बहुद्देश्यीय खेती में जुटा है। 'पलायन एक चिंतन' समूह के सहयोग से खेतों में पसीना बहा रहे क्लब में शामिल एक दर्जन युवाओं ने सरकार से खेतों की घेरबाड़ सहित अन्य जरूरी सहयोग की मांग उठाई है। 

ग्रामीण सीएम काला, नवल किशोर, शमा देवी, कृष्णा काला आदि काश्तकारों का कहना है सूअर व हिरण बाड़ के बीच से ही खेतों में धावा बोल देते हैं। उस पर अन्य विभागीय योजनाएं भी फाइलों तक सिमटी हैं। 

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