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    एक शिक्षक ऐसे भी: खेल-खेल और गीतों से गणित को बनाया आसान, परिणाम से मिला मुकाम

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Tue, 02 Feb 2021 04:36 PM (IST)

    उत्तराखंड में एक स्कूल ऐसा भी है जहां के बच्चों का पिछले नौ साल में गणित का परिणाम शत-प्रतिशत रहा है। ये कमाल हुआ है इस स्कूल के शिक्षक वीरेंद्र खंकरियाल के गणित पढ़ाने के तरीके से। दरअसल वीरेंद्र बच्चों को खेल-खेल और गीतों के जरिए गणित पढ़ाते हैं।

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    एक शिक्षक ऐसे भी: खेल-खेल और गीतों से गणित को बनाया आसान। जागरण

    गुरुवेंद्र नेगी, पौड़ी। उत्तराखंड में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां के बच्चों का पिछले नौ साल में गणित का परिणाम शत-प्रतिशत रहा है। ये कमाल हुआ है इस स्कूल के शिक्षक वीरेंद्र खंकरियाल के गणित पढ़ाने के तरीके से। दरअसल, वीरेंद्र बच्चों को खेल-खेल और गीतों के जरिए गणित पढ़ाते हैं। इससे बच्चों में भी उत्साह बना रहता है और उनकी गणित में रुचि बढ़ती है। वीरेंद्र की इस मेहनत के लिए उन्हें शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए भी चयनित किया गया है।    

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    शासन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए शिक्षकों को मिलने वाले शैलेश मटियानी पुरस्कार में पौड़ी जिले से शिक्षक वीरेंद्र खंकरियाल ने भी सफलता हासिल की है। मौजूदा समय में वे जीआइसी खोलाचौरी में गणित विषय में सहायक अध्यापक के रुप में सेवारत हैं। वे इस मुकाम को हासिल करने में पिछले 9 वर्षों से गणित विषय को रुचिकर बनाने और परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत के अलावा सभी के सहयोग को अहम बताते हैं।

    पौड़ी के कोट ब्लॉक में स्थित है जीआइसी खोलाचौरी। ग्रामीण परिवेश वाले इस विद्यालय में शिक्षक वीरेंद्र खंकरियाल की तैनाती वर्ष 2005 में हुई। शिक्षक वीरेंद्र खंकरियाल बताते हैं कि गणित विषय को खेल-खेल और गीतों के माध्यम से इसे छात्र-छात्राओं के बीच रुचिकर बनाने की कवायद शुरु की।

    धीरे-धीरे छात्र-छात्राओं ने इसे व्यवहारिक रुप में लेना शुरु कर दिया। उन्होंने बताया कि इसके अलावा गणित में प्रयोगशाला का निर्माण भी किया और सरल व प्रयोगात्मक दृष्टि से छात्र-छात्राओं का अध्यापन करवाया। 

    आपको बता दें कि पिछले 9 सालों में गणित विषय में उनके विद्यालय का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा है। शिक्षक वीरेंद्र खंकरियाल बताते हैं कि ग्रामीण परिवेश वाले क्षेत्र में अधिक से अधिक बच्चे गणित को अपना पसंदीदा विषय बनाए, इसके लिए वे माह में एक दिन समय निकाल कर गांवों में अभिभावकों से मिलकर अपनी बात उनके सामने रखते।

    उनका ये भी कहना है कि इसके बेहतर परिणाम सामने आए और काफी संख्या में बच्चे गणित विषय में प्रवेश लेते रहे। उन्होने इस उपलब्धि के लिए विद्यालय के शिक्षकों और विभागीय अधिकारियों द्वारा उनको समय-समय पर दिए जाने वाले सहयोग दिए जाने पर भी खुशी जाहिर की। 

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