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    उत्तराखंड में पलायन थामने में मददगार होगी मुख्यमंत्री मशरूम विकास योजना, जानिए इसके बारे में

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jan 2021 03:33 PM (IST)

    बदली परिस्थितियों में गांव लौटे प्रवासियों के साथ ही अन्य व्यक्तियों को गांवों में रोजगार मुहैया कराने की दिशा में राज्य सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री मशरूम विकास योजना को लांच करने की तैयारी है।

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    पलायन थामने में मददगार होगी मुख्यमंत्री मशरूम विकास योजना।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। बदली परिस्थितियों में गांव लौटे प्रवासियों के साथ ही अन्य व्यक्तियों को गांवों में रोजगार मुहैया कराने की दिशा में राज्य सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री मशरूम विकास योजना को लांच करने की तैयारी है। उद्यान विभाग ने इसका खाका खींच लिया है। साथ ही आगामी बजट में इस योजना की शुरुआत के लिए 10 करोड़ के बजट की मांग की जाएगी। प्रयास ये है कि नए वित्तीय वर्ष में यह योजना प्रारंभ हो जाए। इससे जहां स्थानीय निवासियों को रोजगार मिलेगा, वहीं पलायन थामने में भी मदद मिलेगी। योजना के तहत लगने वाली मशरूम इकाइयों में पैदा होने वाली मशरूम के विपणन की व्यवस्था भी की जाएगी।

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    मशरूम की खेती स्वरोजगार के लिए ऐसा विकल्प है, जिसे कम लागत पर कम जगह पर भी किया जा सकता है। फिर मशरूम की खेती के लिए उत्तराखंड मुफीद है। मैदानी क्षेत्रों में कृत्रिम वातावरण में इसकी खेती होती है तो पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक वातावरण में भी इसकी खेती की जा सकती है। रोजगार मुहैया कराने की दिशा में मशरूम उत्पादन एक बड़े अवसर के रूप में उभरा है। 

    राज्य में वर्तमान में छोटी-बड़ी करीब 150 मशरूम इकाइयां कार्यरत हैं, जिनसे 13500 मीट्रिक टन मशरूम का उत्पादन होता है। इस सबको देखते हुए प्रदेश सरकार ने राज्य में मशरूम की खेती को और अधिक बढ़ावा देने का निश्चय किया है।  इसी क्रम में लाई जा रही है मुख्यमंत्री मशरूम विकास योजना। कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार इस योजना का खाका तैयार हो चुका है। 

    कोशिश ये है कि नए वित्तीय वर्ष में यह योजना धरातल पर आकार ले ले। मशरूम इकाइयों की स्थापना के मद्देनजर कार्ययोजना तैयार की जा रही है। योजना के तहत प्रत्येक विकासखंड में क्लस्टर आधार पर मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे जहां खरीदारों को सहूलियत होगी, वहीं मशरूम उत्पादकों को उत्पादित मशरूम को बिक्री के लिए इधर-उधर ले जाने के झंझट से निजात मिल सकेगी।

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