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    अजब गजब! गांव में पेयजल लाइन का कनेक्शन तक नहीं... विभाग ने फिर भी भेज दिया 15 हजार का बिल

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 06:54 PM (IST)

    जल संस्थान पौड़ी ने 82 वर्षीय बुजुर्ग को 15 हजार रुपये का गलत पेयजल बिल भेजा, जबकि कनेक्शन 2005 में बंद हो गया था। मामला लोक अदालत में पहुंचने पर जल स ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, पौड़ी : जल संस्थान पौड़ी ने 82 वर्षीय बुजुर्ग को पेयजल का 15 हजार रुपये का बकाये बिल का नोटिस भेजा। जबकि, बुजुर्ग ने 2005 में पेयजल कनेक्शन बंद कर लिया था और वर्तमान में गांव में उक्त योजना की ना पाइप लाइन और ना ही कनेक्शन हैं।

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    मामला विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थायी लोक अदालत में पहुंचा तो बुजुर्ग को न्याय मिला। जल संस्थान ने बताया कि बिल गलती से काटा गया है। जिसे तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है। जबकि, इससे पहले बुजुर्ग जल संस्थान के चक्कर काटकर परेशान हो गए थे। लेकिन, उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया।

    जनपद पौड़ी के विकास खंड कल्जीखाल की ग्राम पंचायत ओलना के अंतर्गत सुनारसारी गांव का है। इस गांव में पांच परिवार रहते हैं। यहां इसी साल बीते अगस्त-सितंबर में जल संस्थान पौड़ी का एक अजब-गजब कारनामा सामने आया था।

    सुनारसारी गांव के 82 वर्षीय पीतांबर सिंह चौहान को जल संस्थान ने 15 हजार के पेयजल बिल के बकाये के भुगतान का नोटिस थमाया था। पीतांबर चौहान ने बताया कि गांव में धूरा-डुंगरा-ओलन पेयजल योजना से जलापूर्ति होती थी।

    वर्ष 2005 में उक्त योजना से जलापूर्ति पूरी तरह बंद हो चुकी है। गांव में उक्त योजना की ना पाइप लाइन और ना ही कनेक्शन है। कनेक्शन बंद होने पर संपूर्ण भुगतान कर लिया था।

    जल संस्थान पौड़ी ने उक्त पेयजल कनेक्शन के 15 हजार की बकाये की वसूली लगाते हुए तहसील पौड़ी से नोटिस भेजा था। बार-बार बकाया जमा किए जाने के लिए मुझे परेशान किया जा रहा था।

    बीते 18 सितंबर को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पौड़ी के पैरा लीगल वालियंटर जगमोहन डांगी ने बुजुर्ग ग्रामीण की ओर से स्थायी लोक अदालत पौड़ी की अदालत में वाद दाखिल किया था। साथ ही प्रकरण की पैरवी भी की।

    स्थालीय लोक अदालत पौड़ी के अध्यक्ष व जिला जज पौड़ी धर्म सिंह की अदालत ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों बहस, साक्ष्य के आधार पर फैसला सुनाया। अदालत में जल संस्थान प्रशासन पौड़ी ने बिल गलती से काटा माना। जिसे निरस्त कर दिया गया है।

    अदालत ने जलसंस्थान प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई। भविष्य में इस तरह की लापरवाही पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की हिदायत दी। अदालत में सदस्य मयंक शर्मा व अरविंद पुरोहित मौजूद रहे। अदालत के फैसले के बाद बुजुर्ग पीतांबर सिंह चौहान ने कहा कि आखिकार न्याय मिला है। यह संस्थान प्रशासन को भी एक सबब है।

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