Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kotdwar Rain: उत्तराखंड में तबाही लेकर आई बारिश, बह गए आशियाने; सरकार पर टिकी निगाहें

    By Jagran NewsEdited By: Swati Singh
    Updated: Wed, 23 Aug 2023 02:46 PM (IST)

    इस साल बारिश ने कोटद्वार में भारी तबाही मचाई। खोह नदी की भेंट चढ़े अधिकांश भवन सरकारी भूमि में थे। ऐसे में इन भवन स्वामियों की निगाहें सरकार पर टिकी हुई हैं। उधर पर्वतीय क्षेत्रों में बेघर परिवारों को सरकार की पुनर्वास नीति का इंतजार है। कोटद्वार में न जाने ऐसे कितने लोग हैं जिन्होंने अपने आंखों के सामने अपना सब कुछ इस बाढ़ बारिश में खत्म होते देखा है।

    Hero Image
    बह गए आशियाने; सरकार पर टिकी निगाहें

    कोटद्वार, जागरण संवाददाता। उत्तराखंड में इस साल बारिश अपने साथ तबाही लेकर आई। भारी बारिश और भूस्खलन के चलते न जाने कितनों के घर उजड़ गए। सालों से बनी बनाई गृहस्थी नदी के तेज बहाव में बह गई। इस तबाही का जो दर्द है वो शायद ही किसी मुआवजे से भर पाए। कोटद्वार में न जाने ऐसे कितने लोग हैं जिन्होंने अपने आंखों के सामने अपना सब कुछ इस बाढ़ बारिश में खत्म होते देखा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोटद्वार तहसील क्षेत्र में बीती आठ अगस्त व 13 अगस्त की रात हुई अतिवृष्टि में 31 भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। इनमें से 21 भवन कोटद्वार में खोह नदी की भेंट चढ़े, जबकि दस भवन पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन की जद में आकर जमींदोज हुए। प्रभावित परिवारों को प्रशासन ने राहत शिविरों में ठहराया हुआ है। लेकिन, भविष्य को लेकर प्रभावित परिवार आज भी असमंजस की स्थिति में है।

    सरकार पर टिकी हैं लोगों की निगाहें

    दरअसल, कोटद्वार में खोह नदी की भेंट चढ़े अधिकांश भवन सरकारी भूमि में थे। ऐसे में इन भवन स्वामियों की निगाहें सरकार पर टिकी हुई हैं। उधर, पर्वतीय क्षेत्रों में बेघर परिवारों को सरकार की पुनर्वास नीति का इंतजार है। प्रशासन के आंकड़ों पर नजर डालें तो कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र में बीती आठ अगस्त व 13 अगस्त की रात अतिवृष्टि के दौरान आए सैलाब में कोटद्वार क्षेत्र में 21 भवन जमींदोज हो गए। प्रशासन ने तात्कालिक सहायता के रूप में इन भवन स्वामियों को पांच-पांच हजार रूपए की धनराशि प्रदान की। लेकिन, इन भवन स्वामियों का भविष्य क्या होगा, इसे लेकर संशय की स्थिति है।

    सरकारी भूमि पर बनाए भवनों के लिए पुनर्वास नहीं 

    दरअसल, प्रशासनिक दस्तावेजों पर नजर डालें तो इन भवन स्वामियों में से कई भवन स्वामी ऐसे हैं, जिनके भवन राज्य सरकार की भूमि पर बने हुए थे। प्रशासनिक दृष्टिकोण से देखें तो यह सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की श्रेणी में है। ऐसे में इन लोगों के पुनर्वास को सरकारी तंत्र भूमि देगा, इसकी उम्मीद काफी कम है। स्वयं प्रशासनिक अधिकारी भी यह मान रहे हैं कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के पुनर्वास के संबंध में कोई व्यवस्था फिलहाल नहीं है।

    पर्वतीय क्षेत्रों में पुनर्वास नीति का इंतजार

    कोटद्वार तहसील के पर्वतीय क्षेत्रों की बात करें तो कोटद्वार नगर निगम को छोड़ तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों में दस भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं। यहां रह रहे परिवारों को स्कूलों, पंचायत भवनों अथवा अन्य सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। भवन स्वामियों के भवन स्वयं के नापखेत भूमि में हैं, ऐसे में यह भवन स्वामी पुनर्वास नीति के अंतर्गत आएंगे। वर्तमान में पुनर्वास के लिए सरकार की ओर से करीब सवा लाख की धनराशि दिए जाने का प्राविधान है। हालांकि, तहसील प्रशासन अभी इस इंतजार में है कि यदि शासन से पुनर्वास नीति में कोई संशोधन किया जाता है तो उक्त प्रभावितों को इसका लाभ मिल जाए।

    उपजिलाधिकारी ने कही ये बात

    ‘कोटद्वार क्षेत्र में आपदा की जद में आए अधिकांश भवन अतिक्रमित भूमि पर बनाए गए थे। ऐसे में शासन की ओर से जारी निर्देशों के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। आपदा प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है। ...सोहन सिंह सैनी, उपजिलाधिकारी, कोटद्वार’

    comedy show banner
    comedy show banner