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    Pauri News: कोटद्वार में दिखी विलुप्त प्रजाति की हिमालयन अर्थ टाइगर स्पाइडर, संरक्षित करने की तैयारी

    By dinesh kukretiEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Sat, 05 Nov 2022 02:05 AM (IST)

    वर्ष 1899 के बाद यह मकड़ी वर्ष 2020 में पहली बार राजपुर (देहरादून) में देखी गई थी और अब कोटद्वार क्षेत्र में नजर आई है। कालागढ़ टाइगर रिजर्व (केटीआर) वन प्रभाग इस मकड़ी प्रजाति को संरक्षित करने की तैयारी में है।

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    वन प्रभाग इस मकड़ी प्रजाति को संरक्षित करने की तैयारी में है।

    कोटद्वार, जागरण संवाददाता। कोटद्वार क्षेत्र में पहली बार विलुप्त प्रजाति में शामिल हिमालयन अर्थ टाइगर स्पाइडर (हैप्लोकोस्मिया हिमालयन) नजर आई है। वर्ष 1899 के बाद यह मकड़ी वर्ष 2020 में पहली बार राजपुर (देहरादून) में देखी गई थी और अब कोटद्वार क्षेत्र में नजर आई है। कालागढ़ टाइगर रिजर्व (केटीआर) वन प्रभाग इस मकड़ी प्रजाति को संरक्षित करने की तैयारी में है। 

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    बीते दिनों लैंसडौन वन प्रभाग मुख्यालय के आवासीय परिसर में स्थित कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में चालक राम सिंह खाती के आवास में एक अजीब मकड़ी नजर आई। राम सिंह ने इसकी सूचना प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी हरीश नेगी को दी। 

    उच्चाधिकारियों व जानकारों से चर्चा 

    उप प्रभागीय वनाधिकारी वहां से मकड़ी को डिब्बे में बंद कर कार्बेट पार्क रिसेप्शन स्थित प्रभागीय वनाधिकारी के कैंप कार्यालय में ले आए। यहां प्रभागीय वनाधिकारी प्रकाश चंद्र आर्य ने भी मकड़ी को देखा और इस संबंध में उच्चाधिकारियों व जानकारों से चर्चा की। मकड़ी के चित्र व वीडियो देखने के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि यह मकड़ी हिमालयन अर्थ टाइगर स्पाइडर है, जो कि उत्तराखंड में विलुप्त प्रजाति में शामिल है। 

    पूर्व विज्ञानी से जारी किया था शोध पत्र

    प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि वर्ष 2020 में यह मकड़ी राजपुर (देहरादून) में देखी गई थी। इस संबंध में वर्ष 2020 में जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के पूर्व विज्ञानी अखलाक हुसैन ने शोध पत्र जारी किया था। 

    1899 में देहरादून में देखी गई थी

    इस शोध पत्र में स्पष्ट था कि वर्ष 2020 से पूर्व यह मकड़ी वर्ष 1899 में देहरादून में देखी गई थी। लेकिन, किस स्थान पर देखी गई, इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। बताया कि क्षेत्र में दिखी इस मकड़ी को प्रभाग में संरक्षित किया जाएगा। साथ ही क्षेत्र में इस प्रजाति की अन्य मकड़ियों की भी तलाश की जाएगी।