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    गांव लौटे प्रवासियों ने पेश की मिसाल, बना दी ढाई किमी लंबी सड़क

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    Updated: Tue, 23 Jun 2020 02:18 PM (IST)

    कोरोना काल में पौड़ी जिले के पोखड़ा ब्लॉक स्थित ग्राम आनंदपुर लौटे प्रवासियों ने सड़क बनाई। इसके लिए न्होंने स्वयं के प्रयासों से न केवल 13 लाख की धनराशि जुटाई।

    गांव लौटे प्रवासियों ने पेश की मिसाल, बना दी ढाई किमी लंबी सड़क

    पौड़ी, जेएनएन। कोरोना काल में पौड़ी जिले के पोखड़ा ब्लॉक स्थित ग्राम आनंदपुर लौटे प्रवासियों ने सहयोग की अनूठी मिसाल पेश की है। उन्होंने स्वयं के प्रयासों से न केवल 13 लाख की धनराशि जुटाई, बल्कि इस राशि से गांव तक ढाई किमी लंबी सड़क भी बना डाली। सड़क निर्माण के लिए ग्रामीणों ने निश्शुल्क भूमि देने के साथ ही श्रमदान भी किया। लगभग दो माह की कड़ी मेहनत के बाद जब गांव में पहली बार वाहन पहुंचा तो ग्रामीणों ने एक-दूसरे को माला पहनाकर खुशी का इजहार किया।

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    आंनदपुर गांव तक पहुंचने के लिए अब तक करीब ढाई किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती थी। लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न शहरों से गांव वापस लौटे 13 प्रवासियों ने भी इस पीड़ा को महसूस किया और संकल्प लिया कि गांव तक सड़क पहुंचाकर ही दम लेंगे। इसके लिए उन्होंने शहरों में रह रहे गांव के अन्य प्रवासियों के साथ मिलकर सोशल मीडिया पर एक कमेटी बनाई। 

    कमेटी ने आपसी सहयोग से करीब 13 लाख की धनराशि एकत्र की। ग्रामीण महिताब सिंह बताते हैं कि इसके बाद दो मई से प्रवासियों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर सड़क निर्माण के लिए श्रमदान शुरू किया। मेहनत रंग लाई और लगभग 50 दिन की कड़ी मेहनत के गांव तक ढाई किमी लंबी सड़क तैयार हो गई। सोमवार को इस सड़क का उद्घाटन किया गया। 

    गांव में पहली बार वाहन पहुंचने की खुशी में ग्रामीणों ने एक-दूसरे को माला पहनाई और मिष्ठान वितरण किया। महिताब सिंह ने बताया कि 70 परिवारों वाले आनंदपुर गांव की आबादी 300 के अधिक है। ग्राम प्रधान राजमती देवी ने बताया कि प्रवासियों की इस पहल ने गांव की तस्वीर बदल दी है। अब आनंदपुर गांव चौबट्टाखाल-दमदेवल मोटर मार्ग से सीधे जुड़ गया है।

    लंबे समय से था सड़क का इंतजार 

    ग्राम प्रधान राजमती देवी ने बताया कि आनंदपुर के ग्रामीण वर्ष 2000 से गांव को सड़क से जोड़ने की मांग उठा रहे थे। लेकिन, किसी भी स्तर पर उनकी सुनवाई नहीं हुई। बताया कि सड़क निर्माण के लिए प्रवासियों ने 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का आर्थिक सहयोग किया।

    अब सभी प्रवासी लौटेंगे गांव

    महिताब सिंह ने बताया कि अभी 13 प्रवासी ही गांव वापस लौटे हैं, जबकि 40 और जल्द ही गांव लौटेंगे। इन सभी ने सड़क बनाने में आर्थिक सहयोग किया है। कहा कि प्रवासी हमेशा गांव लौटना चाहते थे, लेकिन सड़क सुविधा न होने के कारण उनके कदम थम जाते थे।

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    बुजुर्गों से कराया उद्घाटन

    श्रमदान से बनी सड़क का उद्घाटन ग्रामीणों ने गांव के 80 वर्षीय बुजुर्ग गोविंद सिंह रावत और 72 वर्षीय सेवानिवृत्त कैप्टन मनवर सिंह रावत से कराया। ग्रामीणों का कहना था कि बुजुर्गों के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से वे सड़क बनाने में सफल रहे हैं।

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