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    चीन सीमा पर देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज बनकर तैयार, जानिए इसकी खासियत

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    Updated: Tue, 23 Jun 2020 08:06 AM (IST)

    उत्तरकाशी से पांच किमी दूर गंगोरी के पास बेली ब्रिज के स्थान पर देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज बनकर तैयार हो गया है।

    चीन सीमा पर देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज बनकर तैयार, जानिए इसकी खासियत

    उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाले गंगोत्री हाइवे पर जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से पांच किमी दूर गंगोरी के पास बेली ब्रिज के स्थान पर देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। असी गंगा नदी पर 70 टन भार क्षमता के इस पुल को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने तैयार किया है। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि कोविड-19 महामारी के चलते अभी पुल का विधिवत उद्घाटन नहीं हो सका है, लेकिन इस पर आवाजाही शुरू कर दी गई है। बताया कि गंगोत्री हाइवे पर ही स्वारी गाड स्थित बेली ब्रिज की भी कुछ माह पहले ही मरम्मत भी की जा चुकी है। 

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    दरअसल, गंगोरी में एक के बाद एक बेली ब्रिज के टूटने की घटना के बाद बीआरओ की मांग पर कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) कंपनी ने न्यू जनरेशन ब्रिज का डिजाइन और उसके कलपुर्जे भी तैयार किए। इसी वर्ष जनवरी इस पुल का निर्माण शुरू हुआ था और अप्रैल में पुल बनकर तैयार हो गया। 190 फीट लंबे इस न्यू जनरेशन पुल का निर्माण पुराने बेली ब्रिज के ही स्थान पर ही किया गया। गंगोरी में पहले लगे बेली ब्रिज 16 से 20 टन भार क्षमता के थे, लेकिन इस पुल की भार क्षमता 70 टन है। सड़क निर्माण के लिए मशीनें और सेना के वाहन भी इस पुल से आसानी से जा सकते हैं।
    इसलिए दिया गया न्यू जनरेशन ब्रिज नाम 
    उत्तरकाशी के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि बेली ब्रिज की भार क्षमता 20-25 टन और चौड़ाई 3.75 मीटर होती है। बेली ब्रिज के निर्माण में केवल लोहे का उपयोग होता है, लेकिन गंगोरी के पास बीआरओ ने जो न्यू जनरेशन ब्रिज तैयार किया है, उसमें स्टील और लोहे के कलपुर्जों का भी उपयोग हुआ है। इसी कारण बेली ब्रिज की तुलना में न्यू जनरेशन ब्रिज का भार कम होता है। 
    इस पुल की चौड़ाई 4.25 मीटर और भार क्षमता बेली ब्रिज से तीन गुना अधिक यानी 70 टन है। हाइवे के पक्के मोटर पुल की भार क्षमता भी 70 टन के आसपास होती है। बताया कि सिर्फ इस पुल को जोड़ने की तकनीक बेली ब्रिज की तरह है, जो 30 दिनों के अंतराल में तैयार हो जाता है। इस पुल का डिजाइन तैयार करने वाली जीआरएसई कंपनी ने इसे न्यू जनरेशन ब्रिज नाम दिया है।

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