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    अनुकृति ने समझा दर्द, जयहरीखाल और डेरियाखाल में टैंकरों से भेजा पानी; महिलाओं की समस्‍या भी सुनी

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 08 Apr 2021 07:37 PM (IST)

    जयहरीखाल और डेरियाखाल में लंबे समय से पेयजल किल्लत से जूझ रहे ग्रामीणों के लिए महिला उत्थान एवं बाल कल्याण संस्थान की ओर से टैकरों के जरिये पानी की आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति के लिए छह टैंकरों की व्यवस्था कराई है।

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    महिला उत्थान एवं बाल कल्याण संस्थान की ओर से टैकरों के जरिये पानी की आपूर्ति की जा रही है।

    संवाद सहयोगी, लैंसडौन: जयहरीखाल और डेरियाखाल में लंबे समय से पेयजल किल्लत से जूझ रहे ग्रामीणों के लिए महिला उत्थान एवं बाल कल्याण संस्थान की ओर से टैकरों के जरिये पानी की आपूर्ति की जा रही है। दरअसल, संस्थान की ओर से मशरूम उत्पादन व भीमल की खेती के प्रशिक्षण सत्र के दौरान संस्था की अध्यक्ष अनुकृति गुसाईं के समक्ष महिलाओं ने पेयजल समस्या की बात रखी। जिसके बाद उन्होंने क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति के लिए छह टैंकरों की व्यवस्था कराई है। 

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    जयहरीखाल में इन दिनों महिला उत्थान एवं बाल कल्याण संस्थान की ओर से प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रशिक्षण में ब्लॉक की तमाम महिलाएं शिरकत कर रही हैं। लंबे समय से क्षेत्र में चल रही पेयजल की किल्लत ने महिलाओं के उत्साह को फीका कर दिया। इस दौरान अनुकृति गुसाईं ने देखा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिलाओं की संख्या लगातार कम हो रही है।

    उन्होंने महिलाओं से जब इसका कारण पूछा तो महिलाओं ने उन्हें पेयजल किल्लत के बारे में बताया। महिलाओं ने कहा कि पेयजल किल्लत के कारण उन्हें प्रशिक्षण में आने में देर हो जाती है। उन्हें तीन से चार किमी दूर पानी लेना जाना पड़ता है। अनुकृति ने उनकी समस्या सुनी और तत्काल डेरियाखाल और जयहरीखाल क्षेत्र में तीन-तीन टैंकरों की व्यवस्था करवा दी। अनुकृति ने बताया कि महिलाओं को प्रशिक्षण के दौरान पेयजल की समस्या से न जूझना पड़े, इसके लिए संस्था अगले दो माह तक क्षेत्र में पेयजल टैंकरों से पानी की आपूर्ति कराएंगी।

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    पौखाल निवासी पुष्पा नेगी, जयहरीखाल की सोनिया डोबरियाल और जणदा निवासी शोभा देवी व कुमुम देवी ने बताया कि भैरवगढ़ी पंङ्क्षपग पेयजल योजना से क्षेत्रीय ग्रामीणों की प्यास नही बुझ पा रही है। उन्होंने कहा कि योजना भले ही शुरू हो गई हो, लेकिन क्षेत्र में पानी की किल्लत अभी भी बनी हुई है। उन्हें पानी लेने के लिए अभी भी तीन से चार किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में आने से पहले उन्हें पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है। जिसके चलते वे देरी से प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहुंच रही थीं।

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