Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यहां हिमालयन सीरो ने दी दस्तक, कैमरा ट्रैप में कैद हुर्इ तस्वीर

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Wed, 10 Oct 2018 08:53 PM (IST)

    लैंसडौन में हिमालय सीरो ने दस्तक दी है। कैमरा ट्रैप में हिरण प्रजाति के हिमालयन सीरो की तस्वीर कैद हुर्इ है।

    यहां हिमालयन सीरो ने दी दस्तक, कैमरा ट्रैप में कैद हुर्इ तस्वीर

    कोटद्वार, [अजय खंतवाल]: विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व से घिरे लैंसडौन वन प्रभाग के जंगल जहां बाघ के लिए बेहतर प्राकृत वास साबित हो रहे हैं, वहीं पिछले कुछ वर्षों में यहां वन्य जीवों की ऐसी प्रजातियां भी नजर आ रही हैं, जो इन जंगलों के स्वस्थ होने का संकेत हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले हिरण प्रजाति के सीरो का प्रभाग के जंगलों में नजर आना प्रमाण है कि यहां का भूगोल वन्य जीवों को काफी भा रहा है। वन्य जीव विलुप्त की अनुसूची-एक में शामिल सीरो को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आइयूसीएन) ने 'संकटापन्न के नजदीक' श्रेणी में शामिल किया है। कुछ समय पूर्व दुगड्डा रेंज में बर्ड वाचिंग के लिए पहुंचे ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन) के कंजरवेटर एंबेसडर राजीव बिष्ट ने जब रेंज के जंगल में हिमालयन सीरो देखा तो उन्हें अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ।

    बाद में उन्होंने इस संबंध में वन अधिकारियों से चर्चा की तो वन अधिकारी भी इस बात को मानने से इन्कार करते रहे। लेकिन, हाल ही में डब्ल्यूआइआइ (भारतीय वन्य जीव संस्थान) की ओर से लगाए गए कैमरा ट्रैप में हिमालयन सीरों नजर आने के बाद विभाग को भी यह भरोसा हुआ कि क्षेत्र के जंगलों में उसकी मौजूदगी है।

    लैंसडौन वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी वैभव कुमार सिंह बताते हैं कि प्रभाग के जंगलों में वन्य जीवों का समृद्ध संसार मौजूद है। बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाया जाने वाला हिरण प्रजाति का सीरो वन महकमे की सूची में दुर्लभ वन्य जीव के रूप में दर्ज है। इसकी प्रभाग के जंगलों में मौजूदगी यहां बेहतर जैव विविधता को प्रदर्शित करती है।

    प्रभाग को मिल चुका है कैट्स अवार्ड

    समुद्रतल से 331 मीटर से लेकर 1901 मीटर की ऊंचाई पर मध्य शिवालिक व वाह्य हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे इस प्रभाग को कोटद्वार, कोटड़ी, दुगड्डा, लालढांग व लैंसडौन रेंज में बांटा गया है। इन सभी रेंज में बाघ के साथ ही अन्य वन्य जीवों की बेहतर तादाद मौजूद है। यही वजह है कि कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्डस (कैट्स) की ओर से भी इस प्रभाग को पुरस्कृत किया गया।

    यह भी पढ़ें: इंडो-अमेरिकन टमाटर ने बदल दी किसानों की तकदीर, जानिए कैसे

    यह भी पढ़ें: पंतनगर की उत्तरा बनी राज्य की पहली कुक्कुट नस्ल, जानिए इसकी खासियत