जंगल की आग से घिरा स्कूल, 650 बच्चों की ऐसे बचाई जान; लेगें हेलीकॉप्टरों का सहारा
पौड़ी स्थित केंद्रीय विद्यालय और गढ़वाल मंडलायुक्त कार्यालय आग की लपटों से घिर गए। इससे वहां अफरातफरी मच गई। आनन फानन विद्यालय के छात्र-छात्राओं को मै ...और पढ़ें

पौड़ी, [जेएनएन]: पहाड़ों में विकराल होती जंगल की आग अब आबादी के लिए खतरा बनने लगी है। मंगलवार को जंगल से सटे केंद्रीय विद्यालय, गढ़वाल मंडलायुक्त कार्यालय और इसके परिसर में बने सरकारी आवास लपटों से घिर गए। इससे वहां अफरातफरी मच गई। घटना के वक्त विद्यालय में करीब 650 छात्र-छात्राएं मौजूद थे। आननफानन स्टाफ बच्चों को एकत्र कर कुछ दूर स्थित कंडोलिया खेल मैदान में सुरक्षित ले आया।
सूचना मिलने पर अग्निशमन, वन और पुलिस महकमे की टीम मौके पर पहुंची और करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। हालांकि जंगल अब भी सुलग रहे हैं।
बीते चार दिन से पौड़ी शहर के आसपास का जंगल आग की चपेट में है। वन विभाग की टीम आग पर काबू पाने में जुटी हुई है। शहर से करीब एक किलोमीटर दूर जंगल से सटे इलाके में केंद्रीय विद्यालय, गढ़वाल के मंडलायुक्त का शिविर कार्यालय और सरकारी आवास हैं।
मंगलवार को रोज की तरह छात्र-छात्राएं अपनी कक्षाओं में मौजूद थे। करीब साढ़े ग्यारह बजे स्कूल परिसर में धुआं भरने लगा। प्रधानाचार्य सतनाम ङ्क्षसह ने बताया कि इससे बच्चों को आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी होने लगी। उन्होंने बताया कि स्टाफ ने तत्काल बच्चों को वहां से निकालकर कंडोलिया मैदान में भेजना शुरू किया।

हालात को देखते हुए स्कूल में छुट्टी कर दी गई। इधर कर्मचारियों के साथ ही सरकारी आवासों में रहने वाले परिजनों ने भी सुरक्षित स्थानों पर शरण ली। गढ़वाल वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी लक्ष्मण ङ्क्षसह रावत और अग्निशमन अधिकारी प्रेम ङ्क्षसह सती ने बताया कि संसाधनो की कमी के बावजूद आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग और दमकल जी जान से जुटा हुआ है।
प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि इस सीजन में अब तक जिले में वनों की आग की 322 घटनाएं हुईं। इनमें 894.35 हेक्टेयर वन संपदा राख हो गई।
आग बुझाने के प्रयास में झुलसे छह ग्रामीण
पौड़ी जिले के गुमखाल क्षेत्र में पाली गांव भी आग की लपटों से घिर गया। दोपहर में एकाएक हुए घटनाक्रम से ग्रामीणों में दहशत फैल गई। गोशालाओं पर खतरा मंडराता देख उन्होंने मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और तत्काल झांपा (हरी टहनियों से बनी झाड़ू) लेकर आग बुझाने में जुट गए। इस प्रयास में छह लोग मामूली रूप से झुलस गए।
हेलीकॉप्टरों से बुझाई जाएगी जंगलों की आग
उत्तराखंड में बेकाबू होती जंगलों की आग ने राज्य सरकार की बेचैनी भी बढ़ा दी है। अब आग पर काबू पाने को हेलीकॉप्टरों की मदद लेने की तैयारी है। इससे पहले वर्ष 2016 में भी हेलीकॉप्टरों की मदद ली गई थी।
मंगलवार को चमोली जिले के भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जरूरत पड़ी तो वनों की आग बुझाने को हेलीकॉप्टरों की मदद ली जाएगी। हेली सेवा प्रदाता कंपनियों से सरकार ने टाइअप किया है। वहीं, मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वनाग्नि की समीक्षा भी करेंगे। इस बीच राज्य में पिछले 24 घंटे के दरम्यान ही वनों में आग की घटनाओं में 44 का इजाफा हुआ है। हालांकि, आग पर काबू पाने को ताकत झोंक दी गई है।
वन कर्मियों के साथ पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के जवान और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग आग बुझाने में जुटे हैं। इन सभी की संख्या 4306 है। यही नहीं, दावानल पर नियंत्रण के मद्देनजर 248 वाहन भी लगाए गए हैं।

राज्य का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा होगा, जहां जंगल न धधक रहे हों। अब तो आग गांव-घरों की देहरी तक दस्तक देने लगी है। ऐसे में चिंता और बढ़ गई है। जंगल किस तेजी से धधक रहे हैं, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 15 फरवरी से शुरू हुए इस फायर सीजन के दौरान सोमवार तक राज्य के जंगलों में आग की 717 घटनाएं हुई थीं और मंगलवार को यह आंकड़ा 761 पहुंच गया। सबसे अधिक आग गढ़वाल क्षेत्र के जंगलों में भड़की हुई है।
हालांकि, आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग के साथ अब पुलिस, एसडीआरएफ व एनडीआरएफ के जवानों के साथ ही स्थानीय ग्रामीण आगे आए हैं। मंगलवार को 2965 विभागीय कार्मिकों के साथ 1269 स्थानीय लोग, पुलिस के 45 और एसडीआरएफ व एनडीआरएफ के 27 जवान आग बुझाने में जुटे रहे।
गढ़वाल, कुमाऊं, शिवालिक व वन्यजीव संगठन क्षेत्रों में 248 वाहनों और आठ पानी टैंकरों की सेवाएं भी ली जा रही हैं। नोडल अधिकारी वनाग्नि एवं अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक बीपी गुप्ता के अनुसार आग पर नियंत्रण के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें अन्य विभागों के साथ ही वन पंचायतों और ग्राम पंचायतों का भी सहयोग लिया जा रहा है।
जंगल की आग (मंगलवार तक)
क्षेत्र------------------घटनाएं-------प्रभावित क्षेत्र----क्षति
गढ़वाल---------------257---------524.9--------896362.5
कुमाऊं----------------238---------504.98------984462
वन्यजीव संगठन-----44-----------89.636-------83121
शिवालिक-------------222---------125.75-----210981.5
(नोट: क्षेत्र हेक्टेयर और क्षति रुपये में)
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