By Ajay khantwalEdited By: riya.pandey
Updated: Sat, 18 Nov 2023 06:57 PM (IST)
कोटद्वार में भूमि संरक्षण वन प्रभाग लैंसडौन के जिस तिलवाढांग वन विश्राम गृह में पाखरो टाइगर सफारी का पूरा खाका तैयार किया गया उसी बंगले में बैठकर अब सीबीआइ टीम टाइगर सफारी में हुए घोटालों की जांच करेगी। शासन के निर्देश पर वन महकमा इन दिनों इस बंगले का जीर्णोंद्धार कर इसे सीबीआइ टीम का ठौर बना रहा है। उच्च न्यायालय ने सरकार को सीबीआइ टीम के ठहरने की व्यवस्था...
जागरण संवाददाता, कोटद्वार। विडंबना देखिए कि कोटद्वार में भूमि संरक्षण वन प्रभाग लैंसडौन के जिस तिलवाढांग वन विश्राम गृह में पाखरो टाइगर सफारी का पूरा खाका तैयार किया गया, उसी बंगले में बैठकर अब सीबीआइ टीम टाइगर सफारी में हुए घोटालों की जांच करेगी। शासन के निर्देश पर वन महकमा इन दिनों इस बंगले का जीर्णोंद्धार कर इसे सीबीआइ टीम का ठौर बना रहा है।
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कालागढ़ टाइगर रिजर्व फारेस्ट वन प्रभाग के अंतर्गत पाखरो रेंज में निर्माणाधीन पाखरो टाइगर सफारी विवादों में घिरी हुई है। एक ओर जहां उच्चतम न्यायालय की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी ने इस सफारी के निर्माण में घोर अनियमिताएं पाई हैं, वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी पाखरो टाइगर सफारी की सीबीआइ जांच के निर्देश दिए हैं।
उच्च न्यायालय ने सरकार को सीबीआइ टीम के ठहरने की व्यवस्था सहित अन्य तमाम सुविधाएं मुहैया करवाने को कहा है। इसी क्रम में शासन के निर्देश पर कोटद्वार में इन दिनों तिलवाढांग वन विश्राम गृह को सीबीआइ टीम के रुकने के लिए तैयार किया जा रहा है।
प्रदेश के तत्कालीन वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत का कैंप निवास भी यही तिलवाढांग वन विश्राम गृह था। इसी विश्राम गृह में पाखरो टाइगर सफारी के निर्माण को लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ कई बैठकें हुई।
यह है पूरा मामला
पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार के कार्यकाल में कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग की पाखरो रेंज में 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी निर्माण का निर्णय लिया गया। वजह, कार्बेट टाइगर रिजर्व पर पर्यटकों के बढ़ते दबाव को कम करना था।
मामला तब सुर्खियों में आया जब टाइगर सफारी निर्माण में पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी के साथ ही बड़े पैमाने पर पेड़ कटान की शिकायत सामने आई। मामला संज्ञान में आने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने निर्माण स्थल का मौका-मुआयना किया।
विभागीय जांच में भी पाई गई शिकायतें
प्राधिकरण ने शिकायतों को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। विभागीय जांच में भी शिकायतें सही पाई गई और तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग व कालागढ़ के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद को निलंबित कर दिया गया था। साथ ही कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल को कुछ समय बाद वन मुख्यालय से संबद्ध किया गया।
सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (सीईसी) ने भी इस प्रकरण पर कड़ा रुख अपनाया। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने भी मामले का संज्ञान लिया और भारतीय वन सर्वेक्षण से निर्माण स्थल का सर्वे करवाया। सर्वे में स्वीकृत 163 पेड़ों के सापेक्ष 6093 पेड़ काटने की बात सामने आई।
सीबीआइ जांच के निर्देश
तमाम जांचों में घोटाले की पुष्टि के बाद तत्कालीन डीएफओ किशनचंद व रेंजर बृजबिहारी शर्मा को जेल भी जाना पड़ा। इधर, पर्यावरणप्रेमी अनु पंत की ओर से इस मामले में नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। सभी पक्षों को सुनने के बाद इसी वर्ष नैनीताल उच्च न्यायालय ने मामले की सीबीआइ जांच के निर्देश दिए।
सीबीआइ मुकदमा दर्ज कर इन दिनों मामले की जांच में जुटी हुई है। इसी क्रम में जल्द ही टीम कोटद्वार में डेरा डालने जा रही है।
वर्षाकाल में हुआ था बंगले को नुकसान
बीते वर्षाकाल में अगस्त में हुई अतिवर्षा के दौरान तिलवाढांग बंगले के ऊपरी हिस्से में मौजूद पहाड़ी से हुए भूस्खलन के कारण बंगले के एक हिस्से में भारी मलबा घुस गया था। जिससे इस हिस्से को काफी नुकसान पहुंचा था। तत्कालीन वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत भी इसी हिस्से में मौजूद कक्ष में निवास करते थे।
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