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uttarakhand lockdown : भाई को मिट्टी देनी थी और बुजुर्ग मां को दवा, जानिए हल्द्वानी में फंसे युवाओं का दर्द

अपने घर से ज्यादा सुरक्षित जगह और कोई नहीं। राहत सेंटर पर खाने और रहने की व्यवस्था में भले कोई कमी न हो मगर इसे मजबूरी ही कहा जाएगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 07:58 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 07:58 AM (IST)
uttarakhand lockdown : भाई को मिट्टी देनी थी और बुजुर्ग मां को दवा, जानिए हल्द्वानी में फंसे युवाओं का दर्द
uttarakhand lockdown : भाई को मिट्टी देनी थी और बुजुर्ग मां को दवा, जानिए हल्द्वानी में फंसे युवाओं का दर्द

हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : अपने घर से ज्यादा सुरक्षित जगह और कोई नहीं। राहत सेंटर पर खाने और रहने की व्यवस्था में भले कोई कमी न हो, मगर इसे मजबूरी ही कहा जाएगा। और अगर यहाँ आकर पता चले कि छोटा भाई दुनिया में नहीं रहा और गांव में बूढ़ी मां बेटे के साथ अपनी दवा का भी इंतजार कर रही है तो सुनकर किसी की भी आंख भर जाएगी। हल्द्वानी में बनाए गए राहत सेंटरों में हर किसी की अपनी दांस्ता है और दर्द से भरी भी। मगर वक्त ने बेबसी की ऐसी बेड़ियां लगाई कि चाहकर भी कोई कुछ कर नहीं सकता। 

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स्पोर्ट्स स्टेडियम और एमबी इंटर कॉलेज में बनाए सेंटर पर 400 करीब लोगों को रखा गया है। कुछ बस से उतरकर दूसरी गाड़ी की राह देख रहे थे। तो कोई पैदल ही गांव को जाने वाला रास्ता नाप रहा था। एमबी में सुबह 18 नए लोग लाए गए। इनमें मुरादाबाद कांठ निवासी लईक अहमद और रिश्ते का भाई अनीस भी शामिल है। मुरादाबाद में पूरा परिवार एक साथ रहता है। लईक का मुक्तेश्वर में सैलून है। लॉकडाउन की वजह से दुकान बंद हो चुकी है तो सोचा कि घर लौट जाऊ। जिसके बाद पैदल और गाड़ियों से लिफ्ट लेकर दोनों हल्द्वानी पहुँच गए। मगर काठगोदाम के पास पुलिस ने रोक लिया और सेंटर पहुँच गए। यहाँ एंट्री के आधे घन्टे बाद ही घर से फ़ोन आता है कि ताऊ के तीस साल के बेटे नौशाद की हार्ट अटैक से मौत हो गई है।

दोपहर में जनाजा कब्रिस्तान ले जाया जाएगा। आंखों में आंसू लिए लईक और अनीस ने यह बात पुलिसकर्मियों को बताई लेकिन वह भी मजबूर थे। क्योंकि गाड़ियों का संचालन बंद था और निजी वाहन न होने की वजह से पास बनने से भी काम नहीं चलता। अंतिम समय में भाई का चेहरा न देख पाने का दर्द उसकी बातों में साफ झलक रहा था। वहीं, रुद्रपुर में नौकरी करने वाले बेतालघाट निवासी एक व्यक्ति को भी निगरानी में रखा गया है।  उसने पुलिसकर्मियों को बताया कि उसकी मां की तबियत अक्सर खराब रहने की वजह से गांव दवा भिजवानी है। इन दोनों मामलों की जानकारी अफसरों को दी जा चुकी है।

दिल्ली वाले अलग

एमबी स्कूल के एक कमरे में दो लोगों को रखा गया है। यह दिल्ली व एनसीआर एरिया से पहुँचे थे। वहीं, स्टेडियम में परिवार के साथ फंसे लोगों को हॉल की जगह हॉस्टल में रखा गया है। डॉक्टरों की टीम लगातार लोगों की स्वास्थ जांच कर रही है।

अमित दोस्तों के साथ खुद आया

कुछ ऐसे लोग भी सेंटर में पहुँचे है, जिन्होंने चुपचाप घर निकलने की बजाय जांच कराना जरूरी समझा। इनमें मुखानी थाना निवासी अमित बिष्ट भी शामिल है। दिल्ली में नौकरी करने वाला अमित अपने पांच-सात दोस्तों संग पहुँचा था। बताया कि यहां आने से जांच होगी और वहम भी दूर होगा।

बाल्टी-जग व सफाई की जरूरत

स्टेडियम में रखे गए लोगों की शिकायत सिर्फ शौचालय को लेकर है। उनका कहना था कि संक्रमण से बीमारी का खतरा पैदा हो सकता है। बाल्टी व जग की डिमांड भी की गई है। वहीं, एसडीएम विवेक राय ने बताया कि समस्या का समाधान किया जाएगा।

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