World Tiger Day 2022: उत्तराखंड देश का एकमात्र राज्य, जिसके हर जिले में बाघ की मौजूदगी
World Tiger Day 2022 उत्तराखंड में बाघ की मौजूदगी मैदानी जिले से लेकर पहाड़ी जिले तक पाई गई है। पगचिन्ह ट्रैप कैमरे व जानवरों के हमले से उनकी प्रत्येक ...और पढ़ें

हल्द्वानी, ऑनलाइन डेस्क: उत्तराखंड राज्य का वातावरण बाघों के लिए सबसे मुफीद है। यही कारण है कि देश में बाघों के आवास वाला एकमात्र राज्य है जिसके हर जिले में बाघ की मौजूदगी मिली है।
साल 2014 में प्रदेश में बाघों की संख्या 340 थी, वहीं 2019 में यह आंकड़ा 442 पहुंच गया। 2022 का आंकड़ा जारी होना बाकी है, इसमें भी संख्या बढ़ने की उम्मीद वन्यजीव विशेषज्ञ जता रहे हैं।
दो नेशनल पार्क में सर्वाधिक बाघ
प्रदेश के दोनों मंडलों कुमाऊं व गढ़वाल में क्रमश: जिम कार्बेट नेशनल पार्क व राजाजी नेशनल पार्क हैं। इन दोनों को मिला दिया जाय तो प्रदेश के टाइगर रिजर्व में सर्वाधिक बाघ इनमें पाए जाते हैं।
सभी 13 जिलों में बाघ
पगचिन्ह, ट्रैप कैमरे व ग्रामीणों द्वारा देखे गए आधार पर प्रदेश के सभी 13 जिलों में बाघ के होने के प्रमाण मिले हैं। अल्मोड़ा, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, चंपावत, पिथौरागढ़, देहरादून, टिहरी, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग व पौड़ी गढ़वाल आदि जिलों में प्रमुखता से बाकि अन्य में यदाकदा बाघ की मौजूदगी देखी जा चुकी है।
इन सभी जिलों में बाघ को वन विभाग ने कैमरों में कैद किया है। साथ ही जंगलों में बाघ के पंजों के निशान और मृत जानवरों में बाघ के हमले के सबूत मिले हैं।
रामनगर वन प्रभाग कोसी रेंज के रेंजर शेखर तिवारी का कहना है कि भौगाेलिक दृष्टि अनुकूल व क्षेत्रफल में अन्य राज्यों की अपेक्षाकृत छोटा होने से यहां हर राज्य में बाघ की मौजूदगी है।
मिल चुका बाघ मित्र अवार्ड
पिछली गणना के दौरान प्रदेश में 442 बाघ नजर आए थे। मध्य प्रदेश व कर्नाटक के बाद उत्तराखंड का नंबर था। करीब 250 बाघ कार्बेट में मिले थे। इसके अलावा कामर्शियल सर्किल कहे जाने वाली वेस्टर्न सर्किल की पांच डिवीजनों में करीब 130 बाघ पाए गए।
जिस वजह से इस सर्किल को बाघ मित्र का अवार्ड भी दिया गया। वहीं, अब वन विभाग नई गणना की तैयारियों में जुटा है।
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बाघों की संख्या राज्य अनुसार
भारत के 20 राज्यों में कुल 2,967 बाघ हैं। इनमें से 1,492 बाघ मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में हैं, यानी केवल तीन राज्यों में ही देश में बाघों की कुल आबादी के 50 प्रतिशत से ज्यादा बाघ रहते हैं।
बिहार में टाइगर2010 में 8 थी, जो 2018 में बढ़कर 31 हो गई। केरल में साल 2010 में 71 बाघ थे, जो साल 2018 में 190 हो गए है।
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