World Tiger Day 2022: उत्तराखंड में तराई लेकर पहाड़ तक नजर आया बाघ, इस बार अच्छी संख्या बढ़ने की उम्मीद
World Tiger Day 2022 उत्तराखंड के जंगल व आबोहवा बाघों के लिए काफी मुफीद है। पिछले कुछ सालों से बाघ मैदान के अलावा पहाड़ पर भी देखे गए हैं। ऐसे में इनक ...और पढ़ें

हल्द्वानी, आनलाइन डेस्क : World Tiger Day 2022 : उत्तराखंड में बाघ तराई से लेकर पहाड़ के बुग्यालों तक नजर आया है। इसलिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से अल्मोड़ा वन प्रभाग के मोहान रेंज में पहली बार बाघों की गणना की जा रही है।
कार्बेट नेशनल पार्क से सटे होने की वजह से एकमात्र मोहन रेंज को ही सर्वे के लिए चुना गया। यहां वन क्षेत्राधिकारी गंगा सरन के नेतृत्व में विभाग सर्वे किया जा रहा है। 2018 की गणना के बाद अब 2022 के आंकड़े आना बाकी है।
इसमें प्रदेश में बाघों की संख्या ठीकठाक बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि एनटीसीए हर चार साल में बाघों की गणना करता है।
अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ तक टाइगर
मैदान की शुरुआत के साथ पहाड़ के छोर तक जंगल का राजा मौजूद हैं। अर्थात कासरो से केदारनाथ सेंचुरी और पीलापानी से पिथौरागढ़ तक टाइगर की मौजूदगी के प्रमाण मिल चुके हैं।
बाघ ऐसा वन्यजीव है जो कि ज्यादातर मैदान में मिलता है। पर पिछले कुछ सालों से बाघ प्रदेश में तराई से लेकर पहाड़ तक कोई जिला नहीं बचा जहां इसकी मौजूदगी नहीं देखी गई हो।
हर साल औसतन 26 बढ़े बाघ
पिछले दस साल में बाघों की संख्या में (World Tiger Day) 263 का इजाफा हुआ। यानी हर साल औसतन 26 बाघ बढ़े। तस्करों की निगहबानी और जंगल में खाने की कमी न होने के कारण बाघों के लिए सुरक्षित आशियाना तैयार किया जा सका।
अल्मोड़ा प्रभाग के डीएफओ महातिम यादव का कहना है कि नेशनल पार्क से कुछ बाघों के पहाड़ों को चढ़ने की संभावना है। मोहान रेंज में कई स्थानों में बाघ देखे भी जा रहे हैं। जिसके चलते वहां गणना की जा रही है।
उत्तराखंड देश में तीसरा स्थान
उत्तराखंड को बाघों का घर कहा जाता है। क्षेत्रफल कम होने के बावजूद यहां हर साल बाघों की संख्या बढ़ी है। यही वजह है कि 2018 की गणना जारी होने पर उत्तराखंड बाघ संरक्षण के मामले में देश में तीसरे नंबर पर था।
चार साल पहले पिथौरागढ़ जनपद के अस्कोट व अल्मोड़ा के माेहान में बाघ दिखाई देने पर माना गया था कि यह सबसे ऊचाई पर पहुंचा बाघ है।
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बुग्याल तक बाघ
2019 में केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी में कैमरा ट्रैप में कैद फोटो ने साबित कर दिया कि बाघ बुग्याल लैंड तक पहुंच चुका है। 300 से 3400 मीटर तक टाइगर की मौजूदगी मिलने से वन महकमा भी उत्साहित है।
विभाग का कहना है कि ऊंचाई वाले इलाकों में बाघ के आहार की भरपूर मात्रा में मौजूदगी उसे पहाड़ की तरफ खींच रही है। इसलिए उसकी मौजूदगी प्रमाणित भी है।
वेस्टर्न सर्किल ने बनाया था रिकॉर्ड
2018 में हुई बाघ गणना के बाद जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में आंकड़े जारी किए तो वेस्टर्न सर्किल के तत्कालीन वन संरक्षक डा. पराग मधुकर धकाते को भी बुलाया गया था। एनटीसीए द्वारा बाघ मित्र अवार्ड के साथ इनाम के तौर पर बजट भी दिया।
खास बात यह है बाघ संरक्षण के साथ राजस्व जुटाने के मामले में यह सर्किल हर साल नया रिकॉर्ड बना रही है।
साल बाघ की संख्या
2008 179
2010 199
2011 227
2014 340
2017 361
2018 442
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