Uttarakhand Lockdown Day 3 : बस जैसे भी हो घर पहुंच जाएं...यही सोच सैकड़ाेंं किमी पैदल सफर पर निकल पड़े लोग
कुमाऊं में हजारों की संख्या में उत्तर प्रदेश बिहार समेत अन्य राज्याें के लोग फंसे हुए हैं। इनमें गौला में खनन करने वाले श्रमिक भी हैं तो रोड कंस्ट्रक्शन करने वाले वर्कर भी।
नैनीताल, जेएनएन : कोरोना वायरस के कारण एक तरफ देश लॉकडाउन पर है तो दूसरी तरफ घरों से बाहर रहने वाले लोग महानगरों में फंसे हैं। कुमाऊं में हजारों की संख्या में उत्तर प्रदेश, बिहार समेत अन्य राज्याें के लोग फंसे हुए हैं। इनमें गौला में खनन करने वाले श्रमिक भी हैं तो रोड कंस्ट्रक्शन करने वाले वर्कर भी। काम धंधा सबकुछ ठप होने के कारण इनके सामने रोजी रोटी का संकट खडा हो गया है। बेबश-मजबूर लोग बडी तादाद में पैदल ही घर का रुख कर दिए हैं। घर से जहां उनका कुशल क्षेम जानने के लिए लगातार फोन आ रहा है, वहीं जैसे भी हो सके घर लौट आने की बात कही जा रही है। लोकिन लॉकडाउन के कारण बरती जा रही सख्ती से लाेगों को पैदल भी निकलने में डर लग रहा है। ऐसे अनुमति लेने के लिए प्रशाासनिक अधिकारियों के पास भी पहुंच रहे हैं।
घर लौटने के लिए 280 किलोमीटर की दूरी नापेंगे
गरमपानी : अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे से सटे ढोलगांव में सड़क निर्माण के लिए फतेहगंज बरेली से करीब 18 श्रमिक निर्माण कार्य के लिए आए थे। पहले जब कोरोना वायरस से बचाव को एहतियात के तौर पर 31 मार्च तक बंद किया गया तो उन्होंने सोचा कि कुछ ही दिनों की बात है किसी तरह से काट लिया जाएगा। पर जब अप्रैल तक लॉकडाउन का आदेश हुआ तो उनका मनोबल टूट गया और वापस गांव की ओर रवाना होने का मन बनाया। ठेकेदार से संपर्क साधा तो उसने बागेश्वर होने का हवाला दे आवाजाही बाधित होने की बात कही। ऐसे में श्रमिकों का दल पैदल ही करीब 280 किलोमीटर की दूरी नापने निकल पड़ा है। श्रमिकों में शामिल भगवान दास, संजीव,पुष्पेंद्र, विजय आदि के अनुसार थोड़ा बहुत आटा उनके पास पड़ा हुआ है। जहां जगह मिलेगी वहीं रोटी बना ली जाएगी। श्रमिकों के पास एक भी पैसा नहीं है।
मजदूरों ने कहा, जैसे भी हो साहब घर पहुंचा दीजिए
हल्द्वानी : हल्द्वानी में शुक्रवार सुबह 200 मजदूर एसडीएम कोर्ट पहुँचेे। इनका कहना था कि लॉकडाउन की वजह काम बंद हो चुका है। ऐसे में खाने तक के लाले पड गए हैं। फिलहाल सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल पा रही है। कब तक मदद मिल सकेगी कहा भी नहीं जा सकता। लिहाजा, सभी को घर पहुँचवाने की व्यवस्था की जाए। मजदूर यूपी, बिहार आदि राज्य के हैं। ये बस किसी तरह से अपने घर पहुंचना चाहते हैं। कहते हैं कि घर पहुंच जाएंगे तो किसी भी तरह से खा पी लेंगे। अपने परिवार के साथ रहने का संबल ही बहुत होता है। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि सरकार की ओ रे से लोगों को जल्द से जल्द मदद पहुंचाने की कोशिश हो रही है। इंतजाम करने में समय लग रहा है।
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