ईको सेंसटिव जोन से बाहर होने के लिए रामनगर के ग्रामीणों ने किया था संघर्ष nainital news
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से लगे तीन दर्जन गांवों में ईकोव सेंसटिव जोन के लागू नहीं होने के मामले में ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों का प्रयास रंग लाया।

रामनगर, जेएनएन : जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से लगे तीन दर्जन गांवों में ईकोव सेंसटिव जोन के लागू नहीं होने के मामले में ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों का प्रयास रंग लाया। ग्रामीणों की एकजुटता ही कहेेंगे कि राज्य सरकार को ईको सेंसटिव जोन को रद करने के लिए पहल करनी पड़ी। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले 36 गांव को ईको सेंसटिव जोन से बाहर करने पर मुहर लगा दी गई। हालांकि अभी राज्य सरकार की ओर से यह प्रस्ताव वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार को अंतिम स्वीकृति के लिए भेजना शेष है।
केन्द्र से अनुमति मिलने पर विकास योजनाओं को मिलेगी गति
कैबिनेट के फैसले पर केंद्र ने मुहर लगा दी तो ग्रामीण क्षेत्र में विकास के ठप पड़े पहिए पटरी पर दौडऩे लगेंगे। ईको सेंसटिव जोन से गांव को बाहर करने के फैसले से ग्रामीण खुश हैं। सीटीआर की बाहरी सीमा में करीब दस किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांव में ईको सेंसटिव जोन लागू होना था। उसके बाद इसकी सीमा दस से घटाकर दो किलोमीटर कर दी गई थी। ग्रामीण इसके खिलाफ लामबंद थे। इसके लिए सीटीआर कार्यालय में धरने प्रदर्शन, झिरना व ढेला पर्यटन जोन में जाम लगाकर पर्यटकों की आवाजाही तक ठप की गई थी। कई बार जनप्रतिनिधि सांसद व मुख्यमंत्री से मिले।
जनप्रतिनिधियों ने भी किया था विरोध
उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने भी रामनगर में ईको सेंसटिव जोन को गलत बताया था। विधायक दीवान सिंह बिष्ट भी ईको सेंसटिव जोन हटाने के लिए प्रयासरत थे। सीटीआर निदेशक राहुल ने बताया कि ईको सेंसटिव जोन को हटाने के लिए स्थानीय लोगों की मांग थी। ईको सेेंसटिव जोन हटाने को विभाग द्वारा प्रस्ताव भेजा गया था। कैबनेट ने अनुमति दे दी है। अंतिम स्वीकृति के लिए भारत सरकार को भेजा जाएगा
इन गांव पर लटकी थी तलवार
कॉर्बेट पार्क की सीमा से लगे इन 36 गांव पर ईको सेंसेटिव की लटकी थी तलवार। इनमें हिम्मतपुर डोटियाल, सेमलखलिया,सावल्दे पूर्व, सावल्दे पश्चिम,चोरपानी, शिवल्लपुर रियूनिया, लुटाबड़, शिवलालपुर पांडे, शंकरपुर भूल, बेलगढ़, कानिया, गोजानी, किशनपुर पांडे, धरमपुर नफनिया, धनपुरघासी, धर्मपुर धनखोला, करनपुर, ढेला बंदोबस्ती, बेडाझाल, चुकुम, मोहान अमरपुर, ढिकुली, लदुवा रो, लदुवा चोड़, रामनगर ,टेड़ा, पूछड़ी, उमेदपुर, लछमपुर ठेरी, देवीपुर बासिटीला, मनोरथपुर बासिटीला, भगोतपुर तडिय़ाल, भगोतपुर मडिय़ाल, नरसिंहपुर एरड़ा, लालपुर बासिटीला शामिल हैं।
कैबिनेट के फैसले से ग्रामीणों में खुशी
मंत्रिमंडल द्वारा कॉर्बेट से सटे गांव से इको सेंसटिव जोन हटाए जाने के फैसले का ग्रामीणों ने खुलकर स्वागत किया है। ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय के संघर्ष का परिणाम है कि आज सरकार ने जनता के हितव मे फैसला दिया है। उम्मीद है कि ग्रामीणों के हित को देखते हुए केंद्र सरकार भी प्रदेश सरकार को मंजूरी प्रदान करेगी।
इन पर था प्रतिबंध
- नदियों में व्यवसायिक खनन पर प्रतिबंध
- जल, हवा, मिट्टी व ध्वनि करने वाले उद्योग लगाने पर रोक
- पनबिजली परियोजना लगाने पर प्रतिबंध
- एयरक्राफ्ट व एयरबैलुन उड़ाने पर प्रतिबंध
- भू उपयोग परिवर्तन पर प्रतिबंध
- पेड़ों का कटान व जलौनी लकड़ी का व्यवसायिक उपयोग प्रतिबंधित
इनकी लेनी पड़ती अनुमति
- बिजली के तार पर बिछाने पर अनुमति
- परिसंपत्ति की सुरक्षा के लिए अनुमति
- गांव की सड़क चौड़ीकरण के लिए अनुमति
- रात्रि यातायात में अनुमति
- प्राकृतिक जल व भूजल के व्यवसायिक उपयोग करने पर अनुमति
- रिसॉर्ट व होटल बनाने पर अनुमति
- खेतों में कीटनाशक दवा डालने के लिए भी सीटीआर से अनुमति
यह भी पढ़ें : आइएफएस संजीव चतुर्वेदी ने दिन रात एक कर तैयार की डीएफओ के भ्रष्टाचार की रिपोर्ट, शासन को हटाने में लग गए दो साल

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।